Followers

Wednesday, 30 June 2021

1693 जिंदगी की पहेलियां तो है उलझी उलझी

 कौन जाने कब कहाँ रास्ते बदल जाएं।

सीधे रास्ते चलते हुए मोड़ तीखे आ जाएं।।

सोचा हो मिलेगी मंजिल, इस राह पर मुझे,

पर रास्ते में तुम्हारे पस्त होंसले हो जाएं।

देखो

जिंदगी के रास्ते तो हैं ऊँचे नीचे।

सभी से इल्तजा रास्तों से न घबराएं।

जिंदगी की पहेलियां तो है उलझी उलझी,

ले मजा जिंदगी का उन्हें  सुलझाएं।

न भी सुलझे कोई पहेली, गम न कर ।

जिंदगी से नई पहेली पूछते जाएं।

5.03pm 30June 2021

Tuesday, 29 June 2021

1692 गज़ल Ghazal :अपने खुदा से प्रीत मुझ को भा रही

 2212 2212 2212

काफि़या आ Qafia Aa

रदीफ़ रही, Radeef rhi

मुड़ मुड़ के देखो याद तेरी आ रही ।

ऐसे भला तू क्यों मुझे तड़पा रही ।


जो दर्द मेरे दिल को तूने हैं दिए।

हर जख्म की है पीक रिस के आ रही ।


नासूर बन के जख्म मेरे जो बहे ।

अब जीस्त मेरी देख कर घबरा रही ।


तेरे हवाले छोड़ जाऊँ ये जहां ।

अब मौत मेरी पास मेरे आ रही ।


हर इक तमन्ना इस जहां की छोड़कर ,

अपने खुदा से प्रीत मुझ को भा रही।

5.45pm 29 Jun 2021

Monday, 28 June 2021

1691 माहिया छंद

1.) तू सबका हीरो है ।

करता बातें क्यों ,

जैसे तू जी़रो है।


 2.)यादों के घेरे में 

दिखता तू मुझको,

सपनों के घेरे में ।


 3.)सपने तू सच कर दे ।

लेजा डोली तू ,

घोड़ी पर चढ़कर के ।


4.)दुनिया आनी जानी।

खेला कुछ पल का ,

बाकी सब कुछ फानी ।


5.)आए हैं वह जाएंगे ।

कुछ हँस करके अर ,

कुछ रो कर जाएंगे ।


6.)दिल को संभालो तुम ।

डॉक्टर से जाकर 

चेक करवा लो तुम ।


7.)मैं तेरा राजा हूं ।

खाले खुश हो के ,

 मैं बिस्कुट ताजा हूँ। 

 

8.)सब कहते गोरी है ।

ताकत वाली ये

पिंड की छोरी है

17.58pm 28 June 2021


Sunday, 27 June 2021

1690 Dohe प्यार प्रेम प्रीत (दोहे)

 प्रेम प्रीत  के जाल में, भूल गया सब छोड़ ।

टेडा मेडा रास्ता, इसमें मोड़ ही मोड़।।


प्रीत जो चाहे छोड़ना, पर यह छोड़ न पाय।

 फँस गया इस राह में ,कैसे बाहर आय।।


प्रेम प्रीत की बाढ़ में ,डूब गया संसार ।

पर कोई न जान सका, इसका आरा पार।।


प्रीत करो तो डूब के,कोई देख न पाय।

चाहे जो भी देखना ,नज़र न उसको आय।

11.35am 27 June 2021

Saturday, 26 June 2021

1689 आत्महत्या (खुदकुशी)

 दोस्तों अगर आपको मेरी यह कविता पढ़कर जरा भी प्रेरणा मिली हो तो कृपया रिमार्क्स में जरूर लिखें ।मुझे बहुत खुशी होगी ,कि मेरा कुछ लिखना सफल हो गया और किसी की जिंदगी बचाने के काम आया।

 धन्यवाद बहुत-बहुत प्यार ।

जीवन बहुत मुश्किल से मिला है इसको व्यर्थ न करें ,अगर एक बात समझ नहीं आती तो दूसरी तरफ  खुद को मोड लें ,नया  कुछ करने की कोशिश करें । हो सकता है जो आप कर रहे हैं वह आपके लिए नहीं बना हो और कुछ बहुत अच्छा आपके इंतजार में हो ।

