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Friday, 2 June 2017

K3 00242 मुलाकात (Mulakaat)

आज जब मुलाकात हुई बिछड़े दोस्तों से ।
 तेवर ही थे कुछ के, उनमें बदले हुए।
मंजिलें जो ऊँची मिल गई है उन्हें।
तो देख लिया रुख़ उनका भी बदलते हुए।
कहते हैं, दग़ाबाज़ होते हैं हमसफ़र।
चले गए खुद छोड़कर हमें वो राह बदलते हुए।
242 30 Dec 1990
Aaj jab Mulakat Hui Bhichday Doston se
Tever Hi Tte Kuch k unMein Badle Hue
Manjilen Jo Unchi mil gayi hai Unhain.
Tu dekh liya rukh UnKa bhi Badalte huye.
Kehte hain Dagabaaz hote hain Humsafar.
Chale Gai Khud Chod Kar Hame vo raha Badalte He.

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