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Wednesday, 7 August 2019

1001 वह रात (Vo Raat)

वह रात में नहीं भूल पाया।
जब मैं तुमसे मिलकर आया।
सोचा था तू है अपनी,
पर तूने समझा मुझे पराया

वह रात जब मैंने सब कुछ कहा,
अपना दिल खोल के रख दिया।
पर जो चाहता था तुम से सुनना,
वह मैं सुन नहीं पाया।

उस रात के बाद दिन नहीं हुआ।
पीछे पड़ा रहा गम का साया।
जिस पल का रहा आज तक इंतजार,
वह फिर कभी ना आया।
9.17pm 7 Aug 2019


Vo Raat mein nahi Bhul Paya.
Jab Main Tumse Milkar Aaya.
 Socha Tha Tu hai apni ,
Par tune Samjha Mujhe paraya.

Vo Raat Jab Main Sab Kuch Kaha.
 Apna Dil khol ke Rakh Diya.
 Par Jo Chahta tha Tumse sunna,
 Woh Mai Sun nahi paya.

 Us Raat Ke Baad Din Nahin hua.
 Piche Pada Raha Gam ka Saya.
 Jis Pal Ka Raha Aaj Tak Intezar,
 Vo Fir Kabhi Na Aaya.

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