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Saturday, 7 August 2021

1731 Ghazal : गज़ल : सब कहें मुझको, तू ऐसा वैसा है

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काफि़या ऐसा

रदीफ़ है

सब कहें मुझको, तू ऐसा वैसा है ।

तू बता तेरा , हाल कैसा है ।


हाल दुनिया का और है आगे।

पीछे से कुछ ,ये और जैसा है ।


सच की कोई कदर नहीं है अब ।

क्या कहें यह ज़माना ऐसा है।


है यहाँ उसकी ही बढ़ाई बस ।

पास जिसके यहाँ पे पैसा है ।


कोई कर ले बुराई कितनी भी ।

अंत में जैसे, को तो तैसा है।

4.32pm 6 Aug 2021

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