जिंदगी हसीन है बड़े बडे़ लोगों की जीवनियाँ पढ़ें, जिन्हें पहले कुछ नहीं मिलता बाद में वह बहुत बड़े आदमी बनते हैं, पर इसके लिए जीना बहुत जरूरी है ।आपका लंबा जीना बहुत जरूरी है ।

धन्यवाद



क्यों जि़दगी से हार जाते है लोग,

दे जाते है अपनों को जीवन भर का रोग।

क्यों सह नहीं पाते ज़रा भी बोझ।

क्या इतना कठिन है उठाना ये बोझ।


एक नहीं तो दूसरा रास्ता सही।

आते रहते हैं राहों में मोड़ कई ।

क्यों इनको गिर के संभलना नहीं आता ।

क्यों चलते हुए हौसला है छूट जाता ।


ताकत इनकी दे जाती है इन को धोखा,

और सोचते हैं जिंदगी में अब कुछ नहीं होगा।

ऐसा नहीं है जिंदगी में कि कुछ हो न पाए,

बदल लो रास्ता जब उस रास्ते पे कुछ समझ न आए। 


बनाओ साथी अपने नए-नए और ,

सजा लो उनके साथ सपने नए-नए ।

सब दुश्वारियां रह जाएंगी एक तरफ,

खिल जाएंगे जिंदगी के फूल हर तरफ।


उठो फिर आगे बढो़ और हौसला करो ,

जो आएं रास्ते में गम उनसे मत डरो।

नहीं चाहते जो आज की तरह जिंदगी जीना,

तो नये रंग भरने की इसमें कोशिश करो ।


नए रास्ते तलाश करो, नई सोच अपनाओ ,

फिर उन रास्तों पर आगे बढ़ने की कोशिश करो ।

एक ही जिंदगी में जी लो कई जिंदगियाँ,

साँसो की डोर न खत्म करो ।


जो जी रहे हो जिंदगी, पसंद नहीं आ रही हो  तो ,

ढंग बदलो जिंदगी का, और राह पकड़ के चलो।

मिल ही जाएंगी मंजिलें आंखिर तुमको ,

जब तक है जिंदगी जीते चलो, जीते चलो, जीते चलो।

6.40pm 26 June 2021

Friday, 25 June 2021

1688 योग

 करेंगे जो योग हम ,

रहेंगे निरोग हम ।

काया होती योग से निरोगी ।

योग से है इसकी साधना होती ।

करेंगे जो योग को मानके हम साधना ।

स्वस्थ रखने को शरीर  है ये आराधना।

जैसे स्वस्थ शरीर है जरूरी ,

स्वस्थ शरीर के लिए योग है जरूरी।

 योग तुम करना हर रोज़ 

शरीर फिर रहेगा निरोग ।

स्वस्थ शरीर में आते स्वस्थ विचार

स्वस्थ विचारों से ही होता उद्धार ।

स्वस्थ शरीर है उत्तम धन।

 इसके होने से रहता मन प्रसन्न।

 योग ही है स्वस्थ शरीर का आधार,

 सदा करते रहो योग तुम मन लगा।

3.05pm 18 June 2021


Thursday, 24 June 2021

1687 जी ले तू खुश होकर

उलझा उलझा तू सदा, रखता मन उदास ,

सोच समझ और कर खुश रहने का प्रयास ।

जीवन है तो जीना है करना पडे़गा काम ।

काम करले पहले तू, फिर कर लेना विश्राम ।

दूसरों को तू देख कर अपना मत मन जला ।

निष्पाप भावना तेरी, रखेगी मन तेरा उजला ।

आया है दुनिया में तू ,जी ले तू खुश होकर ।

क्या तू पा जाएगा , अगर जिएगा रो रो के।

8.25pm 24June 2021

Wednesday, 23 June 2021

1686 Dohe दोहे

 दौलत के पीछे लगा, सारा ये संसार ।

