जो हम ना आते, तुझे ख़ुशी का एहसास ना होता।
जो न जाते ,तो गम का एहसास ना होता।
तेरी नजरों से नजरें मिलाने की सजा जो मिली,
उसका गम मेरे साथ ना होता।
खुशी तो थी पल भर की,
जो मुलाकात हुई और आंखें चार हुई।
पछताना पड़ा जिंदगी को, तेरा साथ पाकर,
जो न मिलते ,बिछड़ने का एहसास न होता।
अब तू भी परेशान है ,मैं भी परेशान हूं।
सब नजरों का कसूर है ,वर्ना यह आलम ना होता।
कब मिलेगी मंजिल ,जब यह गम दूर होगा।
जब ना मिलने की रस्म,ना बिछड़ने का दस्तूर होगा।
तुम मेरे हो मेरे रहोगे, ना दिल यह सोचने को मजबूर होगा।
जब हो ही जाएंगे एक ये दो दिल, तब ना तेरा, ना मेरा कसूर होगा।
664 12.20pm 30 Aug 2018 Thursday
Jo Hum Na Aate ,Tujhe Khushi Ka Ehsaas Na Hota.
Jo Na Jate ,to gam ka Ehsaas Na Hota.
Teri Nazron Se Nazre milane ki saza Jo Mili Hai.
Uska Gam Mere Saath Na Hota.
Khushi to thi pal Bhar ki.
Jo Mulakat Hui aur Aankhen Chaar Hui.
Pachhtana Pada Zindagi Ko, Tera Sath Parker.
Jo na Milte bechhadne ka Ehsaas Na Hota.
Ab tu bhi Pareshan Hai ,Main Bhi Pareshan Hoon.
Sab Nazron ka Kasoor Hai Warna Ye Alam Na Hota.
Kab Milegi Manzil .Jab Ye Gham Dur hoga.
Jab na milne ki Rasam ,Na bichdne ka Dastoor hoga
Tum Mere Ho Mere Rahoge .Na Dil Ye sochne ko Majboor hoga.
Jab Ho hi Jayenge Ek Ye Do Dil,Tab Na Tera Na Mera Kasoor hoga.
जो न जाते ,तो गम का एहसास ना होता।
तेरी नजरों से नजरें मिलाने की सजा जो मिली,
उसका गम मेरे साथ ना होता।
खुशी तो थी पल भर की,
जो मुलाकात हुई और आंखें चार हुई।
पछताना पड़ा जिंदगी को, तेरा साथ पाकर,
जो न मिलते ,बिछड़ने का एहसास न होता।
अब तू भी परेशान है ,मैं भी परेशान हूं।
सब नजरों का कसूर है ,वर्ना यह आलम ना होता।
कब मिलेगी मंजिल ,जब यह गम दूर होगा।
जब ना मिलने की रस्म,ना बिछड़ने का दस्तूर होगा।
तुम मेरे हो मेरे रहोगे, ना दिल यह सोचने को मजबूर होगा।
जब हो ही जाएंगे एक ये दो दिल, तब ना तेरा, ना मेरा कसूर होगा।
664 12.20pm 30 Aug 2018 Thursday
Jo Hum Na Aate ,Tujhe Khushi Ka Ehsaas Na Hota.
Jo Na Jate ,to gam ka Ehsaas Na Hota.
Teri Nazron Se Nazre milane ki saza Jo Mili Hai.
Uska Gam Mere Saath Na Hota.
Khushi to thi pal Bhar ki.
Jo Mulakat Hui aur Aankhen Chaar Hui.
Pachhtana Pada Zindagi Ko, Tera Sath Parker.
Jo na Milte bechhadne ka Ehsaas Na Hota.
Ab tu bhi Pareshan Hai ,Main Bhi Pareshan Hoon.
Sab Nazron ka Kasoor Hai Warna Ye Alam Na Hota.
Kab Milegi Manzil .Jab Ye Gham Dur hoga.
Jab na milne ki Rasam ,Na bichdne ka Dastoor hoga
Tum Mere Ho Mere Rahoge .Na Dil Ye sochne ko Majboor hoga.
Jab Ho hi Jayenge Ek Ye Do Dil,Tab Na Tera Na Mera Kasoor hoga.
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