यह बारिशों का मौसम है ,
पानी से हलचल हर ओर है ।
धरती महकी माटी की खुशबू से ,
खिला इसका कणकण हर ओर से।
कभी आँधियां आती हैं जोर से ,
सब हिलाती हुई,लहराती हुई।
कभी गरजते हैं बादल ,
बड़े जोर शोर से।
कभी हो जाता है सुहाना मौसम,
की खिल जाते हैं दिल।
कभी आ जाती है बाढ़ ,
और हो जाता है,जल थल हर ओर से।
अजब हैं यह मौसम का रंग भी ,
कोई जान नहीं पाता है।
कभी दे देता है ठंडक दिल को ,
कभी ठग लेता है हर ओर से।
मुझे लग रहा है यहाँ मौसम,
बहुत सुहाना बरसात के बाद।
अभी आई है खबर कि ,
कर डाली है इसने तबाही दूसरे छोर पे।
6.17pm 2 May 2019
पानी से हलचल हर ओर है ।
धरती महकी माटी की खुशबू से ,
खिला इसका कणकण हर ओर से।
कभी आँधियां आती हैं जोर से ,
सब हिलाती हुई,लहराती हुई।
कभी गरजते हैं बादल ,
बड़े जोर शोर से।
कभी हो जाता है सुहाना मौसम,
की खिल जाते हैं दिल।
कभी आ जाती है बाढ़ ,
और हो जाता है,जल थल हर ओर से।
अजब हैं यह मौसम का रंग भी ,
कोई जान नहीं पाता है।
कभी दे देता है ठंडक दिल को ,
कभी ठग लेता है हर ओर से।
मुझे लग रहा है यहाँ मौसम,
बहुत सुहाना बरसात के बाद।
अभी आई है खबर कि ,
कर डाली है इसने तबाही दूसरे छोर पे।
6.17pm 2 May 2019
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