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Monday, 30 August 2021

1754. गीत :ये दिल जो था, तेरा ही था

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(1212 1212 1212 1212)--3

धुन : वो हम न थे, वो तुम न थे,

        वो रहगुजर थी प्यार की।

       लूटी जहां पर बेवजह पालकी बहार की।

तुम ही हो मेरे रहनुमा तू मीठे मेरे हमसफर


ये दिल जो था, तेरा ही था ।

तेरा ही ये तो हो गया ।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो  तुझमें खो गया।


तुझी से दिल को प्यार था ,तेरा ही ये हबीब था ।

न जाने क्या तू सोच इसका ,बन गया रकीब था।

ये सच है बीज प्यार का ,के दिल में था तू बो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


तू अब भी क्या है सोचता , यकीन कर तू प्यार पे।

तू बन जा इसका दिल से और, जान इस पे वार दे।

के बाद में न कहना फिर, मेरा तो सब है खो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


समझ तू वक्त को जरा, तेरे ही हाथ जिंदगी।

लगा गले तू दिल को और,कर ज़रा तू बंदगी ।

के थाम ले तू जो भी है, के छोड़ वक्त जो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


की आएगी बहार फिर, खुशी के गीत गाएंगे ।

खिलेंगे फूल हर जगह, तो भँवरे गुनगुनाएंगे ।

न मुड़ के फिर तू देखना , जो होना था वो हो गया

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।

2.51 pm 25 Aug 2021