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Sunday, 15 September 2019

1040 कुछ लोग ऐसे क्यों होते हैं(Kuchh log aise kyon Hote Hain.)

ना जाने कुछ लोग ऐसे क्यों होते हैं।
दूसरों का सम्मान खुद क्यों ले लेते हैं।
मन क्यों नहीं कचोटता उनको,
भरोसा दिला कर जो दगा दे देते हैं।
ना जाने कुछ लोग.......।

कैसे मीठा बनते हैं वह पहले।
 फिर मीठे में जहर मिला देते हैं।
एक न्योछावर कर देता है सब कुछ।
दूसरे उस का सब कुछ ले लेते हैं।
ना जाने कुछ लोग......।

कैसे करूं ऐतबार अब मैं किसी का।
होते हैं कुछ और, कुछ और दिखा देते हैं।
कैसे समझाऊ भोले भाले लोगों को।
यह लोग कैसे दिखाई देते हैं।
ना जाने कुछ लोग.....।

अगर मिल जाए कोई आईना ऐसा।
जिसे देख समझ जाऊं मैं नियत इनकी।
बचा लूँ उन सबको मैं ......।
जिनको यह दगा देते हैं।
ना जाने कुछ लोग....।
8.22pm 15 Sept 2019

Na Jaane Kuchh log aise kyon Hote Hain.
Dusron ka Samman Khud Kyon Le Lete Hain.
Man Kyon Nahin kachota unko.
Bharosa Dila kar Jo ,Daga Dete Hain.
Na Jaane Kuchh log.........

Kaise Meetha bante Hain voh pahle.
Fir Meethe Mein Zehar Mila Dete Hain.
Ek NYochhavar kar deta hai sab Kuchh.
Dusre uska Sab Kuchh Le Lete Hain.
Na Jaane Kuchh log.......

Kaise Karun Aitbaar ab main Kisi Ka.
Hote hain Kuchh aur ,kuchh aur dikha Dete Hain.
Kaise samjhaun Bole Bhale Logon Ko,
Ye Log Kaise Dikhai Dete Hain.
Na Jaane Kuchh log.......

Agar mil jaaye Koi Aaina Aisa.
Jise Dekh samajh jaon Mein Niyatt Inki.
Bacha lun Un Sabko mein,
Jinko Ye Daga Dete Hain.
Na Jaane Kuchh log........

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