मानव ये सोचे नहीं, जाना है उस पार।।


कोशिश तुम करते रहो, मत मानो तुम हार ।

जीवन में तो कर्म ही, जीने का आधार। ।


आओ कुछ अच्छा करें ,मिलजुल कर हम काम।

पूरा करके ही सभी, लें आखिर  विश्राम।।


राह दिखाएं रहनुमा, देकर हमको ज्ञान ।

 लेकर उनकी सीख हम,बन जाए्ं विद्वान।।

4.38pm 23 June 2021

Tuesday, 22 June 2021

1685 सुस्ती हो जाए दूर

 सुस्ती है छाई सब पर,

मौसम चढ़ा जो ऐसा है ।

गर्मी से हुआ हाल बुरा ,

पारा बढ़ा जो ऐसा है।


बदहाल से घूमते हैं सब 

बच्चों का मुख मुरझाया है ।

धूप तीखी है हर जगह ,

दिखती कहीं न छाया है।


पडें जो चार बूंदे तो ,

सूखी ये धरती खिले ।

खिल जाए फूल सब,

तन मन को ठंडक मिले।


सुस्ती हो जाए दूर और,

सब अपने काम पर लगें।

खुशियाँ हों फिर हर तरफ ,

और हर तरफ बहारें खिलेंं।

6.45pm 22 June 2021


Monday, 21 June 2021

1684 अलमारी

 घर के उस कोने में पड़ी छोटी सी बंद अलमारी।

जिस पर हो रखी है बड़ी ही प्यारी  कलाकारी ।

पर वह उस कोने में पड़ी है बरसों से ऐसे ही,

मुझे लगता है वह कुछ है अधिक ही भारी।

क्या बंद कर रखा है उसमें कुछ ऐसा ,

किसकी यादों से भरी है वह अलमारी।

मेरी तरह क्या किसी और का ध्यान भी खींचती है ,

या मुझे ही लगी है ऐसी बीमारी।

देख ही डालूँ  क्या भीतर है  आज तो,

बैठे-बैठे यूँ ही मन में उठ गई चिंगारी।

तोड़ डाला फिर ताला उस अलमारी का।

जैसे अंत कर दिया हो मैंने अपनी बेकरारी का ।

भीतर देखा कुछ पन्ने पड़े हुए हैं,

कुछ बंधे कुछ यूं ही बिखरे हुए हैं।


क्या समेटूं कैसे समेटूं इनको ।


अक्षरों पर जब पड़ी नजर तो लग रहा था ,

किसी के प्यार के अफसाने हैं।

 जान तो पा रहा था मैं कि,

 यह आज के नहीं ,सदियों पुराने हैं।

 आज जमाना बदल गया ,

मोबाइल पर होती है दिल की बातें ।

और फिर मोबाइल खो जाते हैं ,

साथ ही खो जाती हैं उनके साथ की गई बातें।

यह पन्नों पर लिखी बातें तो अमर हो गई ।

लोग जाने कहाँ खो गए जिंदगानीयां खो गई ।

पर ,उन के अफसाने,

 यहीं हैं..... यहीं हैं.... यहीं हैं....।।।

7.50pm 21 June 2021

Sunday, 20 June 2021

1683 मोबाइल जो आ गए हैं

 अब कोई खत नहीं लिखता ,

अब कोई संदेशा नहीं आता ,

अब कोई डाकिया नहीं आता,

मोबाइल जो आ गए हैं।


अब कोई दूर नहीं लगता ,

अब किसी की याद नहीं सताती ,

जब जी चाहे बात हो जाती है, 

 मोबाइल जो आ गए हैं।


बात करने की क्या बात है, 

हर इंसान दिखता भी पास है,

क्योंकि दुनिया सिमट गई है,

 मोबाइल जो आ गए हैं।


इंटरनेट ने सब को एक दूसरे के

 सामने ला खड़ा कर दिया है

 फिर यह सन्नाटा क्यों है

 मोबाइल जो आ गए हैं..?

