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Saturday, 30 June 2018

Z 602 प्यार के रंग

9788189331894 53095 BookZindgi1

आज ,जब पहले प्यार को याद करता हूं।
माँ से अपनी ,पहली मुलाकात याद करता हूं।
चाहे समझ नहीं थी मुझे प्यार की।
 पर एहसास तो कितना जबरदस्त था।
आज कभी बैठता हूँ अकेला सोचते हुए।
 तो उस एहसास को याद करता हूँ।

वक्त बीता ,जवान हुआ।
फिर दिल न जाने किस पर मेहरबान हुआ।
रात दिन उसके ख्यालों में खोने लगा।
न जाने कब दिल निकल कर उसका होने लगा।
अब एहसास कितने बदले नजर आते हैं।
पता नहीं लगता, कब उनके ख्यालों में खो जाते हैं।

प्यार के अलग अलग रंग जिंदगी दिखा रही है।
कभी बचपन, कभी जवानी होश उड़ा रही है।
सिलसिला प्यार का तो यूँ ही चलता रहेगा।
काफिला बचपन, जवानी और बुढ़ापे तक यही रहेगा।
यूँ ही एहसासों का दौर जिंदगी में चलता रहे।बस,
प्यार मिलता रहे चाहे कितने भी रंग बदलता रहे।
9.28pm 30 june 2018 Saturday

Aaj jab Pehle Pyar Ko Yaad Karta Hoon.
Maa se apni Pehli Mulakat Yaad Karta Hoon.
Chahe samajh nahi thi Mujhe Pyaar Ki.
Paris Ehsaas Kitna Jabardast Tha.
Aaj Kabhi Baithta Hoon Akela sochte huye.
ToUs Ehsaas ko yaad Karta Hoon.

Waqt Beetaa , Jwaan hua.
Phir Dil Na Jane Kis par Meherbaan hua.
Raat Din Uske Khayalon Mein Khone Laga.
Na Jane Kab Dil nikal kar uska Hone Laga.
Ab Ehsaas kitne Badle Nazar Aate Hain.
pata nahi lagta kab unke Khayalon Mein Kho Jate Hain.

Pyar ke alag alag Rang Zindagi dikha rahi hai
 Kabhi Bachpa,n Kabhi Jawani Hosh Uda rahi hai.
Silsila Pyar Ka to Yunhi chalta rahega.
Kafila Bachpan, Jawani aur budhape Tak Yehi rahega.
 Yuhi ehsaason ka daur zindagi mein chalta Rahe. bas,
Pyar Milta Rahe Chahe Kitne Bhi Rang Badalta Rahe.

Friday, 29 June 2018

Z 601 दिल से दिल की बात (Dil Se Dil Ki Baat)

9788189331894 53095 BookZindgi1

बैठे हैं ,इंतजार में किसी के,
 की होगी मुलाकात।
आमने सामने होंगे जब,
 होगी ,दिल से दिल की बात।
आंखें करेंगे आंखों से बातें,
और उभरेंगे जज्बात।
बात जो होगी ,तो होगी,
 प्यार की बरसात।

आमना सामना जब,
हो ही जाएगा।
तब कौन ,किसको ,कितना,
 तड़पाएगा।
यह तो ,उस वक्त का लम्हा
ही बताएगा।
जो खुलेंगे जज्बात दिल के,
तो हर गम , हर जख्म ,भर जाएगा।
13.40pm 29June 2018
Baithe Hain Intezaar Mein Kisi ke.
Ki Ho Gi Mulakat.
Aamne Samne Honge Jab.
Hogi Dil Se Dil Ki Baat.
Aankhen Karenge Aankhon Se Baatein.
Aur Ubhrainge Zajbaat.
Baat Jo Hogi, toh Hogi,
Pyar Ki Barsat.

Aamna Saamna Jab HoHi Jayega.
Tab Kaun ,Kisko ,Kitna tadpayega.
Yeh Toh Us Wakt Ka Lamha hi batayega.
Jo khulenge Jazbaat Dil Ke.
To har gum ,Har Zakhm Bhar Jayega.5

Thursday, 28 June 2018

Z 600 खामोशी

9788189331894 53095 BookZindgi1

तन्हाइयों की खामोशियों से, कुछ पल शब्दों के निकालते हुए।
 जैसे खामोश सी बरसात की बूंदों की टिप टिप को सुनते हुए।
 मैं कुछ पल गुजार लेता हूं जिंदगी के, खुश होकर इनके सहारे।

यूं तो गरजता है आकाश बहुत जोर से ,बारिश से पहले।
पर नहीं जानता ,यह खामोशी के पहले की गड़गड़ाहट है।
 या फिर गड़गड़ाहट के बाद होने वाली खामोशी का परिचय।

यूं तो मैं जिंदगी को खामोशियों से नहीं भरना चाहता।
 फिर भी यह अपने जाल बिछाती हुई चली आती है।
और मेरे मन का सुकून साथ ले जाती है।

 मैं भी खुश रहना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
 मैं भी उड़ना चाहता हूं इन पंछियों की तरह।
लेकिन यह जिंदगी, मेरी खुशी ,मेरे पर ,लिए जाती है।
600 4.16pm 28 June 2018


Wednesday, 27 June 2018

599 उडूँ आकाश में

ऊपर आकाश में पंछी उड़ते हुए।
दूर आसमान की ऊंचाइयों को छूते हुए।
मदमस्त हुए विचरते हैं।
काश मेरे मन को भी ऐसी उड़ान मिले।
जिससे धरती के ,दूर हो शिकवे गिले।
खो जाऊं ऊंची ऊंचाइयों में।
नीचे का कुछ भी ना ध्यान रहे।

ज्यूं उड़ते हैं पंछी ,सब भूल भाल के।
 मैं भी खो जाऊं ,सब शिकवे भूल भाल के।
 मन साफ हो मेरा आकाश की तरह।
शांत हो जाए मन नीर की तरह।
निश्चल हो ऊंचाइयों को छूता रहूं।
धरती के शिकवों को भूल जाऊँ।
पंछियों की तरह में उड़ता फिरूँ।
599 5.15pm 27 Jun 2018 

Tuesday, 26 June 2018

Z 598 धरती (Dharti)

9788189331894 53095 BookZindgi1

भीनी सी खुशबू मेरी धरती की।
 दीवाना बनाती है मुझे।
यह घटा तेरे पेडों से भरे उपवन की।
दीवाना बनाती है मुझे।

जी चाहता है ,रहूं आगोश में तेरी हर दम।
तेरी हर अदा बुलाती है मुझे।
 हर पल बीते तेरी बाहों में, मेरी प्रकृति।
तेरी हर अदा लुभाती है मुझे।

क्यों आदमी लगा है सूरत तेरी बिगाड़ने को।
उसकी यही क्रिया सताती है मुझे।
संभल जा ए माटी के पुतले तू ज़रा।
देख माटी कैसे बुलाती है तुझे।

 क्यों नहीं समझता भगवान के मायने।
तेरी यही नासमझी तड़पाती है तुझे।
भगवान है भूमि, गगन, वायु, अग्नि ,नीर।
 तेरी तकदीर भगवान से मिलने को बुलाती है तुझे।

अब तो समझ ए नादान।
देख तेरी धरती बुलाती है तुझे।
वही धरती जिसकी भीनी भीनी खुशबू।
दीवाना बनाती है मुझे।
598 8.47am 26 June 2018

Bhini Bhini Khushboo Meri Dharti Ki.
Deewana banati Hai Mujhe.
Ye Ghata Tere Pedon Se Bhare upavan ki.
Deewana banati Hai Mujhe.

