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Thursday, 19 August 2021

1743 गीत :तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न

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ये दिल कितना पागल है तुझसे कहूँ क्या ।

इजाजत जो दे दो, दिल में रहूँ क्या ।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


तुझे पा के सपने जो हो जाएँ पूरे ।

रहे मेरे अरमां न फिर तो अधूरे।

न मैं तुझको भूलूँ न तू मुझको भूले ।

रहें झूलते हम तो खुशियां के झूले।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


कोई चाहे कितना भी हमको सताये।

मगर आँख से कोई आँसू ना आए ।

कभी दूर पलभर भी हम तो न जाएं।

रहे पास बन एक दूजे के साये।

 तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।

न इक पल को भी तू नजर हम से फेरे ।

हो जाएंगे फिर दूर दिल के अंधेरे ।

चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


धुन: ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया।

 ये इंसां के दुश्मन समाजों की दुनिया।

4.30pm 18 Aug 2021