9.23pm 20 June 2021

Saturday, 19 June 2021

1682 कर्म ही पूजा है

 सुबह थी तब कुछ भी सोचा नहीं ,

धूप बढ़ती गई ,मैं थक सा गया।

साथ ही जिम्मेदारियों का भी,

बोझ मुझ पर और बढ़ता गया।


सोचा सब छोड़ छाड़ के चलुँ,

यह सोचने से भी बोझ बढ़ता गया ।

चल पड़ा हूँ फिर बोझ कम करने को ,

मैं इस तरह फिर आगे बढ़ता गया।


सफर चाहे शुरू हुआ इस तरह ,

कि जिम्मेदारियां पड़ी सर पर मेरे ।

पर इन्हीं जिम्मेदारियों की बदौलत,

मैं आगे ही आगे बढ़ता गया।


मुकाम पाया जिसका अंदाजा न था, 

कर्म को पूजा मैंने ,सम्मान बढ़ता गया।

सब छोड़ सिर्फ कर्म की पूजा में ही ,

मैं आगे ही आगे बढ़ता गया।

6.48 pm 19 June 2021

Friday, 18 June 2021

1681 जिंदगी की शाम है ढलने लगी

 दौड़ता फिर रहा हूँ, इधर से उधर ,

जिंदगी की शाम है,ढलने लगी ।

सोचता हूँ करूँगा आराम यह करके ,

हर रोज नयी ख्वाहिश है पलने लगी ।


भागता ही रहता हूँ इधर से उधर,

 रास्ता मंजिल का कम होता नहीं।

छाँव ढूंढता हूँ रहता, मैं ठंडी कोई ,

राह में पर ऐसा कोई पेड़ होता नहीं ।


कब तक यूँ ही चलता रहूंगा मैं,

आस रुकने की दिल में लिए ।

क्या तभी रुकूंगा मैं जब ,

बुझ जाएंगे जिंदगी के दिये।


समझ है मुझे सब मगर मैं 

मानता नहीं अपने दिल की कभी ।

कैसे सुनुँ बात इसकी मैं , 

शोर ही शोर है हर तरफ हर कहीं।


बहुत बो लिये तमन्नाओं के बीज,

 नहीं चाहता मैं और इनको बोना ।

मिले आराम पल भर को मुझे अब, 

चाहता हूँ कुछ देर शांति से सोना।

10.07pm 18 June 2021

Thursday, 17 June 2021

1680 Nazam नज़्म गीत : हाल हमने था जो लिखा खत में

 2122 1212 22

प्यार मैंने ,जो था लिखा खत में ।

याद तेरी पिरो लिखा खत में ।


दूर हालात ने किया हमको, 

रोए फिर हम ,जो थे लिखा खत में ।


खत को लिखते हुए बहे आँसू ।

वो स्याही लगा लिखा खत में ।


दूरियाँ दरमियाँ बनी चाहे। ।

फिर मिलेंगे कभी, लिखा खत में ।


खत लगा सीने से ये समझा था , 

पास हो तुम मेरे, लिखा खत में ।


बाँध मजबूरियाँ लिफाफे में,

तेरे घर का पता लिखा खत में।


यूँ लगा लिखके दिल की बातों को

बोझ हल्का हुआ ,लिखा खत में।

 10.20am 17 June 2021

Wednesday, 16 June 2021

1679 जब अपना कुछ खो जाता है

 जब अपना कुछ खो जाता है।

मन कितना फिर डूब जाता है।

कुछ भी फिर अच्छा नह लगता ,

सब जैसे बेगाना हो जाता है।


 डूब जाता है मन कहीं ,

चैन फिर आता नहीं ।

यादें  तड़पाती है  उसकी,

सीना छलनी हो जाता है।


क्या करें किसी से शिकायत ,

क्या करें शिकवा कोई ।

खो गई जब चीज अपनी,

 मिलता नहीं फिर जो खो जाता है।


कहते तो हैं कुछ भी होता 

अच्छे के लिए होता है ।

समझ नहीं आता फिर भी,

 क्या अच्छा जब कोई खो जाता है।

5.47pm 16 June 2021

Tuesday, 15 June 2021

1678 Ghazal गज़़ल :प्यार करना..ये कोई गलती है

 21 22 1212 22

Qafia alti काफि़या अलती

Radeef  hai,  रदीफ.  है

पहले चिंगारी एक पलती है। 

इश्क की आग फिर ये जलती है।


तोहमतें क्यों लगाती है दुनिया।

 प्यार करना..ये कोई गलती है।


मन में तस्वीर जब सजाता हूं ।

हर तमन्ना मेरी मचलती है।


बैठ जाता हूँ थाम दिल अपना ।

जब तू हिरनी सी चाल चलती है ।


देख चेहरा तेरा ये लगता है।

सुरमई शाम जैसे ढलती है ।


सुर्ख गेसु लटकते लगते हैं ।

चाँदनी रात जैसे फलती है ।


आ भी जाओ सनम..के बाहों में ।

दूरी दिल को बहुत ये खलती है ।

3.20pm 15 June 2021

Monday, 14 June 2021

1677 बदलाव

 बदलना नियम है दुनिया का,

जो नहीं बदलते हैंं वह ,

वहीं के वहीं रह जाते हैं।


चलना नियम है नदिया का ,

नहीं चले तो काई जैसे ,

उस पर वे जम जाते हैं।


समय के साथ बदलना ,

बहुत जरूरी होता है ।

नहीं तो जंग लग जाते हैं।


चलता दिमाग... तेज ,

बहता पानी.... स्वच्छ ,

जो न बदले रूढ़ी बन जाते हैं।

ऐसे समाज वहीं थम जाते हैं।

7.48pm 14 June 2021

Sunday, 13 June 2021

1676 Dohe दोहे (कर्तव्य)


 

पालन कर कर्तव्य सदा, तज कर सब आराम ।

इसका  पालन जो करे ,पूर्ण होवें काम।


चलते जाना तू सदा ,कर्तव्य पथ की ओर ।

लेना तुम विश्राम नहीं  ,होय न जब तक भोर।

(करना तुम आराम नहीं, मिले न जब तक छोर।)