 Jee Chahta Hai Rahun Agosh Main Teri hardam.
Teri Har Ada Bulati Hai Mujhe.
Har Pal beete Teri Bahon Mein, Meri Prakriti.
Teri Har Ada lubhati Hai Mujhe.

Kyun Aadmi Laga Hai Surat Teri bigadne ko.
Uski Ye Kriya Satati Hai Mujhe.
Sambhal ja Aye Maati Ke putle Tu Jara.
 Dekh Mati Kaise Bulati Hai Tujhe.

Kyu nahi samajhta Bhagwan ke maine.
Teri Yahi Nasamjhi Tadpati Hai Tujhe.
Bhagwan Hai Bhoomi ,Gagan, Vayu, Agni, Neer.
Teri Taqdeer Bhagwan se milne ko Bulati Hai Tujhe.

Aa Ab Tu samajh e Nadan.
Dekh Teri Dharti Bulati Hai Tujhe.
Wahi Dharti Jiski bheeni bheeni Khushboo.
Deewana banati Hai Mujhe.

Monday, 25 June 2018

597 इमानदारी (Imaandari)

कहां गई  इमानदारी तुम्हारी।
क्यों दिया साथ इसका, तूने छोड़,
 क्यों पड़ गई इसकी डोर ,इतनी कमजोर।

थाम ले ,एक बार फिर इमानदारी का हाथ।
पकड़ ले कसकर ,तू इस की डोर,
वरना बिगड़ जाएगी, जिंदगी की बागडोर।

 चलता रह, हाथ पकड़ इमानदारी का।
बेईमानी जब खींचे तुझे अपनी ओर,
और कस कर पकड़  लेना तू इस की डोर।

 कदम बड़ा और आगे बढ़ता जा।
 देखना ना अब तू पीछे की ओर,
खुद का जीवन बस तू इससे दे जोड़।
597 2.55pm 25June 2018

Kahan gayi imaandari Tumhari.
 Kyun Diya Saath Iske Tumne chhor.
Kya pad gayi iski dor Itni kamzor.

Tham Le Ek Baar Phir imandari ka haath.
Pakad Le kass kar tu iski dor.
Varna Bigad Jayegi Zindagi Ki Baagdor.

Chalta Reh Hath pakad ,imaandari ka.
Beimaani Jab kheenche Tujhe apni aur.
Aor  kas kar pakad lena to iski door.

Kadam Bada aur aage badhta Ja.
Dekhna na ab tu Piche ki aur.
 Khud ka jeevan Bas Isse De Jod.

Sunday, 24 June 2018

Z 596 रिश्तो की डोर (Rishton ki Dor)

9788189331894 53095 BookZindgi1

रिश्तो की डोर, हो गई है इतनी कमजोर।
जिसका बस चलता है, देता है  तोड़।

आज आदमी को आदमी से प्यार नहीं।
 ना देखा ऐसा घर जहां होती तकरार नहीं।
प्यार भावना हो गई है इतनी कमजोर।
जिसका बस चलता है, देता है दिल को तोड़।

सब चाहते हैं ,हो अपनी भावनाओं की कदर।
नहीं चाहते, दूसरों की कदर करें मगर।
 ऐसे यूं कैसे चल पाएगी जीवन की डोर।
 आज रिश्तो की डोर हो गई है इतनी कमजोर।

संभल जा ए इंसान वक्त बीता जाता है।
करता नहीं कदर फिर पीछे पछताता है।
संभाल वक्त को ,बदल जाए ना कहीं यह दौर।
 आज रिश्तो की डोर हो गई है इतनी कमजोर।
596 5.06pm 24 june 2018 Sunday



Rishton Ki Dor, ho gayi hai Itni kamjor.
Jiska bas chalta hai, Deta Hai Tod.

Aaj Aadmi ko Aadmi Se Pyar Nahi.
Na deKa Aisa ghar Jahan hoti taqrar nahi.
 Pyar Bhavna ho gayi hai Itni kamzor.
 Jiska bas chalta hai Deta Hai Dil Ko Tod.

Sab chahte hain ,Ho apni Bhavnaon ki Kadar.
Nahi Chahte dusron ki Kadar, Karein Magar.
 Aise yun Kaise chal Paegi Jeevan Ki Dor.
Aaj Rishton Ki Dor ho gayi hai Itni kamjor.


Sambhal Jaa e Insaan Waqt beeta jata hai.
 Karta Nahi Kadar, Phir Piche Pachtata Hai.
Sambhal Waqt ko badal jaye na ,Kahi ye daur.
 Aaj Rishton ki Dor, ho gayi hai Itni kamzor.

Saturday, 23 June 2018

Z 595 मेरा प्यारा सा दिलबर (Mera Pyaara Sa Dilbar)

9788189331894 53095 BookZindgi1

कहीं दूर बैठा मेरा प्यारा सा दिलबर।
आंखों में सपने ,हसीन वो ले कर।
मेरे सपने मन ही मन में सजा कर।
उन्हें पूरे करने की, चाहत को लेकर।
बंद आंखें कर के बैठा वो होगा।
मगन मेरे ख्यालों मे, और कुछ न सोचा।

ख्याल ले जाते होंगे उसे ,न जाने कहां पर।
सोचता होगा मैं पास हूं उसके वहां पर।
 बातें वो करता होगा खुद ही से ,प्यारी-प्यारी।
ये चाहता होगा सुनना, कि  मैं हूं तुम्हारी।
बंद आंखें कर के बैठा वो होगा।
मग्न मेरे ख्यालों में, और कुछ न सोचा।

कभी उठ कर चलता होगा ख्यालों में खोया।
 कभी हंसता होगा, कभी होगा रोया।
मेरी एक झलक को पाने को दिलबर।
रहा होगा हरदम इसी धुन में खोया।
बंद आंखें कर के बैठा वो होगा।
मग्न मेरे ख्यालों में ,और कुछ न सोचा।
595 12.54pm 23June 2018



Kahin Door Baitha mera pyara Sa Dilbar.
Aankhon Mein Sapne Haseen Ho Lekar.
Mere Sapne man hi man Mein Saja kar.
Unhain pure Karne Ki Chahat ko Lekar.
Band Aankhain Kar Ke Baitha Vo hoga.
Magan Mere Khayalon Mein Aur kuch na Socha.

