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Tuesday, 3 October 2017

326 मोहब्बत और दोस्ती (Mohabbat Or Dosti)

क्या करेगी दोस्ती जहां पर प्यार ना हो।
चाहत से ही अकेले क्या होता है।
जब साथ किसी का इकरार ना हो।
लाख मोहब्बत करे कोई किसी से।
वह कुछ भी नहीं अगर इज़हार न हो।
कौन जान पायेगा की वो हमसफ़र हैं।
जब राह चलते एक दूसरे से बात ना हो।
कहते हैं मोहब्बत तभी बढ़ती है।
जब कभी कभी तकरार भी हो।
उसे हम क्या कहेंगे ओ सुनने वाले।
अगर प्यार ना हो तकरार ही तकरार हो।
326 18 Nov 1991
Kya karegi Dosti Jahan Pyar Na Ho.
Chahat Se Hi Akele Kya Hota Hai.
Jab Saath Kisi Ka iKrar Na Ho.
Laakh Mohabbat Kare Koi Kisi Se.
Woh Kuch Bhi Nahi Agar izhaar Na Ho.
koun jaan Payega ki Wo Humsafar hain.
Jab Raah chalte Ek Doosre Se Baat Na Ho.
Kehte Hain Mohabbat Tabhi Badti hai.
Jab kabhi kabhi TKarar Bhi ho.
Usse Hum Kya Kahenge o sunne wale.
Agar Pyar Na Ho Tkarar Hi Tkarar Ho.

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