2122 2122
काफि़या( Qafiya) हाँ
रदीफ। (Radeef) है
क्यों तड़पते हम यहाँ हैं ।
दूर वो इतनी वहाँ हैं।
साथ पूरा हो गया ,अब,
पल दो पल का साथ था अब,
मुद्दतों की दूरियाँ हैं।
खुद से अब मैं क्या कहूँ जब।
कुछ नहीं कहती जुबाँ है।
माँ गई जब छोड़कर सब ।
हो गया सुना जहां है।
कर करम तू ,छोड़ कर सब
आ वहाँ से, तू जहाँ है।
रुक रही है साँस अब तो
आखिरी शायद समाँ है।
अब न कोई बात होगी।
तुम वहांँ और हम यहाँ हैं।
फिर न कोई बात होगी ।
हम कहाँ फिर तू कहाँ है।
11.35am 11 Oct 2020
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