गया के तीरथ से,
मुक्ति का मार्ग मिल जाता।
पितरों को अपने लोक में,
सुख का रास्ता खुल जाता।
कर्तव्य है कुलदीपों का,
जाकर करें पिंडदान।
उनके इक इस कार्य से,
पित्र जाते मुक्तिधाम।
गया वह स्थान है,
जहाँ पित्र जाते मुक्तिधाम।
हर कुलदीपक जाकर वहाँ,
कार्य करें निष्काम।
1006 11.57.pm 12 Aug 201
Gaya ke Tirth se,
Mukti ka Marg Mil Jata,
Pitron ko Apne Lok Mein,
Sukh ka rasta khul Jata.
Kartavya Hai Kuldeepkon ka,
Jakar Karen Pind Daan.
Unke Is Ik Karya se,
Pitar Jaate Muktidham.
Gaya Vo Sthan hai,
Jahan pitra Jate Muktidham.
Har kuldeepak jakar Wahan,
Karye kare nishkam.
मुक्ति का मार्ग मिल जाता।
पितरों को अपने लोक में,
सुख का रास्ता खुल जाता।
कर्तव्य है कुलदीपों का,
जाकर करें पिंडदान।
उनके इक इस कार्य से,
पित्र जाते मुक्तिधाम।
गया वह स्थान है,
जहाँ पित्र जाते मुक्तिधाम।
हर कुलदीपक जाकर वहाँ,
कार्य करें निष्काम।
1006 11.57.pm 12 Aug 201
Gaya ke Tirth se,
Mukti ka Marg Mil Jata,
Pitron ko Apne Lok Mein,
Sukh ka rasta khul Jata.
Kartavya Hai Kuldeepkon ka,
Jakar Karen Pind Daan.
Unke Is Ik Karya se,
Pitar Jaate Muktidham.
Gaya Vo Sthan hai,
Jahan pitra Jate Muktidham.
Har kuldeepak jakar Wahan,
Karye kare nishkam.
No comments:
Post a Comment