9788189331894 53095 BookZindgi1
तन्हाइयों की खामोशियों से, कुछ पल शब्दों के निकालते हुए।
जैसे खामोश सी बरसात की बूंदों की टिप टिप को सुनते हुए।
मैं कुछ पल गुजार लेता हूं जिंदगी के, खुश होकर इनके सहारे।
यूं तो गरजता है आकाश बहुत जोर से ,बारिश से पहले।
पर नहीं जानता ,यह खामोशी के पहले की गड़गड़ाहट है।
या फिर गड़गड़ाहट के बाद होने वाली खामोशी का परिचय।
यूं तो मैं जिंदगी को खामोशियों से नहीं भरना चाहता।
फिर भी यह अपने जाल बिछाती हुई चली आती है।
और मेरे मन का सुकून साथ ले जाती है।
मैं भी खुश रहना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
मैं भी उड़ना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
लेकिन यह जिंदगी, मेरी खुशी ,मेरे पर ,लिए जाती है।
600 4.16pm 28 June 2018
तन्हाइयों की खामोशियों से, कुछ पल शब्दों के निकालते हुए।
जैसे खामोश सी बरसात की बूंदों की टिप टिप को सुनते हुए।
मैं कुछ पल गुजार लेता हूं जिंदगी के, खुश होकर इनके सहारे।
यूं तो गरजता है आकाश बहुत जोर से ,बारिश से पहले।
पर नहीं जानता ,यह खामोशी के पहले की गड़गड़ाहट है।
या फिर गड़गड़ाहट के बाद होने वाली खामोशी का परिचय।
यूं तो मैं जिंदगी को खामोशियों से नहीं भरना चाहता।
फिर भी यह अपने जाल बिछाती हुई चली आती है।
और मेरे मन का सुकून साथ ले जाती है।
मैं भी खुश रहना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
मैं भी उड़ना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
लेकिन यह जिंदगी, मेरी खुशी ,मेरे पर ,लिए जाती है।
600 4.16pm 28 June 2018
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