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Wednesday, 30 September 2020

1420 लाल बहादुर शास्त्री हैं

 लाल बहादुर शास्त्री हैं भारत देश की इक ऐसी संतान ।

"सादा जीवन उच्च विचार "अपना कर बन जो गए महान।


मुगलसराय (1904)में जन्मे, खो दिया बचपन में पिता (मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव, शिक्षक)का प्यार।

 शिक्षा हासिल करने को, स्कूल गए,,नंगे पाँव गर्म सड़क पर चल और तैर के गंगा पार।


 काशी पीठ से जब ली "शास्त्री"  की उपाधि जातिसूचक को फिर दिया उतार।

"शास्त्री " बन गया "लाल बहादुर" का पर्याय,और "ललिता" के संग लिया ब्याह रचा।

स्वतंत्रता सेनानी  बन अंग्रेजों का प्रतिकार किया और गांधीजी का साथ दिया।

असहयोग आंदोलन(1921),दांडी यात्रा(1930)और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) में भाग लिया।


"मरो नहीं मारो" का नारा देकर स्वतंत्रता क्रांति को पूरे देश में प्रचंड किया।

जेल भी गये और  फिर स्वतंत्रता पश्चात राजनेता बन भारत को अखंड किया।


विदेश मंत्री, गृह मंत्री, रेल मंत्री के बाद जब प्रधानमंत्री का पद संभाला।

भारत-पाक युद्ध ( 1965 ) में किया दुश्मन का सामना बनकर ज्वाला।


कोमल हृदय, प्रबल विचार, लाठी की जगह, शुरू कराई पानी की बौछार।

देश में भुखमरी थी देखी फैली, खुद ही कर दिया अपने वेतन का परित्याग।


सब देशवासियों से आह्वान किया फिर, सभी रखें व्रत हफ्ते में एक बार।

वह जानते थे हर एक देशवासी के योगदान से ही होगा देश का उद्धार।


"जय जवान जय किसान" का नारा देकर भारत का उत्थान किया।

श्वेत क्रांति को बढ़ावा देकर, देश में दूध उत्पादन बढ़ाने में योगदान दिया।


लाल बहादुर शास्त्री की छोटी सी कद काठी पर भीतर से वह चट्टान था।

जिसकी दूरदर्शिता और इमानदारी के हाथों दूर नहीं भारत का उत्थान था।


वह बुरा दिन भी आया ,जब युद्ध विराम समझौता करने को  ताशकंद में उन्हें बुलाया।

जीती भूमि ना थे वह देने को तैयार, शायद इसीलिए धोखे से ले ली उनकी जान ।


"नन्नहें" छोड़ गया भारत की मिट्टी में इक  ना भरने वाला खाली स्थान।

 सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिए मरणोंप्रांत दिया भारत रत्न सम्मान।

12.22pm 30Septembee 2020

Tuesday, 29 September 2020

1419 गज़ल: जब से देखा ,तू हुआ मेरा मखदूम(पूजनीय)

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काफिया (Qafia) ऊन

(गैर मुरद्दफ गज़ल) 

जब से देखा ,मैं हुआ तेरा मजनून(प्यार में पागल)।

हूँ इस बात पे  मैं तेरा ऐ खुदा ममनून(कृतज्ञ)।।


तेरी याद में मैं हूँ इतना तड़पा।

बन बैठा बस तेरा मैं अब मजनून( प्यार में पागल)।


पहले था  कहाँ  ये पता प्यार है कैसा

 क्या है इसके अंदर का जी मजमून (विषय)।


इक तो प्यार करो और तड़पो भी तुम ।

 है कहाँ से आया ऐसा यह कानून।

11.05am 29 Sept 2020

Monday, 28 September 2020

1418 शांत हो जाए लो यह जल के (कता)

 22 22 22 22

तुम बिन रहना है अब मुश्किल।

तुम बिन रह कर मैं मर जाऊं।

कैसा जीना है तेरे बिन।

अब क्या तुमको मैं बतलाऊँ।


क्या तुम देख नहीं सकते हो। 

मेरे अरमानों को फलते।

छोड़ के जाओगे क्या अब तुम।

राह में मुझको चलते चलते।


मैं रह जाऊंगा क्या अब इन ,

राहों पर हाथों को मलते।

मत छोड़ो अब मुझको ऐसे,

दीपक है बुझे,  जैसे जलते।


पानी दे दो अब बस मुझ को।

 शांत हो जाए लो यह जल के।

क्या करना है बस अब जी के ।

इस धरती पर बोझा बन के।

10.46pm 27 September 202

Sunday, 27 September 2020

1417 खयानत हो जहां वहां रिफाकत( दोस्ती)नहीं है(3 liner)

 देखते रहना कमजोर पर जुल्म और

बेसहारा कमजोर को  छोड़ना है जहालत(illiteracy, ignorance)

