2212 1212 2212 1212
काफि़या ( Qafiya)अम
रदीफ (Radeef) नहीं
ऐसा नहीं कोई भी जिसकी जिंदगी में गम नहीं।
पर इसको भाव दें बहुत ऐसे भी कोई हम नहीं।
गम और खुशी का ताना-बाना जिंदगी हरेक की।
रहती कभी भी जिंदगी देखो किसी की सम नहीं।
जी हँस के मुस्कुरा के अपनी जिंदगी यहाँ पे तू।
ये काटना तो जिंदगी को तोहमत से कम नहीं।
कर शुक्रिया खुदा का नेयमत जिसने बक्शी है तुझे
उलझा रहेगा तो तू पाएगा कभी भी शम (मोक्ष, शांति) नहीं।
तू सोच कैसे जीनी है अपनी ये जिंदगी तुझे।
कोई बदल दे सोच फिर ऐसा किसी में दम नहीं।
क्यों देखता है रहता तू औरों को जी यहाँ वहाँ।
क्यों रंग में तू अपने ही भावों के जाता रम नहीं।
11.31am 12 Oct 2020
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