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Tuesday, 6 June 2017

234 बेताब दिल (Betaab Dil)

बढ़ती ही जा रही है,
मेरे दिल की बेताबी देखो।
कुछ तो करो दर्द ए दवा,
कुछ तो सोचो।।
दर्द जब दिया इस दिल को,
तब कुछ न सोचा।
कहा , देखा जाएगा,
आगे जो भी होगा।।
दर्द बढ़ता ही गया,
और यहां तक पहुंचा।
तुमने तो अब तलक न,
इस बारे में कुछ सोचा।।
 मौत ही न बने दवा,
इस दर्दे दिल की।
यू न खत्म हो कहीं ,
ये जिंदगी।।
चाहते जो हो तुम कि,
देख ले रंग हम भी जिंदगी के।
तो तोड़ के हर रस्म ,हर दीवार,
आ जाओ पास, इस दिल के।।
234 9 Dec 1990
 Badti Hi ja rahi hai,
Mere Dil Ki betaabi Dekho.
Kuch To Karo Dard e' Dwa,
Kuch Toh Socho.
Dard Jab Diya Is Dil Ko,
Toh kuch na Socha.
Kaha, dekha jayega,
Aage Jo Bhi Hoga.
Dard badhta hi gya,
Aur Yhaan tuc Pahuncha.
Tumne toh ab Talak naa,
Is baare mein kuch Socha.
Mout Hi naa Bane Dwa,
Is Dard e Dil Ki.
Yu Na khatam ho Kahi,
Yeh Zindagi.
Chahate Jo Ho Tum ki,
Dekhlen Rang Hum Bhi Zindagi Ke.
To tod ke har Rasm, har Deewar,
Aajao pass Is Dil Ke.

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