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Sunday, 9 September 2018

673 दिल जानता है (Dil Jaanta hai ki)

दिल जानता है ,कि तू तो उसका ही हुआ बैठा है।
यह दिल तो चाहता यही है।
 कि धड़कूँ तो उसी की याद में ,जान जाए तो उसी की याद में।

कसूर नजरों का था, पर दिल ने प्यार तो कर ही लिया।
अब तो काटना चाहता है उम्र ,बस उसी फरियाद में।

प्यार जो कर बैठा ,सोचा भी नहीं ,अंजाम क्या होगा।
 दफा कौन सी लगेगी ,सजा मिलेगी क्या ,इस हाल में।

 उनको खबर नहीं ,जिनके प्यार का गम लिए बैठे हैं।
ना जाने वो ,जान पाएंगे या नहीं ,हम डूबे हैं उनके प्यार में।
673 2.55pm 4Sept 2018 Tuesday 
 धड़क-धड़क के तड़पता है ये दिल उसे याद करता हुआ।
यूं ना हो, कि धड़कना छोड़ दें एक दिन, उसकी याद में।

Dil Jaanta hai ki, tu toh Uska Hi Hua baitha hai.
Yeh Dil Tui Chahata  Yehi Hai,
 Ki dharkun toh Usi Ki Yaad Mein ,Jaan Jaye tou Uski Yaad Mein.

Kasoor Nazron Ka tha Par Dil Ne Pyar To Kar Hi Liya.
 Ab toh katna chahata Hai Umar Bas Usi Fariyad me.

Pyar Jo kar Baitha ,socha bhi nahi ki Anjaam kya hoga.
Dafa kaunsi lagegii , saza Milegi kya, Is Haal me.

UnKo Khabar Nahi ,Jinke Pyar Ka Gham liye Baithe Hain.
Na Jaane Woh Jaan Payenge ya Nahi ,Hum To Dube hain UnKe Pyar Mein.

Dhadak Dhadak ke Tadapta hai Ye Dil usse Yaad Karta hua.
 Yun na Ho ,ki dhadakna Chhod De Ek Din, uski Yaad Mein.

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