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Thursday, 9 August 2018

642 अब क्यों ढूंढते हो(Ab Kyon Dhoondte Ho)

वह  आए जो हमसे मिलने ,तो मैं ना वहां  था।
बरसों जब हमने किया इंतजार तो वो कहां था।

हम तड़पते रहे , प्यार में , उनके इंतजार में।
तब तो वह आए नहीं ,जब प्यार जवां था।

आज वह क्यो ढूंढ रहे हैं हमें दर ब दर।
गए थे वो कहां ,जब वो मेरा सारा जहां था।

आज जब बढ़ गए हैं हम कामयाबियों की ओर,
वह मेरे हैं मेरे हैं सनम ,अब यह उनका ब्यां था।

आज  कामयाब हूं जिंदगी में अपनी तो सब सुन रहे हैं,
नहीं तो गिड़गिड़ाता था ,तब भी कोई सुनता कहां था।

आज वह क्यो ढूंढ रहे हैं हमें दर ब दर।
गए थे वो कहां ,जब वो मेरा सारा जहां था।
642 4.37pm 9 Aug 2018

Veh Aae Jo Humse Milne, to main naa Vahan tha.
Barson Jab Hum Ne Kiya Intezar, To Vo Kahan Tha.

Hum tadpte Rhe pyar mein ,Un Ke Intezar Mein.
Tab To Vo Aae Nahi ,Jab pyar Jwan tha.

Aaj jab Badh Gae Hain   Hum kamyabion ki aur.
Eh mere hein,Mere,Sanam ,Ab Ye UnKa Bayan tha.

 Aaj Kamyab Hoon Zindagi Mein Apni ,To Sab sun rahe Hein.
Nahun to Gidgidaata tha ,tab Bhi, Koi Sunta Kaha Tha .

Aaj Veh Kyon Dhoond rahe hain Hame Dar b Dar .
Gaye The Woh kahan, Jab Wo Mera Sara Jahan Tha. 

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