इसे कहते कोई बसालत( बहादुरी)नहीं है



मत सोच कि तुझ में  नहीं है ताकत 

तेरी नेकी को कोई कुछ कहे

किसी की ऐसी हिमाकत नहीं है।



उठ बन सहारा तू किसी का।

जब तुझ में है गुण सदाकत( सच्चाई।)

मत सोचना तुझ में शुजाअत (bravery)नहीं है।


साथ सदा तू निभाना दोस्तों का। 

मत करना कभी दोस्ती में खयानत

खयानत हो जहां वहां रिफाकत( दोस्ती)नहीं है

07.07pm 16 September 2020

Saturday, 26 September 2020

1416 गज़ल : हम खोए इक दूजे में ऐसे हों

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काफि़या (Qafia) एसे

रदीफ़(Radeef)  हों

हम तुम तुम हम बैठे दोनो पेड़ के नीचे जैसे हों।

ना हो होश हमें हम खोए इक दूजे में ऐसे हों। 


दोनों के दिल की धड़कन धड़के धीरे-धीरे से फिर

उस धड़कन की धुन में खो जाएं हम बैठे ऐसे हों।


तुम भी भूली बिसरी बातें करना फिर अपने मन की

पूछूँ हाल  तुम्हारे दिल का मैं, तुम कहना कैसे हो।

 

सारे जग को भूल के बैठे हों हम  पेड़ के नीचे और

और पहुंच जाएं बैठे हम दूजे जग में  जैसे हों।

11.09am 24 September  2020

Friday, 25 September 2020

1415 गज़ल :लुट गया जो उसे भुला आया।

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 (1122 1212 112)option to change

(तुमको देखा तो यह ख्याल आया)