संगीता शर्मा कुंद्रा, चंडीगढ़

Saturday, 12 June 2021

1675 रक्तदान महादान

रक्तदान से बड़ा नहीं है ,

जीवन में कोई दान ।

है धरा पर कीमती ,

हर इंसान की जान।


रक्तदान करना है सेवा,

सेवा का प्रण है लेना।

रक्तदान कर बचा सकते हैं,

कितनों की हम जान।


मनुष्य जीवन मिला है तुमको 

कर लो तुम कुछ उपकार।

दान किया ही तो आएगा ,

आखिर अंत समय में काम।


रक्तदान करके जब तुम, 

बचाओगे किसी की जान ।

संतुष्टि होगी मन के भीतर ,

और बड़ेगा सम्मान।

6.43pm 12 June 2021

Friday, 11 June 2021

1674 जिद्दी

 जिद्दी बहुत है माना वो।

 पर है बहुत सयाना वो।

कामकाज में अव्वल नंबर ।

कोई नहीं है उससे बेहतर ।

बात बात पर ज़िद है करता।

पर समझाने पर है समझता ।

कभी-कभी जिद पर अड़ जाता ।

आसमान तब सिर पर उठाता ।

इधर-उधर है दौड़ लगाता ।

सबको अपने पीछे भगाता ।

कभी न थकता चलता रहता ।

अजब तमाशा करता रहता ।

सबका दिल लगाकर रखता ।

सबसे है वह प्यार करता ।

इमानदारी में नहीं कोई सानी ।

हर बात यूं है उसने मानी ।

उससे ही घर में हलचल है ।

घर का ख्याल उसे हर पल है ।

कोई उसकी आज्ञा बिना न आए ।

दुम हिला कर सलाम लगाए ।

वह हमारे घर का डॉगी है ।

नाम उसका "टैडी" है।

4.12pm 9 June 2021

Thursday, 10 June 2021

1673 आया नया ज़माना

 आया नया ज़माना।

ज़माना गया पुराना ।

खेलकूद के ढंग है बदले।

मोबाइल पकड़े, गुल्ली डंडे के बदले ।

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

खान-पान का ढंग भी बदला ।

आया पीज्जा़, गया फुलका चकला। 

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

पैदल चलें बस सैर करने को ।

काम को हरदम ,वाहन पकड़ें वो। 

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

गप्पें कोई बैठकर मारता नहीं ।

साथ बैठे भी, होते मोबाइल पर सभी ।

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

बच्चे अनाथ सुना था होते ।

नए नियम समाज के हो गए ।

आज सब बजुर्ग अनाथ हो गए ।

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

अब स्कूल भी पढ़ने नहीं जाना होता ।

ऑनलाइन क्लास है लगाना होता ।

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

घर में रहना है क्या मंगल क्या सोम।

क्योंकि आजकल होता है वर्क फ्रॉम होम ।

आया नया ज़माना ।

ज़माना गया पुराना ।

3.24pm 9 June 2021

Wednesday, 9 June 2021

1672 Ghazal गज़ल :मजनूं बना दिया तूने

 2122 1212 22

Qafia : a aa. काफिया अआ

Radeef  diya toone रदीफ़  दिया तूने

पहले मजनूं बना दिया तूने ।

क्यों भला फिर ,दगा दिया तूने ।


हर कोई बेवफा ही होता है।

तोड़ के दिल ,बता दिया तूने।


