जब अपना कुछ खो जाता है।
मन कितना फिर डूब जाता है।
कुछ भी फिर अच्छा नह लगता ,
सब जैसे बेगाना हो जाता है।
डूब जाता है मन कहीं ,
चैन फिर आता नहीं ।
यादें तड़पाती है उसकी,
सीना छलनी हो जाता है।
क्या करें किसी से शिकायत ,
क्या करें शिकवा कोई ।
खो गई जब चीज अपनी,
मिलता नहीं फिर जो खो जाता है।
कहते तो हैं कुछ भी होता
अच्छे के लिए होता है ।
समझ नहीं आता फिर भी,
क्या अच्छा जब कोई खो जाता है।
5.47pm 16 June 2021
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