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Thursday, 15 October 2020

1435 रावण के कितने पुनर्जन्म

 

रावण चाहे सीता को उठा लाया था ।

पर उसने,सीता को हाथ भी ना लगाया था।

मति मारी गई थी उस रावण की ।

जब उसने यह बुरा कर्म कमाया था।

पर उसने किया, जो भी कर्म स्वार्थ हेतु।

 सबने देखा,उसका नतीजा भी सामने आया था।


आज फिर रावण जैसे धरती पर उद्धृत हो रहे हैं।

रक्तबीज बनके ये देखो फैल रहे हैं।

कुमति छा गई है इनके दिमाग पर ।

पल-पल देखो अपराध हो रहे हैं।

सीता,राम जैसों की  कौन सुनता है ।

शरीफ लोग किस्मत को रो रहे हैं।


क्या हर युग में रावण पैदा होते जाएंगे ।

क्या इस रक्तबीज का अंत ना हम कर पाएंगे।

धरती भारी होती जाएगी पाप से ।

क्या इसे हल्का करने को ,पुण्य ना कर पाएंगे।

 जीना मुश्किल हो गया है यहां सीता और राम का।

 रावण के और कितने पुनर्जन्म होते जाएंगे।


कुछ तो करना होगा हमको सब मिल अपराध हटाने को।

कदम तो उठाना होगा अपराधियों को मिटाने को।

सुविचारों  वाले सब मिलकर आगे आओ ।

कदम उठाओ ,दुर्मति वाले लोगों को भगाने को।

सजा जब मिलेगी, तभी होगा बंद यह सिलसिला।

कोई और कहीं से नहीं आने वाला रामराज्य लाने को।

14.38pm 14 Oct 2020

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