रात देखा जो सपने में साया ।

तो तसव्वुर में मैं तुम्हें लाया


आज फिर जाने मैंने सोचा क्यों।

और ख्यालों में तुम  को ही पाया।


भूल जाना बहुत ही था मुश्किल।

फिर भी मैं भूलकर तुम्हें आया।


चल नयी कोई खोज करता हूँ।

लुट गया जो ,उसे भुला आया।


कह दे तू मैं नहीं तेरा कोई।

छोड़ रिश्ता मैं था वहीं आया।

10.58pm 21sept 2020

Thursday, 24 September 2020

1414 गज़ल : दिल को थामे मैं हूँ खडा़ तू बन संवर के आ

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काफि़या (Qafia) आ

रदीफ (Radeef) के आ

यादों में तेरी खोया हूँ सपने तू भी सजा के आ।

आ बन संवर के तू, चांद सितारे लगा के आ।


दिल को थामे  मैं हूँ खडा़ तू बन संवर के आ।

गेसुओं को तू खोल के अपनी मांग सजा के आ।


झूमति हुई तू जब चले दिल मेरा थम सा जाए ।

आ तू मेरे पास ज़रा ,आ तू बलखा के आ।


किसी की हम को क्या है पड़ी हम तो बस एक हैं।

सारे भरम को छोड़ के दिल से दिल मिला के आ।

10.08am 24 Sept  2020

Wednesday, 23 September 2020

1413 गज़ल: हरेक पल तुझको यार आज़माता है

 1212       1122  1212  22

काफि़या ( Qafiya)आ

रदीफ (Radeef)  है

समय के खेल में ये जिंदगी तमाशा है।

ये खेल हर कोई जी खेलने को प्यासा है।


खुशी के फूल हैं कम और कांँटे  हैं ज्यादा 

ये जिंदगी  इक ऐसा यहाँ इलाका है।


समय के खेल  तमाशे  के मेल में हैं सब।

नतीजा  निकलेगा पर बंद ये लिफाफा है।


पता नहीं इसे, नादानियों में खोया है।

नहीं पता है इसे कि समय ज़रासा है।


ये हार  भूल ,रहा  सोच  जीत के बारे ।

सभी को भूल के ये दाँव जब लगाता है।


 जी भर के हँस तू ज़रा और जिंदगी जी ले।

जी क्यों रहा है ,जैसे बोझ तू उठाता है ।


तू जिंदगी में जो भी कर रहा यहाँ पर है।

हर एक पल तुझी को यार आज़माता  है ।

13.13pm 23 sept 2020

Tuesday, 22 September 2020

1412 गज़ल : महल हमने इक बनाया है

2122 1212 22 

काफि़या ( Qafiya)आया

रदीफ (Radeef)  है

जो महल हमने इक बनाया है।

हाँ वहीं तेरा बुत सजाया है।


बन गया है महल ,मगर उसको।

 देखने कोई गया ना आया है।


छोड़ आया तेरी मैं यादों को।

याद कर कर तुझे भुलाया है।


दिल में इक टीस भी उठी कोई।

तुमने जब जब मुझे हँसाया है।


हादसों से कभी गुजर आया ।

हाँ ,कभी तुमने भी बचाया है।


हाँ उड़ाया मजा़क मैनें भी, 

आपने भी न कम उड़ाया है।

11.46am 22 sept  2020

Monday, 21 September 2020

1411 गज़ल : (Gazal) गैरों के नाम ,कर तुम शाम देते हो

 1222        1222     1222

काफि़या ( Qafiya)आम

रदीफ (Radeef)  देते हो

हमें खुद बेहुदा काम देते हो। 

उसी का क्या  ये फिर ईनाम देते हो।


मिटे देखो तुम्हीं  पे हम दिलो जां से ।

कि बदनामी इसे अब नाम देते हो।


तुम्हें जिस बात का होना  गुमां था ना।

उसी इक बात पर इल्जाम देते हो।


हमीं इल्जाम देने के लिए हैं क्या।

गैरों के नाम ,कर तुम शाम देते हो।


 खुशी से साथ रहना चाहते हैं हम। 

 हमें पर तुम, गमों के जाम देते हो।


हमारे प्यार को ठुकरा दिया तुमने

ये और ऐलान सर ए आम देते हो।


12.10pm 21 Sept 2020

Sunday, 20 September 2020

1410 गज़ल (Gazal) तेरी यादों का जबर

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काफि़या ( Qafiya) अर

रदीफ (Radeef)  में

क्यों हमें तडपा रहे हो तुम अजी अब इस  सहर में।

आते हो तुम हमें क्यों  याद हरदम हर पहर में।


 बैठे रहते हम बना तनहाइयों को साथी अपना।

चाहे रहना है बहुत  मुश्किल तेरी यादों के नगर में।


सोचता हूं मैं कभी की भूल जाऊं याद तेरी 

पर नजर आ जाती हो तुम आज भी लचकी कमर में।


कशमकश  ही है लगी  रहती कि  तुझको भूलना है। 

सोचता हूं  भूल पाएंगे कहाँ हम इस बसर में।


यूँ बहुत ही तंग करती हैं मुझे ये तेरी  यादें

क्या जी पाऊँगा ,गया जो भूल  तुमको भी अगर मैं।


सोचकर अच्छा लगे है कोई जीने का सहारा

अब जी लेता हूं चलो तुम्हारी यादों के शरर में।

जबर -अत्याचार

शरर -अग्निकण

Saturday, 19 September 2020

1409 गज़ल(Gazal) जान लेके ही बताओगे मुझे, क्या बात है

 2122 2122 2122 212

काफि़या ( Qafiya) आज़

रदीफ (Radeef)  है

आप मेरे दिल में शामिल क्यूँ हुए , ये राज़ है।

आज मेरा दिल तो जैसे ले रहा परवाज़ है। 


