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Monday, 19 October 2020

1439 जय माँ देवी चंद्रघंटा

 

माँ चंद्रघंटा स्वर्ण वर्ण है ,भूरे एवं स्वर्ण वस्त्र धारण जो जातक भी पाठ करे।

उस साधक में माँ वीरता निर्भयता के साथ, सौम्यता और विनम्रता के गुण भरे।


माता के तीन नेत्र दस हाथ इनमें कमल,गदा,बाण,धनुष, त्रिशूल,खड्डग,खप्पर,चक्कर और अस्त्र-शस्त्र हैं धारण।

या देवी सर्वभूतेषु माँ चंद्रघंटा रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः करो उच्चारण।


माता हो शेर पर सवार युद्ध लड़ने को ,दुख हरने को तैयार और करने को राक्षसों का संहार।

माँ चंद्रघंटा कर प्रेत बाधा दूर, दिव्य सुगंधियाँ अनुभव कर साधक को होते अलौकिक वस्तुओं के दर्शन कई बार।


माँ चंद्रघंटा की उपासना से मानव समस्त शारीरिक कष्टों से मुक्ति पा जाता है।

माँ को सफेद रंग का भोग जैसे दूध ,खीर ,शहद बहुत ही मन भाता है।


माँ चंद्रघंटा के सौम्य स्वरूप को है सुगंध बहुत ही प्रिय।

करो माता की उपासना समस्त सांसारिक कष्टों से शांति पाने के लिए।

17.50pm 19. Oct 2020

 

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