दो ही आंखें ऐसी थी ।
जो मेरे पैदा होने पर चमकी थी।
नाच नाच के खुशी मनाई थी।
हॉस्पिटल में ही धूम मचाई थी।
सब टक टकी लगा देख रहे थे उसकी ओर ।
लेकिन वह था खुशी के मारे भाव विभोर।
उसके आंगन में खिली थी नन्ही कली ।
उसके दिल में मची इक खलबली।
मचल रहा था उसको बाहों में लेने को।
सीने से लगा ,अरमान पूरे करने को।
धन्य हुई मैं पाकर ऐसे पापा को।
चाहूं हर बेटी के ऐसे ही पापा हों।
मेरे पापा करते मेरी हर विश पूरी।
सब लुटा देते कि रह जाए ना अधूरी।
मैंने पाया उनको मेरे लिए हमेशा खड़ा ।
कोई हीरो नहीं मेरे लिए उनसे बड़ा।
क्या सभी को मिलते हैं ऐसे पापा।
कुछ तो होंगी तरसती हैं आंखें।
बाप का प्यार पाने को मचलती आंखें।
जिन आंखों में रहती होगी तमन्ना हमेशा।
कि उनके घर आए तो बस बेटा।
कितना दुखी होता होगा उस बेटी का दिल ।
जो सामने देख भी पापा से ना पाती होगी मिल।
बस निहारती होगी दूर से।
सोचती होगी यह दूरी है किस कसूर से।
पड़ती होगी कभी प्यार की नजर ।
तो आ जाती होगी चेहरे पर चमक।
चाहत है हर बेटी को मिले ऐसे ही पापा ।
जो चाहे यूं ही बेटी को हमेशा।
मेरी है बस यही तमन्ना ।
हर जन्म में तुम ही मेरे पापा बनना।
9.45am 08 Oct 2020
4 comments:
Very nice! Wellcomposed.
Bahut Sunder
Thanku ji
Thanku ji
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