Oct 2020
तू मेरे सामने रहे जो इस कदर
तो किसे होश है कहीं और जाने की।
जब हुए हैं हम तेरे प्यार में दीवाने।
तो किसे होश हो यहां फिर जमाने की।
रास्ते खो गए सभी भटकते भटकते ।
किसी ने कोशिश न की ठिकाने पहुंचाने की।
थे हजारों तूफान राहों में पर परवाह नहीं की ।
चाह जो ना थी जब मंजिल को पाने की।
11.40. 1 oct 2020
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