जान लेके ही बताओगे मुझे, क्या बात है।

धड़कने बजती हैं जैसे, तू ही मेरा साज़ है।


सोचकर तुम  को लगा , सुरमइ ये रात है।

दिल के तारों को छू गई जो, तेरी ही आवाज़ है।


सादगी तेरी मैं आँखों में ले के मदहोश हूँ।

भा रहा तेरा मुझे अब ,हर अदा ,अंदाज़ है।


आज ही से जो खो बैठा होश में अपने यहाँ। 

कल को क्या हो, किसे पता ये,ये तो बस आगाज़ है।


मेरे दिल ने है चुना तुझे, बस इसी इक बात का।

क्या बताऊं मैं तुझे कितना मुझे जी नाज़ है।


जब देखो खोया ही रहता है ये दिल तो।

आ गया हो जैसे अब इस जिंदगी में पाज़(pause) है।


कर दिया ऐलान दिल ने अपने अंदर से यही

अब तो तू ही बस मेरा ,अब हमसफर हमराज़ है।


12.07pm 18 Septembee 2020 Friday


Friday, 18 September 2020

1408 गज़ल (Gazal) मत समझ बिन तेरे ना गुजा़रा हुआ

212      .212.  212.   212

 काफि़या (Qafiya)  आरा Aara

रदीफ(Radeef)  हुआ

चाह  के भी तो तू ना हमारा हुआ।

चाहतों को मेरी ,ना सहारा हुआ।


दी सजा प्यार की तूने मुझको सनम।

कश्ती को ना किनारा गवारा हुआ।


आँख महफिल में तो तुझ पे ही थी लगी।

पर तेरी तरफ से ना इशारा हुआ।


ना सही प्यार तेरा मेरे वास्ते।

यूँ सही, झंझटों से किनारा हुआ।


काट ली जिंदगी काम में हमने भी ।

मत समझ  बिन तेरे ना गुजा़रा हुआ।


13.01pm 2020

Thursday, 17 September 2020

1407 गीत (Geet) आज से तो मेरा दिल तेरा हो गया


212 212 212 212

आज उसने जो देखा मुझे चाव से 

मेरे दिल को तो जैसे मजा आ गया


मैं जो उनको जरा यूँ लगा चाहने 

उनको भी वैसे ही चाहना आ गया


प्यार मेरा तो है इक खुला आसमां

देखते देखते ही समां तू गया


आज जो भी कहे तू मेरे प्यार को 

आज से तो मेरा दिल तेरा हो गया


प्यार मेरे को एहसान ना तू समझ

ये तेरा था तभी तो तेरा हो गया

11.28 pm 16 Sept  2020 Wednesday 

Wednesday, 16 September 2020

1406 गज़ल(Gazal) मुझे भी किसी की जरूरत नहीं है

122 122 122 122

काफि़या ( Qafiya)अत

रदीफ (Radeef)  नहीं है

यहाँ पर किसी को जो फुरसत नहीं है।

मुझे भी किसी की जरूरत नहीं है।


मेरी बात को तुम गलत ना समझना।

मेरी भी कोई  यह शिकायत नहीं है।


मगर तुम जो यूँ ही किनारा करोगे

तो यह ही लगेगा कि कीमत नहीं है।


करोगे जो ऐसी खयानत यूँ हमसे।

तो भी पीछे आएं ये भी हालत नहीं है।


अरे छोड़ देंगे वो कूचा जहां पर।

कोई भी जहाँ मेरी इज्जत नहीं है।


रिफाकत तेरी मेरे काबिल नहीं है।

तुझे छोड़ना फिर ये लानत नहीं है।

( रिफाकत friendship) 

(खयानत Dishonest) 

7.00pm 16 September 2020

Tuesday, 15 September 2020

1405 गज़ल(Gazal) तुम्हीं से आस रखता हूँ


1222 1222 1222 1222

काफि़या (Qafia) आस Aas

रदीफ़ (Radeef)  रखता हूँ। (Rakhta Hun) 


तुम्हें चाहा तुम्हें पूजा तुम्हीं से आस रखता हूँ।

हसीं तस्वीर जो तेरी   उसे में पास रखता हूँ। 


अभी क्या चाहे  औरों से जो हो अपने तो कह दो तुम

तुम्हारी हाँ के इक अल्फाज से पुरआस रखता हूं।


न वादा तोड़ना अपना न हमको भूल जाना तुम।

तुम्हें मैं याद   रात ओ दिन व बारह  मास  रखता हूँँ। 


तुम्हारे बिन न कोई और आएगा निगाहों में।

तेरी खाके कसम अब तो यहीं उपवास रखता हूँ। 


न  अब तू तोड़ना वादा जो खाई है कसम वो भी

तू वादे का पक्का है मैं यही विश्वास रखता हूँ। 

Monday, 14 September 2020

1404 गज़ल (Gazal) चिंगारी लगाकर आ रहे हैं

1222 1222 122

काफि़या (Qafiya) आकर Aakar

रदीफ़ (Radeef) आ रहे हैं (Aa Rahe Hain)


बहाने वह बनाकर आ रहे हैं।

कहाँ वो दिन बिता कर आ रहे हैं।


कभी  निकले बता कर जो न घर से ।

अजी अब तो बता कर आ रहे हैं।


अजब गर्मी के इस माहौल में भी।

वो चिंगारी लगाकर आ रहे हैं


हमें तो प्यार था उनसे ,कहाँ वो ,

मेरी बातें बना कर आ रहे हैं

 

 रही जिनको हर इक बारी थी जल्दी ।

 वे शिद्दत से  सुना कर आ रहे हैं।


न जाने क्या मोहब्बत है मेरे से ।

मुझे फिर से सताकर आ रहे हैं।



कभी जो देख सकते थे ना आँसू।

हमें देखो रुला कर आ रहे है।

Sunday, 13 September 2020

U1403 जी नहीं करता

https://youtu.be/NYs6sxqrSyY

👆(see at 37th minute)

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धड़कता है दिल समझाएं कैसे की जी नहीं करता।  

