मां कालरात्रि का शरीर काला ज्यूँ अंधकार।
गले में पड़ी माला, चमकती बिजली समान।
अपने वाहन गदर्भ(गधा) पर बैठ किया रक्तबीज का नाश।
ऐसे ही करें माता अकाल मृत्यु का भय और शत्रु का विनाश।।
एक हाथ में खड़ग, दूसरे लौह शस्त्र, तीसरे अभय मुद्रा चौथे वर मुद्रा।
करो माँ को अर्पण गंगा जल,गंध, पुष्प,अक्षत, पंचामृत होगी कृपा।
रूप भले भयंकर, पर देती शुभ फल और शुभंकरी कहलाई।
नाम लेते ही आसुरी शक्तियाँ हों भयभीत, है ऐसी कालरात्रि माई।
देवी काली, महाकाली ,भद्रकाली, भैरवी ,मृित्यू, रुद्रानी,
चामुंडा, चंडी ,रौद्री ,धुमोरना और दुर्गा रुपणी कहलाई।
सातवें नवरात्रे, माँ काली की करो पूजा, कृपा बरसेगी अपार।
ओम ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै ऊँ कालरात्रि दैव्ये नम:।’जपो 108 बार।
2 comments:
बहुत भावना सहित और प्रखर ज्ञान के साथ माँ की स्तुति।
अद्भुत।
आपके पास ज्ञान का भंडार है, वह भी प्रभु की कृपा है।
आपका बहुत-बहुत धन्यवाद
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