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Tuesday, 28 May 2019

930 शायरी 1 (Shayri 1)

कामयाबी ने मेरी , मुझे दोस्तों से दूर कर दिया।
यूँ बदल गए दोस्त मेरे ,जैसे मैंने कसूर कर दिया।

गिरना ही था तो कहीं से भी गिर गए होते।
यह क्या किया तुमने ,कि निगाहों से गिर गए।

उतर जाता हूं लो मैं कामयाबी की सीढ़ियां।
 अगर तुम दिल में उतरने का मौका दो।

बैठा हूं इंतजार में कभी मिलने तो आओ सनम।
यूँ ही नहीं आना चाहते ,तो किसी काम से आओ सनम।

कुछ लोग आगे बढ़े मेरी कामयाबी का सहारा लेकर।
 ऊपर पहुंचते ही क्यों इस सीडी़ को काट दिया।
1.05pm 28 May 2019 Tuesday

Kamyabi Ne Meri Mujhe Doston Se Dur Kar Diya.
Yun Badal Gaye Dost Mere, Jaise main Kasoor Kar Diya.

Girna Hi Tha Tu Kahin Se Bhi Gir Gaye Hote.
Ye kya kiya tumne ki Nigahon Se Gir Gaye.

Utar Jata Hoon Lo Main kamyabi Ki Sidiyan.
Agar tum dil mein utarne ka mauka do.

 Baitha Hoon Intezar Mein ,Kabhi Milne to aao Sanam.
Yun nahi Aana Chahte, to Kisi Kaam se Aao Sanam.

Kuch log Aage badh Bade Meri kamyabi Ka Sahara Lekar.
 Upar pahunchte hi Kyon Is Sidi ko Kaat Diya.

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