 तू नहीं अपना, है तू बेगाना।

अच्छा है जो, जता दिया तूने ।


इक झलक अपनी( जो दिखा दी है)को दिखाकर क्यों ।

दिलजले को जला दिया तूने।


मुझको ये रोग इश्क़ का देकर।

मर्ज कैसा लगा दिया तूने ।


तुझको माना जि़यादा रब से था।

 हक ये कैसा अदा किया तूने।

12.58pm 9 June 2021

Tuesday, 8 June 2021

1671 बहन भाई की हुई लड़ाई

 बहन भाई की हुई लड़ाई ,

एक के पीछे दूजा दौड़ा ,

होने लगी पकड़म पकड़ाई,

एक दूसरे की कसरत कराई।


लड़ाई का कोई मुद्दा नहीं था,

कोई किसी से कम भी नहीं था,

न बहन कम , न था भाई,

भागे जब थी मम्मी आई।


बोली तुम क्यों लड़ते हो ,

बात बात पर झगड़ते हो,

लगता है तुम्हारी शामत आई,

भागे जब मम्मी ने लाठी उठाई।


दोनों एक दूसरे की तरफ देखने लगे,

मुंह चढ़ा कर ऐंठने लगे,

बैठ गए चुप होकर दोनों ,

जब मम्मी ने चपत लगाई।

7.17pm 8 June 2021

Monday, 7 June 2021

1670 जो करेगा वह भरेगा

दिल की बात हर कोई कहना चाहता,पर सुनना चाहता नहीं ।

करना चाहता सदा मन की, पर दूसरे की बात सहता नहीं।


जो हम तुम हैं समाजिक प्राणी, तो सब की बात सुनो ।

तुम्हारी लाठी देख तुमसे, बात कोई कहता नहीं।


चलता रह तू अपनी धुन में, पर किसी का दिल ना दुखा ।

याद रख..जो करेगा वह भरेगा, पानी उल्टा बहता नहीं।


बहुत हो चुका तेरा मेरा, वक्त आने पर सब यही रहेगा ।

सदा सबका सब कुछ, हरदम यहाँ रहता नहीं।

4.49pm 07 June 2021

Sunday, 6 June 2021

1669 Dohe दोहे

मीठा मीठा बोल तू, अपने दिल को खोल ।

इतना ही बस ध्यान रख, कभी न ऊँचा बोल।

4.37pm 25 May 2021


बागों में बिखरे रहें, लाखों सुमन व पात। 

माटी सब लेती समा ,पूछे ना वो जात। 

2.24pm 6/6/21


आओ मिलजुल कर रहें, भाई बहन समान। 

प्यार सदा बढ़ता रहे ,करें न हम अपमान।

5.39pm 6/6 21


खोटा सिक्का चले नहीं, नेता पर चल जाय ।

भूख प्यास मानस सहे, नेता मौज मनाय।

5.45pm 6 June 2021

Saturday, 5 June 2021

1668 चाय हाय ...तेरा नशा .....

चाय हाय ...तेरा नशा .....

यह कैसा नशा .....

मोदी भी इससे नहीं बचा..


चाय की... क्या बात है ।

तुझी से दिन की शुरुआत है।

तुझसे ही शाम ढले ....

और.. मिलता आराम है ।

चाय हाय ...तेरा नशा ....


कितनी प्यारी है तू....

कभी दूध में मिलाकर

कभी नींबू चटका कर 

अलग अलग स्वाद से तू 

भर आये है।

 कितना मजा आए हैं ।

चाय... हाय... तेरा नशा ...


कभी हल्की ब्राउन ,

कभी डार्क ब्राउन 

तेरे रंग पर मैं वारी वारी जाऊं।

तेरे सामने आते ही मैं खुश हो जाऊं ।

चाय हाय.. तेरा नशा.. 


कितनों के दिल का सुकून है ।

कितनों का ही तू जनून है।

कितने तुझे पा  गर्व फरमाए ।

और खुश हो जाएं ।

चाय हाय.. तेरा नशा ...


