क्या करें कैसे करें अब काम को ।
छोड़कर अब सारे आराम को।
अब हौसलो ने जवाब दे दिया ।
थाम नहीं पाता हूं अब लगाम को।
इस टूटी आस का क्या करूं।
तुम भी ना छोड़ देना इस नाकाम को।
गर्दिशों में है अब हर एक पल मेरा।
छूट जाएं यह सांसे जाने किस शाम को।
3.33pm 3 Oct 2020
2 comments:
उत्तम।
लेकिन भावपूर्ण।
धन्यवाद
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