Khayal Le Jaate Honge Usse,Na Jane Kaha par.
Sochta Hoga main Paas Hoon Uske, wahan par.
 Baate wo karta hoga Khud Hi Se ,Pyari Pyari.
Ye chaahta Hoga Sunna ,Ki Main Hoon Tumhari.
Band Aankhain Kar Ke Baitha Vo hoga.
Magan Mere Khayalon Mein, Aur kuch na Socha.

Kabhi uth kar chalta Hoga Khayalon Mein Khoya.
Kabhi Hasta Hoga, Kabhi Hoga roya.
Meri ek Zhalak Pane ko Dilbar.
Raha Hoga har dam Isi Dhun Main khoya.
Band Aankhen Kar Ke Baitha Vo hoga.
Magan Mere Khayalon Mein Aur kuch na Socha.
Kahin door.......
Aankhon Mein......

Friday, 22 June 2018

Z 594 खूबसूरत धरती (Khubsurat Dharti.)

9788189331894 53095 BookZindgi1

तुम्हें मिली है इतनी खूबसूरत धरती।
 शायद तुम्हें इसका एहसास नहीं।
जो रखते तपती रेत पर पांव तुम।
तभी होता, तुम्हें इसका ज्ञान सही।

कीमत पहचानो अपने उपहारों की।
ना पहचान सको ,तुम ऐसे तुम नादान नहीं।
 संभालो इसको तुम ,यह आने वालों की धरोहर है।
जो ना संभालो ,तो तुम इसके हकदार नहीं।

अगर तुम्हें मिली है विरासत अच्छी।
 आगे इसे सुरक्षित देना भी तुम्हारा कर्तव्य है।
जो ना तुम आगे दे पाए इसे सुरक्षित।
 तो आज फिर ,इस पर तुम्हारा अधिकार नहीं।
594 4.48pm 20june 2018
Tumhe Mili Hai Itni Khubsurat Dharti.
Shayad Tumhe iska Ehsaas nahi.
 Jo rakhte tapti ret papr Panv Tum.
 Tabhi Hota Tumhe iska Gyan Sahi.

 Keemat Pehchano Apne Uparon ki.
Na Pehchan sako, Aise Tum Nadan nahi.
 Sambhalo isko Tum, Ye Aane Walo Ki dharohar Hai.
Jo nah Sambhalo toh ,tum Iske haqdaar nahi.

Agar Tumhain  Mili Hai Virasat acchi.
Aage ise surakshate Dena bhi Tumhara kartavye hai.
Jo Na Tum Aagaye dey Paye Ise surakshit.
 Tu Aaj Phir iss par ,Tumhara Adhikar nahin.

Thursday, 21 June 2018

UZ 593 वादा तोड़ना नहीं ( Wada Todna nahi)

9788189331894 53095 BookZindgi1

थाम लो बाहों को मेरी ,साथ मेरा छोड़ना नहीं।
कट जाएगी जिंदगी यूं ही चैन से, वादा तोड़ना नहीं।

 बांधा है एक दूजे के साथ हमें एक डोर से।
संभल कर चलना, धागा ये कच्चा तोड़ना नहीं।

एक दूजे के सहारे यह सफर आसान रहेगा।
 नजर एक दूजे पर रखना ,कभी मुंह मोड़ना नहीं।

जमाना तो कहता ही रहेगा कुछ ना कुछ।
 रखना विश्वास एक दूसरे का ,भरोसा कभी तोड़ना नहीं।

थाम लो बाहों को मेरी ,साथ मेरा छोड़ना नहीं।
कट जाएगी जिंदगी यूं ही चैन से, वादा तोड़ना नहीं।
593 3.06pm 20 June 2018

Thaam Lo Bahon ko meri ,Saath Kabhi Mera Chodna nahi.
 Kat Jayegi Zindagi Yuhi chain se, Wada Todna nahi.

Bandha Hai Ek Duje Ke Saath Hume, Ek dor se.
Sambhal kar Chalna, Dhaga ye  Kachha Todna nahi.

Ek Duje Ke Sahare ye safar Aasan rahega .
Nazar Ek Duje pe Rakhna, Kabhi Muh  Modna nahi .

Zamana To Kehta Hi Rahega kuch na kuch .
Rakhna Vishwas Ek Doosre ka, Bharosa Kabhi Chhodna nahi

Thaam Lo Bahon ko meri ,Saath Kabhi Mera Chodna nahi.
 Kat Jayegi Zindagi Yuhi chain se, Wada Todna nahi.

Wednesday, 20 June 2018

Z 592 प्यास अभी बाकी है (Payaas Abhi Baki Hai.)

9788189331894 53095 BookZindgi1

तू ही मयखाना मेरा, तू ही मेरा साकी है।
पिला दे ए साकी मेरे, प्यास अभी बाकी है।

कर गीला मेरे होठों को मेरे साकी,
सूखे लबों पर, तेरा नाम अभी बाकी है।

तरस रहा हूंँ प्यार में ,तेरे इंतजार में।
आ अब तो, तेरा दीदार अभी बाकी है।

जाम ए उल्फत बहुत पिए मैंने।
तेरी आंखों से जाम पीना अभी बाकी है।

तेरी उल्फत में डूबा रहा मैं अब तलक।
 तेरी आंखों में डूबना अभी बाकी है।

कर गीला मेरे होठों को मेरे साकी।
सूखे लबों पर तेरा नाम अभी बाकी है।
592  20 June 2018

Tu Hi Meykhana Mera, Tu Hi Mera Saki hai.
 Pila De e Saki mere ,Payaas Abhi Baki Hai.

Kar Geela Mere Hoton Ko Mere Saaki.
Sukhe Labo pe Tera Naam Abhi Baki Hai.

 Taras Raha Hoon Pyar Mein ,Tere Intezaar mein.
Aa Ab Tou, Tera Deedar Abhi Baki Hai.

Jam e Ulfat bahut Piye maine.
 Teri Aankhon Se ,Jaam Peena Abhi Baki Hai.

Teri Ulfat mein dooba Raha Mein Ab Talak.
 Teri Aankhon Mein Doobna Abhi Baki Hai.

