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Saturday, 15 September 2018

679 वक्त

वक्त के सामने आदमी की औकात क्या।
यह तो पल भर मे, सबका मुकद्दर बदल देता।

 आदमी कहता, मैं हूं आज का राजा।
कब किस पल किस्मत बदल जाए, क्या पता।

 आज राजा बनके तू बैठा हुआ।
कल तेरी क्या औकात रह जाए,तुझे क्या पता।

तू जो भी कर रहा है आज वो तेरा खजाना बना।
 वक्त आगे चल कर देगा,तुझे वो सब लौटा।

अच्छा किया तो सामने अच्छा ही आएगा।
 आज बुरा करने कि कल पाएगा तू सजा।

वक्त के सामने आदमी की औकात क्या।
यह तो पल भर मे सबका मुकद्दर बदल देता।
679 4.50pm 15 Sept 2018 Saturday

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