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Tuesday, 22 June 2021

1685 सुस्ती हो जाए दूर

 सुस्ती है छाई सब पर,

मौसम चढ़ा जो ऐसा है ।

गर्मी से हुआ हाल बुरा ,

पारा बढ़ा जो ऐसा है।


बदहाल से घूमते हैं सब 

बच्चों का मुख मुरझाया है ।

धूप तीखी है हर जगह ,

दिखती कहीं न छाया है।


पडें जो चार बूंदे तो ,

सूखी ये धरती खिले ।

खिल जाए फूल सब,

तन मन को ठंडक मिले।


सुस्ती हो जाए दूर और,

सब अपने काम पर लगें।

खुशियाँ हों फिर हर तरफ ,

और हर तरफ बहारें खिलेंं।

6.45pm 22 June 2021


1 comment:

Balbir said...

हाय गर्मी