Kar Gila Meri Ankhon Ko Mere Saaki.
Sukhe Labo pe Tera Naam Abhi Baki Hai.

Tuesday, 19 June 2018

591 धरती पर जीवन Dharti Par Jivan)

खेल खेल लो तुम जिंदगी का।
 जीत हार का फैसला छोड़ दो।
जो चले जिंदगी ,गम की ओर।
 राह उसकी, खुशी की ओर मोड़ दो।

छोटा बड़ा, अमीर  गरीब होता रहेगा।
 सब छोड़-छाड़ ,ईश्वर से नाता जोड़ लो।
क्या कहता है, क्या सुनता है, कोई।
इन सब बातों से अपना नाता तोड़ लो।

आ ही गए हैं ,जब इस जहां में तो,
 यहां की खुशियों से नाता जोड़ लो।
तुम्हें मिला है इतना सुंदर जीवन और धरती।
 इसे और सुंदर बनाने का प्रण जीवन में जोड़ लो

खो जाओ इसके शृंगार में तुम।
इसी से प्रीत अपनी जोड़ दो।
तुम लगे रहो बस अपनी ही धुन में।
 जो ना माने बात तुम्हारी ,उसका पीछा छोड़ दो।
591 11am 19June 2018


Khel Khel Lo, Tum Zindagi Ka.
 Jeet Haar Ka Faisla Chod Do.
Jo Chale Zindagi Gam ki aur.
 Rah Uski Khushi ki aur Mod do.

 Chhota Bada, Amir Garib Hota rahega.
Sab Chhod Chhad, Ishwar Se Nata jodlo.
Kya Kehta Hai, Kya Sunta Hai, Koi,
 In Sab Baaton Se Apna Nata Tod lo.

Aahi Gaye Hain Jab is Jahan Mein Tuo.
Yahan Ki Khushiyon Se Nata jodlo.
Tumhe Mili Hai Itni Sundar Dharti.
Isi Aur Sundar banane ka Pran Jeevan Mein Jod lo.

Kho Jao Iske shingar Mein Tum.
Iisi Se Preet apni Jod lo.
Tum lage raho bas apni hi Dhun Mein.
 Jo Na Mane Baat Tumhari ,uska peecha Chod Do.

Monday, 18 June 2018

590 रख हौंसला (Rakh Hounsla)

चलते-चलते डगमगाना नहीं।
पाँव आगे रखना, पीछे तुम जाना नहीं।
कई कांटे होंगे राहों में तेरी।
काँटों के डर से, कदम पीछे हटाना नहीं।

मुश्किलों को पार करके ही मंजिल आएगी।
बिना मुश्किलों के मिलता कभी खजाना नहीं।
जो डर गया मुश्किलों से तू।
 फिर पीछे से पछताना नहीं।

रख हौसला और बढ़ाता रह कदम।
कभी राहों में हौसला छोड़ जाना नहीं।
जमाना तो जलेगा ही ,तेरी जीत से।
पर तू कभी जीत पर इतराना नहीं।

शानो-शौकत जब आ जाए पास।
तो गर्व से तुम भूल जाना नहीं।
सर ऊंचा रहेगा तुम तुम्हारा तभी।
शोहरत जो मिले तो डगमगाना नहीं।
590 3.25pm 18 June 2018
Chalte Chalte dagmagana nahi.
PanvAage  Rakhna peeche Tum Jana Nahi.
kai kante Honge Rahon Mein Teri.
Katon ke dar Se Kadam Piche hatana nahi.

Mushkilon ko Paar karke hi Manzil Aayegi.
Bina mushkilon Ke Milta Kabhi Khazana nahi.
Jo Dar Gaya mushkilo Se Tuo.
Phir piche se Pehchana Nahin.

Rakh Honsla aur Badhata Reh Kadam.
 Kabhi Rahon Mein Hosla Cchod Jana Nahi.
Zamana to jalega hi teri jeet se.
Par tu Kabhi Jeet Par Iakrana nahin.

Shan O Shaukat Jab AaJaye Paas.
Toh Garv se tum phool Jana Nahi.
Sar Uncha Rahega Tumhara tabhi.
Shohrat Jo Mile To Dagmgaana Nahin.

Sunday, 17 June 2018

Z 589 कभी गर्मी ,कभी बरसात (Kabhi Garmi, kabhi Barsaat )

9788189331894 53095 BookZindgi1

कभी गर्मी ,कभी बरसात की चिपचिपाहट में।
जिंदगी कट जाती है यूं ही सक़पआहट में।
हर तरफ फैली हुआ यह पानी ,पानी और पानी।
 पर जिंदगी फिसली जाती है मिट्टी की चिकनाहट में।
 तेज हवाओं ने बिखरा दी है कहीं लौ जिंदगी की।
 फैले हैं हर तरफ पत्ते ही पत्ते इस सरसराहट में।
यूं तो बैठे हैं ख़ामोशी में हम ,कुछ सहमे सहमे
 पर कभी-कभी बहुत डर जाते है जरा सी आहट में।
सफर जिंदगी का लंबा है जानता हूं मैं ऐ दिल।
 पर पार कर ही लूंगा तुझे इस सनसनाहट में।
4.36pm 17 Jun 2018 Sunday

Kabhi Garmi, kabhi Barsaat Ki chipchipahat Mein.
Zindagi Kat Jati Hai Yuhi ,sakpkahat Mein.
Har Taraf phaila Hua Hai Pani Pani Aur Pani.
Par Zindagi Phisli Jati Hai ,Mitti ki chiknahat mein.
 Tez hawaon Ne Bikhara Dii Hai Kahin Low Zindagi Ki.
Phele Hain Har Taraf Patte hi Patte ,sasrahat Mein.
Yun Tuo baithe hai Khamoshi Mein Hum, Kuch Sehme Sehme.
 Par kabhi kabhi bahut Darr Jate Hain ,Zara Si Aahat mein .
Safar zindagi ka Lumba hai Jaanta Hoon Main e Dil.
Par Paar Kar Hi Loonga Tujhe, is sansanahat mein.

