राखी है, मंगल प्रीत का त्योहार।
बांधता भाई बहन को, संग धागों के प्यार।
कितनी भी दूर सही वह एक दूसरे से।
रक्षाबंधन ले आता है उनको पास।
प्यार का बीज पनप ही जाता है इस दिन।
चाहे शिकवे गिले होते रहे हो लाखों बार।
दिया वचन जो बहन को, रक्षा करूंगा।
फिर क्या इस दिन, मिलने भी न आयेगा एक बार।
लड़ के झगड़ के, कैसे भी ,बडे़ हुए हम।
दुख आने पर साथ दोगे तुम, यह है ऐतबार।
राखी है, मंगल प्रीत का त्योहार।
बांधता भाई बहन को, संग धागों के प्यार।
बांधता भाई बहन को, संग धागों के प्यार।
कितनी भी दूर सही वह एक दूसरे से।
रक्षाबंधन ले आता है उनको पास।
प्यार का बीज पनप ही जाता है इस दिन।
चाहे शिकवे गिले होते रहे हो लाखों बार।
दिया वचन जो बहन को, रक्षा करूंगा।
फिर क्या इस दिन, मिलने भी न आयेगा एक बार।
लड़ के झगड़ के, कैसे भी ,बडे़ हुए हम।
दुख आने पर साथ दोगे तुम, यह है ऐतबार।
राखी है, मंगल प्रीत का त्योहार।
बांधता भाई बहन को, संग धागों के प्यार।
:: संगीता शर्मा कुंद्रा
1.26pm 25 Aug 2018.
Presented at Inderprath literature Festival kavya Goshti .02 Aug 2020.
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