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Friday, 16 October 2020

1436 गज़ल : पूछे ना कोई बात

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काफि़या ( Qafiya) आअ

(गैर मुरद्दफ़ गजल)

सब दूर से देखें मेरी हालत को, पर पूछे ना कोई बात।

मैं मिट गया, कर याद उसको, पर कहाँ करती कभी वो याद।


पग पग पे  ठोकर खा के मैं तो गिरता पड़ता और संभलता।

 करता रहा पाने की तुझको मैं सदा ही तो यहाँ   फरियाद।


 कैसी ये दुनिया और कैसी   रीत इस दुनिया की देखो तो। 

दुनिया की ऐसी रीत से ही,तो बना जीवन ये दिन से रात।


है घोर अंधेरा यहाँ,मुश्किल हुआ है रास्ता देखो।

पाया तो मैंने कुछ नहीं, पर हो  गया बर्बाद मैं करके प्यार ।


जाऊँ कहां मैं अब किसी भी और ऐसे मे,बता मुझको। य। 

 देखूं जिधर, जाऊँ जिधर /उस ही दिशा/ में आए है तूफान। 

14.21pm 15 oct 2020

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