Saturday, 16 June 2018

588 झूठ सच (Jhooth Sach)

क्यों झूठी बातें बोलकर तुम मुझे धमकाते हो।
अपने दिल से पूछो जरा ,क्यों झूठ बोलते जाते हो।
कुछ तो रखो ईमान अपना, जो कहना है कहो।
क्यों दूसरों को नीचा दिखाने मैं लगे जाते हो।

तुम्हारे बोलने से तुम्हारी तहजीब नजर आती है।
 नजर आता है तुम कैसे हो,जैसे जैसे जुबान फिसलती जाती है।
कुछ तो ख्याल करो, शब्दों को लगाम दो।
दूसरों की इज्जत करके, अपनी भी इज्जत बन जाती है।

कुछ हासिल नहीं होगा यूँ धमकाने से।
जो बात हो सच, वो सच ही कहलाती है।
 तुम्हारे जोर से बोलने से झूठ सच ना होगा।
 उल्टा यूँ अपनी इज्जत ही उतरती जाती है।
11.17am Saturday 16 jun 2018

KyonJhooti Baatein bolkar, tum mujhe Dhamkate ho.
Apne Dil Se Pucho Zara ,Kyun Jhoot bolte Jaate Ho.
Kuch Toh Rakho Imann Apna, Jo Kehna Hai Kaho.
Kyon Dusro Ko nicha Dikhane mein Lage Jate Ho.

Tumhare bolne Se Tumhari tehzeeb Nazar Aati Hai.
 Nazar aata hai tum kaise ho, Jaise Jaise Juban fisalti Jati Hai.
Kuch Toh Khayal karo ,shabdo ko lagaam do.
 Dusro Ki Izzat Kar Ke apni bhi Izzat Ban Jati Hai.

Kuch Hasil nahi hoga Yun ddhamkane se.
Jo Baat Ho Sach, Vo Sachi Hi Kehlati Hai.
Tumhare zor se bolne Se, Jhooth Sach Na Hoga.
Ulta yun Apni Izzat Hi Tut Utterti Jati Hai.

Friday, 15 June 2018

587 जो जागते हैं वही जीतते हैं (Jo Jagte Hain Wohi Jeette Hain)

हमें तोड़ने की कोशिशों में,
वह कामयाब होते नजर आते हैं।
अलग कर देते हैं हमें वो,
जब भी मौका पाते हैं।
तुम भी समझ नहीं पाते उनके इरादों को।
तभी तो इतनी आसानी से, उनकी बातों में आते हैं।

ए नादान समझ जरा उनके इरादों को।
 दो जवाब उनका, जो खुद पे इतराते हैं
हार जाओगे जंग, जो अलग हुए हम।
मुझे उनके इरादे, कामयाब होते नजर आते हैं।

क्यों समझ अपनी छोड़ ,औरों के इशारों पर चलते हो।
 जो खुद नहीं सोचते ,वह हारते नजर आते हैं।
जीत का जो बांधना हो सेहरा तो जागो।
 जो जागते हैं वही जीतते नजर आते हैं।
जो जागते हैं ,वही जंग जीतते जाते हैं।
587 8.50am13June 2018

Hume Todne ki koshish mein,
Wo Kaamyab Hote Nazar Aate Hain.
Alag kar dete Hain Hame Vo.
Jab Bhi mauka paate Hain.
Tum bhi samajh Nahi Pate unke irado ko.
Tabhi Toh Itni aasani se Unki Baaton Mein Aate Hain.

E' Nadan samajh zara unke irado ko.
De Jawaab unKa, Jo Khud par Itraate Hain.
Haar Jaoge Jung, Jo alag Huye Hum.
Mujhe unke Irade Kamyab Hote Nazar Aate Hain.

Jo samajh apni Chod ,auron ke Ishron pe Chaoge.
Jo Khud nahi sochte ,wo Haarte nazar Aate Hain.
Jeet ka jo bandna ho Sehra to Jago.
Jo Jagte Hain Wohi Jeet te Nazar Aate Hain.
Jo Jagte hain woh Jan Jeette Jaate Hain.

Thursday, 14 June 2018

Z 585 जाम ए उलफ़त (Jaam e' Ulfat)

9788189331894 53095 BookZindgi1

तेरी आंखों नें दिए जाम जो मेरी नजरों को।
 मैं तो पीता ही गया मदहोश हो जाने तक।

हर सांस मेरी चलती रही, तेरी नजरों के करम से।
उल्फत में डूबा रहा मैं तेरी ,कयामत तक।

 हर कदम उठाता रहा मैं तेरे पास आने को।
चलता ही रहा लड़खड़ाते कदमों से, मैं गिर जाने तक।

 बन गई है तू मेरी जिंदगी अब तो ए दिल नशीं।
नशा ना तेरा उतरे ,अब तो कयामत तक।
585 3.40pm 12June 2018

Teri Aankhon Ne Diye Jaam jo Meri Nazron ko.
Main toh peeta hi Gaya Madhosh Ho Jane Tak.

Har saans Meri Chalti Rahi Teri Nazron ke Karam se.
Ulfat mein dooba Raha Main Teri, Qayamat Tak.

Har Kadam Uthata Raha Mein ,Tere Paas Aane ko.
Chalta hi Raha ladkhadate Kadmo Se, Main gir Jaane Tak.

Ban Gayi Hai Tu Meri Zindagi Ab To aei Dil Nashi.
 Nasha na tera utre Ab  to Qayamat Tak.

Wednesday, 13 June 2018

586 जन्मदिन मुबारक (Janamdin Mubarak)

जन्मदिन हो मुबारक तुझको,
ए मेरे जिगर के टुकडे़।
 तू बड़े और बढ़ता ही रहे।

मैं तो हर पल साथ हूं तुम्हारे।
 ऐ मेरी आंखों के तारे।
दुनिया में बड़ा नाम तू अपना करता ही रहे।

कोई तुझसे ना हो बुरा काम,
 यह दुआ है मेरी।
तू सदा औरों का भला करता ही रहे।

जब तक मैं जियूं,
तुझे मैं बढ़ता हुआ देखूं।
 कभी तुझे किसी की नजर ना लगे।
586 4.15pm 12June 2018

Janamdin ho Mubarak Tujhko .
Aye Mere Jigar Ke Tukde.
Tu Bade Aur badhta Hi Rahe.

Main To Har Pal Main Hoon Saath Tumhare.
Aye Mere Aankhon Ke Tare.
Duniya Mein bada naam tu apna Karta Hi Rahe.

Koi Tujhse Na Ho Bura kaam,
Yeh Dua Hai Meri.
 Tu Sada Auron Ka Bhala Karta Hi Rahe.


Jab Tak Main Zeeun.
TuJhe badhta Hua Dekhun.
Kabhi Tujhe Kisi Ki Nazar Na Lage.

