सब तुझको चाँद की तरह कहते हैं।
क्या तुमको सूरज सा नहीं कह सकते।
सूरज का क्या ताप ही दिखाई देता है ।
वह जो रोशन करता चाँद,सितारों को ।
रोशन करता दुनिया भर के नजारों को।
क्या उसका गुण नहीं दिखाई देता है।
ऐसे ही मेरा जीवन तुझसे रोशन है।
जो मैं कह दूँ, तुमको सूरज सा तो,
क्या उसकी गर्मी का ही ख्याल आता है ।
क्या चाँद बोलने पर ध्यान नहीं आता ,
रूप बदले हर दिन,अपनी कोई रोशनी नहीं ,
सूरज से ही पाकर रोशनी, जो चमकता है।
मैं तो कहना चाहता हूंँ,तुमको सूरज।
क्योंकि तुझसे ही है मेरा जीवन रोशन ।
तुमसे ही तो मेरा जीवन चलता है।
तुम चाहे गर्म हो जाओ मुझ पर,
पर मानता हूँ ,मैं उसको उपकार।
क्योंकि सौदा फिर भी फायदे का रहता है ।
ठंडक में गर्मी भी चाहिए।
सब वनस्पतियाँ सूरज से ही हैं।
मेरा तापमान तुझसे ही सम रहता है।
11.24 am 09 Oct 2020
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