क्यों नकल करना चाहते हैं सब,
दूसरों की दौलत और शोहरत की।
दूसरों की खुशी को कभी कोई ,
नकल क्यों नहीं करना चाहता ।
सबको चाहत है बाहर से,
बस अमीरों जैसा बनने की ।
भीतर से अमीर कभी,
कोई बनना नहीं चाहता।
नहीं रहती है बाहरी दौलत ,
सदा एक जैसी कभी ।
भीतर खुशी जबकि ,
कोई छीन नहीं पाता ।
भीतर की सकारात्मकता,
भीतर की ताकत को ।
देखकर अनदेखा करते है ,
उसे,कोई अपनाना नहीं चाहता ।
जब उस ऊपर वाले का साथ है,
उस ऊपर वाले पर विश्वास है ।
उसकी छांव में जो रहता हो।
उस तरह कोई रहना नहीं चाहता।
11.31am 1June 2021
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