Tuesday, 12 June 2018

584 अश्कों से भरे नैन (Ashkon Se Bhare Nain)

अश्कों से भरे नैना का।
मैं यह नीर सुखाऊं कैसे।।
दिल दुखता है जो तेरा।
 बता उसे मैं मनाऊं कैसे।

बड़ा गमगीन है तेरा दिल।
 तू बता इसे बहलाऊं कैसे।
 अश्कों से भरे नैना का।
मैं यह नीर सुखाऊँ कैसे।

जमाने ने कसे हैं जो ये तंज।
उन बातों को दबाऊँ कैसे।
जो खो दिया है तूने सुकून।
 वो सुकून वापस मैं लाऊं कैसे।

 अनजान जो थे तो कोई बात ना थी।
पास आ के तेरे ,दूर में जाऊं कैसे।
दिल दुखता है जो तेरा।
 बता उसे मैं मनाऊं कैसे।
584 3.07pm 12June 2018

Ashkon Se Bhare Naina ka,
Main Neer sukhaaun Kaise.
Dil dukhta Hai Jo Tera.
 Bata USe Main manaun Kaise.

Bada gamgeen Hai Tera Dil..
Tu Bata ise  Behlaaun Kaise
Ashkon Se Bhare Naina ka.
Main Ye neer Sukhaaun kaise.

 Zamane Ne kasae hai yeh Tanz
Baat un ko dabaaun kaise.
Jo Kho Diya Hai Tumne sakoon.
Vo sakoon  Wapas main Laaun Kaise.

Anjaan Jo the toh koi baat na thi.
Paas Aake Tere ,Dur Main Jaun Kaise.
Dil Dukha Hai Jo Tera.
Bata Use Main manaun Kaise.

Monday, 11 June 2018

Z 583 धरती और औरत (Dharti Aur Aurat)

Sangeeta Sharma Kundra
9788189331894 53095 BookZindgi1

जिंदगी देती है यह धरती।
 पर हाल क्या किया इसका हमने।
जन्म देती है यह औरत।
 पर हाल क्या किया इसका हमने।

खड़े किए पत्थरों के जंगल।
 हवा भी दूषित हो गई।
पत्थर दिल इंसानों से।
 औरत दूषित हो गई।

काटकर मुर्गी आज ही मानव,
सोने के सब अंडे लेना चाहता है।
 कुछ ना मिलेगा इस लालच से।
मानव की सोच ही कुपित हो ।

सोच समझकर चल ए इंसान।
 कितनी खूबसूरत है यह धरती।
किस प्यार से पाला है तुझे इसने।
क्यों उसके लिए तेरी सोच ऐसी हो गई।

जिंदगी देती है यह धरती।
 पर हाल क्या किया इसका हमने।
जन्म देती है यह औरत।
 पर हाल क्या किया इसका हमने।
583 2.57pm 8Jun 2018

Zindagi Deti Hai Yeh Dharti.
Par haal Kya Kiya iska Humne.
Janam Deti Hai Yeh aurat.
Par haal Kya Kiya iska Humne.

Khade kiye pattharon ke jungle.
Hawa bhi dushit Ho Gayi.
Patthar Dil Insaano se,
Aurat dushit Ho Gayi.

Katkar Murgi, Aaj hi Manav.
Sone ke sab ande Lena Chahta Hai.
Kuch Na Milega is laalach se.
Manav ki Soch hai kupit Ho Gayi.

 Soch Samajh Kar ,Chal e' Insaan.
Kitni Khubsurat Hai Yeh Dharti.
 Kiss Pyaar Se Pehle Hai Tujhe isne.
 Kyun uske liye, Teri Soch Aisi Ho Gayi.

Sunday, 10 June 2018

Z 582 कुछ तो अच्छा होगा (Kuch Toh achha Hoga)

9788189331894 53095 BookZindgi1

कुछ तो अच्छा होगा इसमें।
जो तुम हमसे दूर हुए।
कुछ तो अच्छा होगा इसमें।
जो तुम हमको भूल गए।

आस बंथी रह जाती जो।
 हम भी फिर मजबूर हुए।
कुछ तो अच्छा............।
जो तुम......................।

अच्छा हुआ जो पास नहीं हो।
हम तो खुद के पास हुए।
कुछ तो......................।
जो तुम हमको भूल गए।

अब सब बेगाने अपने से हैं।
 जबसे ,तुम से दूर हुए।
कुछ तो अच्छा.........।
जो तुम हमसे दूर हुए।
582 4.22pm 7Jun 2018

Kuch Toh achha Hoga isme.
Jo Tum Humse Dur huye.
Kuch Toh achha Hoga is me.
Jo Tum Humko Bhool Gaye.

Aas bandhi Reh Jati Joe.
Hum Bhi Phir Majboor huye.
Kuch Toh achha Hoga isme.
Jo Tum Humse Dur huye.

Achha Hua Jo Paas nahi ho.
Hum Toh Khud Ke Paas Hue.
Kuch toh Accha Hoga isme.
Jo Tum Humko Bhool Gaye.

Ab sab Begane Apne se hain.
Jab Se Tumse Dur huye.
Kuch toh accha hoga isme.
 Jo Tum Humse Dur huye.

Friday, 8 June 2018

581 सावन की घटा (Sawan Ki Ghta)

सावन की घटा यूं घिर घिर के आई।
 जैसे तेरी जुल्फ हो लहराई।

महका घर आंगन तेरी जुल्फों से।
फूलों ने भी खुशबू बिखराई।

झम झम कर बरसा पानी यूँ।
जैसे जुल्फों की लहराती नदी आई।

 सावन की..........।
जैसे तेरी............।

मोर भी मटक मटक के पंख फैलाने लगा।
 देख मोर को, मोरनी भी इठलाइ ।

छम छम करके बरखा बरसती है ऐसे ।
जैसे पायल ने हो रागिनी गाई।

मौसम हुआ सुहावना है हर तरफ।
 सबके चेहरों पर है खुशी  छाई।

 महका घर आंगन............।
फूलों ने भी खुशबू बिखराई।
581 4.17pm 7June 2018

Sawan Ki Ghta Yun gir gir Aai.
 Jaise Teri Zulf Ho lehrayi.
Mehkca Ghar Aangan Teri Zulfon se.
Phoolon ne bhi Khushboo bikhrai.

 Cham Cham kar Barsa Pani yun.
Jaise Zulfon ki Leharati NadiAai.
Sawan...........
Jaise Teri......

Mor bhi Matak Matak Ke Pankh failane Laga.
 Dekh Mor ko mouni bhi Ithlaai.


 Cham Cham Karke Barkha barasti Hai Aise.
Jaise Payal ne Ho Ragini  Gai.

Mausam Hua suhavana Har Taraf.
Sabke chehron pe hai Khushi chhai.

Mehkaa Ghar Aangan.
 Phoolon Nein Bhi Khushboo bikhrai.

Thursday, 7 June 2018

580 कहां है तू ,ए मेरी मंजिल( Kahan Hai Tu Hi Meri Manzil.)

