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Tuesday, 31 August 2021

1755 गीत : न देखो मुझको यूँ प्यार से तुम

 धुन : छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा

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न देखो मुझको यूँ प्यार से तुम ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


जी चाहता है सदा ये मेरा ,

मैं हर घड़ी बस तुम्हें निहारुँ।

के पड़ जो जाये नजर तुम्हारी।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


हैं आस मुझको मिलन की जैसे ।

जो हो तुम्हारे भी मन में वैसे।

जो एक हो जाएं हम कहीं तो ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


तड़प है मुझमें ये प्यार की जो ।

लगी यही आग तुझ में अगर हो।

जो कर दो इजहार अपने दिल का।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


जो आओ तुम रात चाँदनी में।

हो मुझपे आँचल ये बादलों का ।

हवा उड़ा जो,ले जाए आँचल ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।

2.30pm 27 Aug 2021

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