रूठा है मुझसे यह, मनाएं कैसे कि जी नहीं करता।


डर है कहीं रूठ न जाओ तुम  इकरार ए मोहब्बत से।

तुम्हें हाल-ए-दिल बताएं कैसे कि जी नहीं करता।


डर है कहीं रूठ न जाओ तुम हमसे, हमारे प्यार से।

तुम्हारे दिल से दिल मिलाए कैसे कि जी नहीं करता।


मेरे दिल में तो आग लगी है इश्क ओ मोहब्बत की ।

तेरे दिल में ये आग जलाएं कैसे कि जी नहीं करता।



हर पल तुझे ही आँखों में बसाने को जी करता है ।

तेरी तस्वीर नजरों से हटाएं कैसे कि जी नहीं करता।


जब से देखा है तुम्हें नजरों के सामने अपने ।

सामने से जाएं भी तो जाएं कैसे कि जी नहीं करता।



तू कहता है प्यार ना कर ,मानना तो चाहता हूँ ।

पर यह कसम प्यार की उठाएं कैसे कि जी नहीं करता।


बहुत हुई आँखों आँखों की तकरार अब बता।

बिगड़ी बात बनाएं कैसे कि जी बहुत करता है।

10.55pm 13 September 2020



Saturday, 12 September 2020

1402 हमें जीने के बहाने आ गए

 जब जरूरत थी कोई आया नहीं,अब सब बताने आ गए।

अब साथ देने आए हैं सब ,जब मेरे ठिकाने आ गए।


वक्त का पहिया घूमता है जब , बदल जाता है पल में सब 

बीत गए दिन गम के मेरे , खुशी के अब जमाने आ गए।


जब तक था गम कोई साथ नहीं था, याद हैं मुझको वह दिन।

आज जब मैं खुश हूँ तो,क्यों सारे खुशियाँ बँटाने आ गए।


कोई कुछ भी कहे हमें अब,हम किसी की अब ना मानेंगे।

वह दिन गए जब लोग , बातों से हमें बहलाने आ गए।


अब तो पास है मेरे, मेरी ज़मीं और है मेरा आसमान।

अब तो हमारे इस दुनिया में कई कई फसाने आ गए।


अब ना फिक्र है हमें ज़माने के फसानों कि, या बातों की।

हम जो चाहें वही करेंगे  हमें जीने के बहाने आ गए।


9.49m10September 2020

Friday, 11 September 2020

1401 जब तू किसी का हो जाएगा

 क्यों समझता है ये तू ,कि प्यार तेरा खो जाएगा।

समझ आ जाएगा तुझे,जब तू किसी का हो जाएगा।


जिंदगी तो सफर की तरह है, यह तो चलती जाएगी। 

संभाल के रख सामान ,नहीं तो यह खो जाएगा।


यह तो तेरे खुद पे है ,तू जिंदगी जीता है कैसे ।

कोई हँस के काट लेगा ,कोई यहाँ रो जाएगा।


चाहे बना तू आशियाने ,चाहे कर दौलत खड़ी ।

पीछे छूट जाएगा सब,जब दूसरे जहां को जाएगा।


छोड़ दे यहाँ का यहाँ  ,जब उस जहान को जाएगा।

मुक्त होगा मोह माया से ,मुक्ति तभी तो पाएगा ।



यह समझ ले तू,कुछ भी यहाँ सदा के लिए नहीं है।

समझ गया इस बात को जो ,मुक्ति यहाँ वो पाएगा।


कुछ समझेगा नहीं, जब तक फँसा रहेगा तू फेर में ।

छोड़ देगा जब यह बातें समझ तब ही तो आएगा।


9.22am 10September 2020 

Thursday, 10 September 2020

1400 मेरी पहली शिक्षक: मेरी माँ

 हम विद्यार्थी हैं  जीवन की इस कक्षा के ।

जीवन की ही, इस जीवन में, शिक्षा लेनी है।


प्रकृति हमें रोज करती है पोषित ।

हमें इसे भी , गुरु दक्षिणा देनी है।


पर माँ ने मुझको प्राण दिए और ज्ञान दिया।

पहली शिक्षक बन आई, जीवन में सम्मान दिया।


वो ना होती तो ना जाने जीवन कैसा होता ।

शायद,कोई बिना ध्येय के हो ,ऐसा होता।


 मेरी पहली शिक्षक मेरी माँ है ।

