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गैर मुरद्दफ गज़ल
काफि़या( Qafiya ) अब
किस बात का करूं ,बता तुम पर यकीन अब।
क्या क्या नहीं हुआ, तुम्हारे थे करीब जब।
जब देखता तुझे, तो धड़कन जाती थी ये थम।
जल जाते देख कर तू आती थी,करीब जब।
कुछ देर जो ना देखूं बन जाती थी जान पे।
सच में तुम्हें देखना ही होता था नसीब तब।
क्या दिन थे वो भी, जब कोई अपना ना था यहाँ।
मेरे सभी थे , जिंदगी में हाँ रकीब जब।
तुम पास थे ,था हर नजारा जवां यहाँ।
था आसमान भी नजर आता ,हसीन तब।
7.24pm 11 Oct 2020
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