कोशिशें बहुत की हमने।
 पर पाया ना निशान तेरा।
ढूंढते रहे दर ब दर।
पर पाया नाम मुकाम तेरा।

कहां है तू ,ए मेरी मंजिल।
कब पाऊंगा तुझे मैं।
तुझे पाने से पहले ही,
 ना उजड़ जाए कहीं, जहां मेरा।

कितना चाहती है ,तू मेरा इम्तिहान।
 कब तक मैं तुझे ढूंढूं।
मेहनत कर थक गया मैं।
 पर पाया ना निशान तेरा।

जमाने का दस्तूर यही है।
 जिसके पीछे भागो वो,
और दूर भागता है।
 वही दस्तूर दिखा तेरा।

कोशिशें बहुत की हमने।
 पर पाया ना निशान तेरा।
ढूंढते रहे दर ब दर।
पर पाया नाम मुकाम तेरा।

580 6Jun 2018
Koshishen bahut ki Humne.
 Par paya na Nishan Tera.
Dhoondte Rahe Tujhe  Dar Ba dar.
Par paya na Mukam Tera.

Kahan Hai Tu Hi Meri Manzil.
Kab Paunga Tujhe Main.
Tere Aane Se Pehle hi.
Na Uzedd jaye Kahin, Jahan Mera.

Kitna Chahti Hai, Tu Mera Imtihaan.
Kab Tak Main Tujhe dhundu.
Mehnat kar thak Gaya Main.
Par paya na Nishan Tera.

Zamane ka Dastoor yahi hai.
 Jis Ke Piche Bhago, woh,
Aur dur bhagta hai.
Wahi Dastur Dikha Tera.

Koshishen bahut ki Humne.
 Par paya na Nishan Tera.
Dhoondte Rahe Tujhe  Dar Ba dar.
Par paya na Mukam Tera.

Wednesday, 6 June 2018

579 पेड़ और पानी (Ped Or Pani)

बूंद-बूंद पानी कीमती था।
पर उसको कहां बचाया हमने।
 अब क्यों रोता बूंद-बूंद को।
कितना था समझाया सबने।

सीख देते देते थक गए।
 बूंद बूंद कीमती है पानी की ।
कहते रहे ,बहुत है ,बहुत है।
तब नहीं इसको बचाया हमने।

संभलकर करते जो उपयोग।
तो ना होता है ऐसा संयोग।
 कैसे जल हमें बचाना है।
बच्चों को भी, कहां सिखाया हमने।

 पहले मरता था रोटी के पीछे।
अब पानी की किल्लत आन पड़ी।
 सांस सांस को जब तरसेगा।
दूर नहीं है वह भी घड़ी।

पेड़ लगा ले और बचा ले।
नहीं तो सब खत्म हो जाएगा।
 देर मत कर ,अब तो बस ,कर ।
सोच-सोच कर बहुत सामां गंवाया हमने।
579 5.01pm 05June 2018

Boond Boond pani keemti tha.
Par usko kahan bachaya Humne.
Ab Kyun Rota Boond Boond ko.
Kitna tha samjhaya Sab Ne.

Seekh Dete Dete thak Gaye.
Boond Boond keemti Hai Pani Ki.
Kehte Rahe, bahut hai ,bahut hai.
Tab nahi usko bachaya Humne.

Sambhal kar Karte jo Upyog.
To na hota aisa sanyog.
Kaise Jal Hame Bachana hai.
Bachchon ko bhi ,kahan sikhaya Humne.

Pehle Marta Tha Roti Ke Piche.
Ab Pani ki Killat Aan Padi.
Saans Saans Ko Jab tarsega.
Dur nahi hai Wohi Bhi Ghadi.

Ped Lagale aur bachle.
Nahi Toh Sab khatam ho jayega.
Der mat kar Ab Toh Bas Kar.
Soch Soch kar bahut Sama Gawaiya Humne.

Tuesday, 5 June 2018

578 दुनिया (Dunia)

आंखों ने दुनिया देखी है।
 मन से इस को पाना है।।
दूर तक निगाहें दौड़ते हुए
दिल ने इसको जाना है।

कभी खट्टी ,कभी मीठी बातों से।
इसका स्वाद पहचाना है।
दुनिया के सुख-दुख के घेरे में।
खुद को हमने पाना है।

दूर खड़ी उस मंजिल पे।
 संभल संभल के जाना है।
दुनिया के इस जंगल में।
 एक एक कदम उठाना है।

आओ इसको पा लें हम।
 ये ही हमने ठाना है।
दुनिया ही है जीवन अपना।
और कहां ठिकाना है।
1.05pm 5June 2018

Aankhon Ne Duniya Dekhi Hai.
Man se Isco aana hai.
 Dur Tak Nigahon daudate huye.
Dil Ne Isko jaana hai.

Kabhi Khatti, kabhi Mithi Baaton Se.
Isca Swaad pehchana hai.
Duniya Ke Sukh Dukh ke ghere mein.
Khud Ko Hum Ne paana hai.

 Dur Khadi us Manzil pe.
Sambhal Sambhal Ke Jaana Hai.
Duniya ke is Jangal Mein.
Ek ek Kadam uthana hai.

Aao is Ko Pa lein hum.
Yeh Hi Humne Thana hai.
Duniya he Hai Jeevan Apna.
Aur kahan Thikana Hai.

Monday, 4 June 2018

577 हमराज ना मिले (Humraaz Na Mile)

हमदर्द मिले, हमराज ना मिले।
वहीं दर्द मिले, जहां राज खुले।

दर्द पीकर चलता गया ,हमदर्द मेरे साथ चलें।
राज बेपर्दा हुआ ,जहां गद्दार मिले।

किसको अपना समझूं, किसको मैं बेगाना।
चाहता तो वो जगह हूं, जहां प्यार मिले।

हर कोई अपना लगता है ना लगता कोई बेगाना।
पर राज़ मेरा खुल गया, ना मुझे राजदार मिले।

अंधेरों ने भी मेरा साथ ना दीया हमराज़ बनने में।
बंद दीवारें भी ना मिली, ना घर बार मिले।

कैसे रहता राज मेरा, राज़ बनकर।
जब हमदर्द मिले ,पर हमराज़ ना मिले।

हमदर्द मिले, हमराज ना मिले।
वहीं दर्द मिले, जहां राज खुले।

दर्द पीकर चलता गया ,हमदर्द मेरे साथ चलें।
राज बेपर्दा हुआ ,जहां गद्दार मिले।
577 4.59pm 1Jun2018
Humdard Mile, Humraaz Na Mile.
Wahin Dard Mile , Jahan Raaz khule.

Dard pee kar Chalta Gaya, Hamdard mere saath Chale.
Raaz Bepardah Hua, Jahan Gaddar mile.

Kisko Apna Samjhun,  Kisko main Begana.
Chahata toh Woh Jagah Hun, Jahan Pyar Mile.

