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Wednesday, 16 June 2021

1679 जब अपना कुछ खो जाता है

 जब अपना कुछ खो जाता है।

मन कितना फिर डूब जाता है।

कुछ भी फिर अच्छा नह लगता ,

सब जैसे बेगाना हो जाता है।


 डूब जाता है मन कहीं ,

चैन फिर आता नहीं ।

यादें  तड़पाती है  उसकी,

सीना छलनी हो जाता है।


क्या करें किसी से शिकायत ,

क्या करें शिकवा कोई ।

खो गई जब चीज अपनी,

 मिलता नहीं फिर जो खो जाता है।


कहते तो हैं कुछ भी होता 

अच्छे के लिए होता है ।

समझ नहीं आता फिर भी,

 क्या अच्छा जब कोई खो जाता है।

5.47pm 16 June 2021

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