उस पर जीवन का हर सुख कुर्बान है।


कैसे चलना है, इस जीवन की कक्षा में ।

मैंने जाना उस देवी की सुरक्षा में।


उसने ही मुझे भले बुरे का ज्ञान कराया।

पग पग पर उसने हर आँच से मुझे बचाया।


कैसी रहती थी वह, हर पल ,हर पग, मेरे साथ।

चाहे डाँटती ,पर दिखाती ,कैसे करना है जीवन पथ को पार।


पढ़ने का ज्ञान भी पाया मैंने पहले उससे ।

उसी पढ़ाई की बदौलत हुई पहचान सबसे।


आज हूंँ आपके सामने सफल और संपन्न।

मैं ना चुका पाऊँगा, जीवन भर उसका ऋण। 


सब बच्चों की पहली शिक्षक माँ होती है ।

गरम रेत पर, वो एक ,ठंडी छाँव होती है।


तुम्हें सिखाती है संभल कर हर पग रखना।

और सिखाती कैसे गिरने पर है संभलना।


आओ उसका सत्कर्म से हम मान बढ़ाएं ।

उसका सम्मान करके, अपना जीवन महान बनाएं।

2.58pm10 September 2020


Wednesday, 9 September 2020

1399 बचपन के किस्से ,बचपन में ही रह गए

 बचपन के किस्से कहीं ,बचपन में ही रह गए ।

जवानी आई तो ,ख्वाब बचपन के ढह गए।


बड़ी मेहनत से,कश्ती सजाई  अरमानों की।

कश्ती चलने से पहले, ही किनारे बह गए।


अपनी दोस्ती पर ,बहुत भरोसा था हमें।

वह पर जाने क्यों,सब के आगे सब कह गए।


कहीं हो जाए न बदनाम ,दोस्ती हमारी ।

इसलिए ही सब तोहमतें, चुपचाप हम सह गए।


बड़ा गुमान करते थे ,खुद पर और होसलों पर ।

ठोकरें ऐसी  लगी, कि हौसले सब लह (उतर) गए।



जिंदगी जो  गुजरी ,साथ उनके,हसीन थी ।

पता ही न चला पर , कब आए कब वह गए।


12.27pm 9 September  2020 Wednesday 


Tuesday, 8 September 2020

1398 नज़म : दिल किया तेरे हवाले ,जान भी की है

 और कितना हराना चाहता है तू मुझे ।

जबकी मैं खुद को ही हार चुका हूँ तुझे।


दिल किया तेरे हवाले ,जान भी की है।

और  बता दे तू क्या क्या मैं दूँ तुझे।


जब से चाहा मैनें ,बस चाहा है तुझे।

कर चाहे जितने सितम, पूजता हूँ तुझे।


चाहा था गर्दिशों में कोई साथ देगा ।

हर दम मैं वक्त का मारा लगा हूँ तुझे।


हर किसी का एक रोज़ वक्त आता है यहाँ।

 अब  इस बात का भी क्या , सबूत दूँ तुझे।


वह वक्त आएगा जिंदगी में कभी ना कभी।

जैसे मैं याद करता हूँ ,करेगा तू मुझे।

10.22pm 8 September  2020

Monday, 7 September 2020

1397 बता चैन पाऊं कैसे

 मैं दूर तुझसे बता जाऊं कैसे।

जाऊँ तो बता चैन पाऊं कैसे।


भटक रहा हूँ दिलबर मैं यहाँ वहाँ ।

इस दिल को मैं चैन दिलाऊं कैसे।


राह कोई अब दिखती नहीं मुझको।

दीया कहीं कोई जलाऊँ कैसे।


नाकामियों ने दामन थाम रखा है ।

कामयाबी मैं बता पाऊं कैसे।


अनजान सी लगती है अब हर डगर ।

बता डर अपना मैं मिटाऊँ कैसे।


तु साथ चले तो आसान हो रास्ते ।

बिन तेरे मंजिल बता पाऊं कैसे।


तेरे बिना अंधियारी है हर डगर ।

बता मैं अपना डर मिटाऊँ कैसे।



4.31pm 07 Sept 2020








Sunday, 6 September 2020

1396 बचा नहीं सकते , तो उजाड़ते क्यों हो


कुछ ठीक नहीं कर सकते तो फिर बिगाड़ते क्यों हो।

जो लगा नहीं सकते कुछ ,तो फिर उखाड़ते क्यों हो।


प्यार की भाषा क्या बहुत है मुश्किल, क्रोध करना आसान है?