Har koi apna lagta hai ,na Lagta Koi Begana.
Par raaz Mera khul gaya, na mujhe Raazdaar Mile.

Andheron Ne Bhi Mera Saath Na Diya,Humraaz banne mein.
Band Diwaaren Bhi na Mili ,Na Ghar Baar Mile.

Sunday, 3 June 2018

576 आंधी और तूफान Aandhi Or Tufaan )

एक तूफान अंदर है ,एक बाहर।
 बाहर वाले से पीठ फेर लेंगे।
अंदर के तूफान का क्या करूं।

आंधियां घिर घिर के आती हैं।
रेत आंखों में बस जाती है।उस पर,
आंखों में आए आंसुओं का क्या करूं।
पता नहीं, किस कारण से आंधी आई।
पर, अंदर के तूफान को हम जानते हैं।
सह लेंगे बाहर का तूफान।
पर, अंदर के तूफान का क्या करूं।

थम जाएगा तूफान ,जानता हूं कुछ देर में।
 बैठ जाएगी रेत उड़ती हुई।
हो जाएगी रोशनी, इस अंधेरे के बाद।
आएगी किरण फिर नयी।

अंदर के तूफान की लहरों को कैसे रोकें।
जो है गमों के उछाल लेती हुई।
थम जाएगा बाहर का तूफान यह देखता हूं मैं।
पर, अंदर के तूफान का क्या करूं।
576 4.53pm 1 Jun 2018

Ek Toofan andar hi Ek Baahr.
 Bahar wale se Peeth Pher Lenge.
Andar ke Toofan ka Kya Karoon.

Aandian ghir ghir ke Aati Hain.
 Ret Aankhon Mein Bas Jati Hai.us par,
Aankhon Mein Aansuon ka Kya Karoon.

 Pata nahi kis Karan se Aandhi Aayi.
Par andar ke Toofan Ko Hum Jante Hain.
Seh lenge Bahar ka toofan.
Par,andar ke Toofan ka Kya Karoon.

Thum Jayega Toofan ,Janta Hoon Kuch der mein.
Baith Jayegi ret Udti Hui.
Ho jayegi Roshni ,Is Andhere Ke Baad.
Aaegi Kiran Phir nayi.

Ander ke Toofan ki lehren ko kaise Rockain.
Jo hai gumon k Ucchaal Leti Hui.
Thum Jayega Bahar ka toofan ye dekhta hoon main.
 Par andar ke Toofan ka Kya Karoon.

Saturday, 2 June 2018

Z 575 कलम और किताब (Kalam Or Kitaab)

9788189331894 53095 BookZindgi1

रोज कलम उठाता हूं ,रोज पन्ना भरता हूं।
जिंदगी के तजुर्बे में मैं ,रोज रंग भरता हूं।

कहीं सुख के ,कहीं दुख के, रंग दिखते हैं।
इन्हीं लफ्जों से, इन्हीं रंगों से ,किताब भरता हूं।

यह कलम रखती है मेरे तजुर्बों को जिंदा।
वरना यादों में कहां ,मैं इनको जिंदा रखता हूं।

जो गुजर जाता है, यूं तो मैं ,भूल जाता हूं।
पर ये कलम,ये किताब, में संभाल के रखता हूं।

जहान के बदलते रंगों को देख, पन्नों को भरता हूं।
ढूंढता हूं जवाब कभी उनमें, कभी सवाल करता हूं।

निकाल देता हूं हर सोच को कलम के जरिए पन्नों पर।
 इस तरह मैं जिंदगी में अपनी सुकून भरता हूं।
575 3.28pm 1June 2018

Roz Kalam uthata Hoon ,Roz Panna Bharta Hun.
Zindagi ki tazurbay Mein, Main Roz Rang Bharta Hun.

Kahin Sukh Ke, Kahi Dukh Ke, Rang dikhte Hain.
Inhin Lafzon se ,Inhin rangon se, Kitab Bharta Hoon.

Ye kalam rakhti hai mere Tzurbon Ko Zinda.
Warna yado Me Kaha Main in ko Zinda Rakhta Hoon.

Jo Guzar jata hai, Yun To Mein Bhool Jata Hoon.
Par ye Kalam,ye Kitab, Mein sambhal ke Rakhta Hoon.

Jahan Ke Badle Rango ko dekh, panno ko Bharta Hoon.
 Dhoondta Hoon jawab kabhi un main ,Kabhi Sawal Karta Hoon.

Nikal deta hoon Har Soch ko Kalam Ke zariye panno Par.
Is Tarah, Main Zindagi Mein Apni ,Sakoon Bharta Hoon.

Friday, 1 June 2018

Z 574 जिंदगी नायाब है (Zindgi Nayaab Hai)

9788189331894 53095 BookZindgi1

जिंदगी के सफर में ,सोचना नहीं पड़ता, क्या लिखें।
 क्योंकि, जिंदगी खुद ,एक चलती फिरती किताब है।

मर्म क्या है जिंदगी का ,यह कहां सोच है आदमी को।
कैसे देखें इंसान इस मर्म को, क्योंकि, आंखों पे पड़ा हिजाब है।

लगा हुआ है सर फैंक के ,भरने जिंदगी के पन्ने।
 यूं ही निकल जाएगी जिंदगी ,क्योंकि वो देखता जो ऐसे ख्वाब है।

समझ नहीं पाता है जिंदगी के सामने आते सवालों को।
 यह इंसान खुद नहीं जानता ,कि जिंदगी ,खुद एक जवाब है।

लगे रहोगे अगर इसी नजरिए से जिंदगी को काटने।
कट तो जाएगी, पर ना समझ पाओगे कि जिंदगी नायाब है।
 यह जिंदगी लाजवाब है।

574  1June 2018

Zindagi Ke Safar Mein sochna nahi padta kya likhen.
Kyunki, Zindagi Khud Ik Chalti firti Kitab hai.

Marm Kya Hai Zindagi Ka ,Yeh Kahan Soch Hai Aadmi ko.
Kaise Dekhe Insan Aasman ko, Kyon Ki Aankhon Pe Pada HiJaab Hai.

Laga hua hai sir phaink ke, bharne Zindagi Ke panne.
 Yuhi nikal Jayegi Zindagi ,Kyunki ,wo dekhta Jo Aise kawab hai.

Samajh nahi pata hai Zindagi Ke Samne Aate sawalo ko.
 Yeh Insaan Khud nahi Janta ,Ki Zindagi Khud Ek jawab hai.

Lage raho Ge Agar isi Nazariya Se Zindagi Ko katne.
Kat Jayegi, par tu na samajh  padega ,Ki Zindagi Nayab hai .
                                                                    Yeh Zindagi lajawab.