तू मिले तो हर मेहमान ,

खुद को खुशकिस्मत समझे ।

नहीं तो सोचे ....

कर दिया यूँ ही मुझको चलते ।

तुझे पाकर वह अपनी इज्जत समझे ।

चाय हाय... तेरा नशा...

5.00pm 5 june 2021

Friday, 4 June 2021

1667 मुझे बचाना पेड़ लगाना

 मैं पेड़ हूं, मुझे जीवित क्यों नहीं समझते ।

क्योंकि मैं ऑक्सीजन देता हूं लेता नहीं ।

पर मैं वह प्राणी हूं जो कार्बन डाइऑक्साइड लेता हूं,

और ऑक्सीजन आप के लिए छोड़ता हूं।

क्योंकि देना ही मेरा धर्म है और मैं,

अपने धर्म से पीछे कभी नहीं हटता ।

चाहे वो फल हों, फूल हों,पत्ते हों या ऑक्सीजन।

 देखो तो तुम्हारा इसमें कितना भला है,

 मैं तो यूं ही पल जाता हूं तुम्हारा कुछ नहीं खाता हूं ।

बस देता ही जाता हूं, देता ही जाता हूं ।

हां

प्रकृति कभी-कभी खिलवाड़ करती है ,

मेरा भी अंतिम संस्कार करती है, पर ,

तुम्हें कोई हक नहीं मुझे यू कत्ल करने का ।

अगर फायदा सोचते हो तो मुझे काटना मत।

मैं भी ज़िंदा हूं,और तुम्हारे बड़े काम का ।

सोचना कुछ और मेरा जीवन बचाना,

और अपना भला सोचकर पेड़ लगाना।

4.55 4 June 2021

Thursday, 3 June 2021

1666 मिला तो सिर्फ एहसास

 ढूंढते रहे उन्हें  दर ब दर, वो न मिला ।

मिला तो सिर्फ एहसास,  न निशां मिला ।


चल पड़े हैं फिर इक बार, राह पर उन्हें ढूंढने।

पर जो हो खुद छिप गया, वह  कहां मिला।

 

रास्ते सुनसान, दीवारें चुप ,खामोशियां छाई ।

फिर भी हर राह पर,हर जगह एक तूफान मिला ।


सोचा था खुशियां ही खुशियां होंगी जिंदगी में।

पर मुझे जिंदगी में गम से भरा जहान मिला ।


कोई कुछ भी कहे ,फिर भी मुझको गम नहीं ।

क्योंकि मैं खुशनसीब हूं, मुझको हिंदुस्तान मिला।

11.43am 01 June 2021

Wednesday, 2 June 2021

1665 मुबारक हो तुमको जन्मदिन की खुशियाँ

 मुबारक हो तुमको जन्मदिन की खुशियाँ ।

महकती रहे खुशियों से तुम्हारी यै दुनिया ।

खुश रहो, मुस्कुराते रहो तुम यूँही हरदम ।

पास आने न पाए तुम्हारे कभी कोई गम।

बगिया तुम्हारी खिली रहे यूँही फूलों से ।

जिंदगी तुम्हारी झूलती रहे खुशी के झूलों से ।

खुशियाँ मनाओ, गीत मंगल तुम गाओ ।

यूँही जन्मदिन हर साल तुम मनाओ।

1.18pm 2 June 2021

Tuesday, 1 June 2021

1664 भीतर से अमीर कोई क्यों बनना नहीं चाहता

 क्यों नकल करना चाहते हैं सब,

दूसरों की दौलत और शोहरत की।

दूसरों की खुशी को कभी कोई ,

नकल क्यों नहीं करना चाहता ।


सबको चाहत है बाहर से,

बस अमीरों जैसा बनने की ।

भीतर से अमीर कभी,

कोई बनना नहीं चाहता। 


नहीं रहती है बाहरी दौलत ,

सदा एक जैसी कभी ।

भीतर खुशी जबकि ,

कोई छीन नहीं पाता ।


भीतर की सकारात्मकता,

भीतर की ताकत को ।

देखकर अनदेखा करते है ,

उसे,कोई अपनाना नहीं चाहता ।


जब उस ऊपर वाले का साथ है,

उस ऊपर वाले पर विश्वास है ।

उसकी छांव में जो रहता हो।

उस तरह कोई रहना नहीं चाहता।

11.31am 1June 2021