प्यार करने का धैर्य रखो, इस तरह किसी को लताड़ते क्यों हो


बनना और बिगड़ना तो, यूँ भी नियम है इस दुनिया का।

जिसे तुम चाहते थे, वह बिखर गया तो, यूँ निहारते क्यों हो।


कोशिश तो अपनी कर देखो किसी को बचाने की।

हिम्मत नहीं है जो बचाने की, तो उनको उजाड़ते क्यों हो।

3.35pm 06 Sept 2020

Saturday, 5 September 2020

1395 चलो शरारत करते हैं

 चलो इक बार आज फिर शरारत करते हैं।

एक बार फिर अपने बचपन को याद करते हैं। 


मैं तुझ को छूकर भागूँ, तू मुझे छू लेना।

चलो फिर किसी बात पर झूठ मूठ सा लड़ते हैं।


मान जाते थे जैसे खुद ही दो मिनटों में।

चलो फिर उसी तरह से आज हम झगड़ते हैं।



भूलकर आज के सब झंझट और झमेले।

चलो  बचपन की गलियों में आज निकलते हैं।


दौड़ना ना सही, उन कटी पतंगों के पीछे,

चलो किसी शांत जगह बैठ उनको तकते हैं।


लुका छिपी का खेल बहुत दिखाया जिंदगी ने। 

आओ वही बचपन वाली लुक्का छिप्पी करते हैं।


मन तो अभी भी बच्चा है ,बातें वैसी करते हैं।

सोच में ही दौड़ लेते हैं, चाहे पैर न चलते हैं।


नाव पानी में चला,कीचड़ में छप छप करते है।

आओ चलो बरखा में जरा बाहर निकलते हैं


आओ भूल जाएं यहाँ खुद को और सबको।

 बस अब हम क्या कर रहे हैं यही सोचते हैं।


बातें नहीं करेंगे ,घर की और बाहर की।

खेल खेल के खेल खेल में दिल हल्का कर लेते हैं।


तू रूठ ,कभी मैं रूठूँ ,चलो फिर मनाते हैं।

बेकार की बातें कर, मन हल्का कर लेते हैं।


क्या यह हो सकता है ? सोचने में क्या जाता है।

सोच रहा हूँ,चल सोच कर ही कर लेते हैं।

9.56am 4 Sept 2020 Friday

Friday, 4 September 2020

1394 शिक्षा (Shiksha) Education

 शिक्षा ऐसा शस्त्र है, जो किसी भी देश का अभिमान है।

इस शास्त्र के प्रयोग से ,आ जाती फिर राष्ट्र में जान है।


उच्च नीति ही नहीं उच्च शिक्षा व्यवस्था का भी प्रबंध हो।

जिसमें शिक्षा ऐसी हो कि राष्ट्र से सीधा संबंध हो।


भारत ने हमेशा विश्व में, शिक्षा में नाम कमाया है।

भारत का सब ज्ञान , इसके ग्रंथों में ही समाया है।


अक्रामकों ने आ के हमारी शिक्षा को छिन्न-भिन्न किया है।

और अपनी शिक्षा पद्धति फैलाकर कुमार्ग दर्शन किया है। 


अंग्रेज़ वेद ले गये ,और ज्ञानी बनना चाहते हैं।

हमारी शिक्षा की ढाल से, महान बनना चाहते हैं।


हमारी शिक्षा का इतिहास जग में गौरवशाली है।

 बस हमें इसे आगे बढ़ाकर , करनी रखवाली है।


शिक्षा वही है जो देश के गौरव को आगे बढ़ाये।

मेरा अनुरोध ,इस वाक्य को जन-जन तक पहुंचाएं।


12.55pm 31 Aug 2020 Monday 


shiksha aisa shastr hai, jo kisee bhee desh ka abhimaan hai.30

is shaastr ke prayog se ,aa jaatee phir raashtr mein jaan hai.


uchch neeti hee nahin uchch shiksha vyavastha ka bhee prabandh ho.

jisamen shiksha aisee ho ki raashtr se seedha sambandh ho.


bhaarat ne hamesha vishv mein, shiksha mein naam kamaaya hai.

bhaarat ka sab gyaan , isake granthon mein hee samaaya hai.


akraamakon ne aa ke hamaaree shiksha ko chhinn-bhinn kiya hai.

aur apanee shiksha paddhati phailaakar kumaarg darshan kiya hai.


 


angrez ved le gaye ,aur gyaanee banana chaahate hain.

hamaaree shiksha kee dhaal se, mahaan banana chaahate hain.


hamaaree shiksha ka itihaas jag mein gauravashaalee hai.

 bas hamen ise aage badhaakar , karanee rakhavaalee hai.


shiksha vahee hai jo desh ke gaurav ko aage badhaaye.

mera anurodh ,is vaaky ko jan-jan tak pahunchaen.

(English  Meaning) 


Education is such a weapon, which is the pride of any country.

With the use of this scripture, she comes to life in the nation.


Not only higher policy, higher education system should also be managed.

In which education is such that there should be direct relation with the nation.


India has always earned a name in the world, in education.

All knowledge of India is contained in its texts.


The aggressors have come and broken our education.

And by spreading his education system, he has seen the way.


The British took the Vedas, and wanted to become knowledgeable.

With the shield of our education, we want to be great.


The history of our education is glorious in the world.

 We just have to take care of it, by pushing it forward.


Education is the one that will advance the pride of the country.

My request, convey this sentence to the people.


Thursday, 3 September 2020

1393 शिक्षा और शिक्षक (गुरु) Shiksha or Shikshak(Guru)Education and teacher

 अंतर बहुत है, किसी के, सीखने में और पढ़ने में ।

पढा़ हुआ भूल जाते हैं हम,पर सीख कर कभी नहीं।


शिक्षा ही दोनों पहलुओं को आपस में जोड़ती है ।

यह वह है जो पढ़ने को सीखने की तरफ मोड़ती है।



हमारी संस्कृति है दुनिया में सबसे अनमोल संस्कृति ।

आ गई हैं जो भ्रांतियांँ, करनी होगी दूर वह विकृति।


होगा अच्छे देश का निर्माण ,शिक्षा जो होगी सही।

यह संभव हो पाएगा तभी , जो शिक्षक वर्ग होगा सही।



शिक्षक को जब आत्मसात होगा सही गलत का ज्ञान।

तब ही तो कर पाएगा शिक्षक ,विद्यार्थी का अच्छा निर्माण।


अच्छे विद्यार्थी करेंगे हमारे देश का ऊँचा नाम ।

और पाएगा देश हमारा, दुनिया में उत्तम सम्मान।


सच है,अच्छी शिक्षा है राष्ट्र के निर्माण का आधार ।

अच्छा शिक्षक ही बन सकता है इस देश का कर्णधार। 


आओ मिलकर भारत के उज्जवल भविष्य का निर्माण करें।

और फिर भारत के आगे दुनिया झुक कर प्रणाम करे।

9.31am 2Sept 2020 Wednesday 


Antar bahut hai, kisee ke, seekhane mein aur padhane mein .

