गुमगश़ता फिरता हूँ,सुनसान राहों में।
हल्की सी आवाज भी नहीं अब इन आहों में।
या खुदा ,ले ले मुझे ,अपनी पनाहों में।
खुद ही ना गिर जाऊँ मैं अपनी निगाहों में।
नहीं समेट पाया जो मिला मुझे मोहब्बत की राहों में।
हर खुशी बदलती रही मेरी आहों में।
निकल आया हूं मैं अब मोहब्बत की पनाहों से।
नहीं चाहता हूँ फिर से आना उन निगाहों में।
चाहता हूँ ,मिले सकून अब नयी राहों में।
निकलना चाहता हूँ मैं, अब इन आहों से।
या खुदा दे दे सुकून अब अपनी पनाहों में।
उठ सकूं जो मैं अपनी निगाहों में।
4.50pm 11Sept 2019
Gumgshta Firta hun ISunsan Rahon Mein.
Halki Si Awaaz Bhi Nahin Ab In Aahon Main.
Ya Khuda Le Le Mujhe Apni Panahon Mein.
Khud Hi Na Gir Jaun Main Apni Nigahon Mein.
Nahin Samet Paya, Jo Mila Mohabbat Ki Rahon Mein.
Har Khushi Badalti Rahi Meri Aahon Mein.
Nikal Laya hun main Ab Mohabbat Ki Rahon Se.
Nahin Chahta main fir se aana Un Nigahon Mein.
हल्की सी आवाज भी नहीं अब इन आहों में।
या खुदा ,ले ले मुझे ,अपनी पनाहों में।
खुद ही ना गिर जाऊँ मैं अपनी निगाहों में।
नहीं समेट पाया जो मिला मुझे मोहब्बत की राहों में।
हर खुशी बदलती रही मेरी आहों में।
निकल आया हूं मैं अब मोहब्बत की पनाहों से।
नहीं चाहता हूँ फिर से आना उन निगाहों में।
चाहता हूँ ,मिले सकून अब नयी राहों में।
निकलना चाहता हूँ मैं, अब इन आहों से।
या खुदा दे दे सुकून अब अपनी पनाहों में।
उठ सकूं जो मैं अपनी निगाहों में।
4.50pm 11Sept 2019
Gumgshta Firta hun ISunsan Rahon Mein.
Halki Si Awaaz Bhi Nahin Ab In Aahon Main.
Ya Khuda Le Le Mujhe Apni Panahon Mein.
Khud Hi Na Gir Jaun Main Apni Nigahon Mein.
Nahin Samet Paya, Jo Mila Mohabbat Ki Rahon Mein.
Har Khushi Badalti Rahi Meri Aahon Mein.
Nikal Laya hun main Ab Mohabbat Ki Rahon Se.
Nahin Chahta main fir se aana Un Nigahon Mein.
No comments:
Post a Comment