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Monday, 5 October 2020

1425 तू ही मेरा हमसफ़र हमसाया है

 जब से तू मेरे सपने में आया है ।

तब से तू मेरे दिल पर छाया है।


जब भी सोचूँ कभी तेरे बारे में मैं।

 यादों ने तेरी मुझ को तड़पाया है।


बंद आंखों से भी देखूं तस्वीर तेरी।

खोलूँ आंखें तो, तेरा ही साया है।


खेले है जिंदगी , कैसे कैसे खेल ।

जीस्त ने मुझे कितना भरमाया है।


आके जरा मिल  और कर ले तू पहचान।

 अब तो तू ही मेरा हमसफ़र हमसाया है।

11.40am 5 Oct 2020

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