Padha hua bhool jaate hain ham,par seekh kar kabhee nahin.


Shiksha hee donon pahaluon ko aapas mein jodatee hai .

Yeh veh hai jo padhane ko seekhane kee taraph modatee hai.



Hamaaree sanskrti hai duniya mein sabase anamol sanskrti .

Aa gaee hain jo bhraantiyaann, karanee hogee door vah vikrti.


Hoga achchhe desh ka nirmaan ,shiksha jo hogee sahee.

Yeh sambhav ho paega tabhee , jo shikshak varg hoga sahee.



Shikshak ko jab aatmasaat hoga sahee galat ka gyaan.

Tab hee to kar paega shikshak ,vidyaarthee ka achchha nirmaan.


Achchhe vidyaarthee karenge hamaare desh ka ooncha naam .

aur paega desh hamaara, duniya mein uttam sammaan.


Sach hai,achchhee shiksha hai raashtr ke nirmaan ka aadhaar .

Achchha shikshak hee ban sakata hai is desh ka karnadhaar. 


Aao milakar bhaarat ke ujjaval bhavishy ka nirmaan karen.

Aur phir bhaarat ke aage duniya jhuk kar pranaam kare.

(English Meaning) 


There is a lot of difference between someone, learning and reading.

We forget what we read, but never forget after learning.


Education combines the two aspects.

It is this that turns reading to learning.



Our culture is the most precious culture in the world.

Misconceptions that have come, will have to be removed.


A good country will be built if  education will be right.

This will be possible only if the teacher is correct.



When the teacher will imbibe the knowledge of right and wrong.

Only then will the teacher be able to build a good student.



Good students will make a high name for our country.

And the country will find our best honor in the world.


True, good education is the foundation of nation building.

Only a good teacher can become the helm of this country.


Come together to create a bright future for India.

And then whole world bow before India .

Wednesday, 2 September 2020

1392 नजर मिली जो ,झुका कर नजर सलाम कर लेंगे

 यूँ तो  ख्याल रखते हैं कि ना हो हमारा आमना सामना।नजर मिल जाए जो उनसे ,झुका कर नजर हम सलाम कर लेंगे।

खैरियत जान कर भी क्या कर लेंगे , जो नजरें मिलाते नहीं।अगर हाल बुरा भी होगा तब भी बताओ हम क्या कर लेंगे।

दुश्मनों की नजर लगी हमें ऐसी जो  बढ़ गई दूरियाँ।

कभी सोचते हैं , नजर मिलाओगे तो तुम्हें पास कर लेंगे।


यूँ तो चाहत है मेरी, एक हो जाएं हम दोनों सदा के लिए।

ना भी मिले तो, तु खुश रहे,यही खुदा से हम दुआ कर लेंगे।


लिखा है जो भी जिसकी किस्मत में, होगा तो वही जिंदगी में।

यही सोच कर जिंदगी अपनी ,जिस हाल में हो बसर कर लेंगे।

11.20am 1 Sept 2020

Tuesday, 1 September 2020

1391 क्या हमें यूंँ आज़माना लाज़मी है? Sher o Shayri

https://youtu.be/icQgZsrHZHU


https://youtu.be/DEQwYBrq4qc


https://youtu.be/OuIkpCzkihQ

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2122 2122 2122

जो तेरा यूँ मुस्कुराना लाज़मी है।

तो मेरा भी गुनगुनाना लाजमी है।


छेड़ जाना तेरा दिल के तार को तो।

मन मेरा भी, गुदगुदाना लाज़मी है।


जो झुका ही ली हैं नज़रें देखकर तो। 

क्या तेरा फिर बुदबुदाना लाज़मी है?


जान पाए थे न तुम क्या कह गए। 

बोल कर क्या चुप हो जाना लाज़मी है।


एक तेरे हुस्न का ढाना सितम वो ।

और फिर, क्या कसमसाना लाज़मी है?


काबु इन जज्बात को करना था मुश्किल।

क्या तेरा फिर उकसा जाना लाज़मी है?


प्यार है,तो है हमें इक दूसरे से ।

क्या हमें यूंँ आज़माना लाज़मी है?

4.31pm 31 Aug 2020