122 122 122 122
ये दिल कितना पागल है तुझसे कहूँ क्या ।
इजाजत जो दे दो, दिल में रहूँ क्या ।
तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।
तुझे पा के सपने जो हो जाएँ पूरे ।
रहे मेरे अरमां न फिर तो अधूरे।
न मैं तुझको भूलूँ न तू मुझको भूले ।
रहें झूलते हम तो खुशियां के झूले।
तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।
कोई चाहे कितना भी हमको सताये।
मगर आँख से कोई आँसू ना आए ।
कभी दूर पलभर भी हम तो न जाएं।
रहे पास बन एक दूजे के साये।
तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।
चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।
न इक पल को भी तू नजर हम से फेरे ।
हो जाएंगे फिर दूर दिल के अंधेरे ।
चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।
तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।
धुन: ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया।
ये इंसां के दुश्मन समाजों की दुनिया।
4.30pm 18 Aug 2021
2 comments:
Nice composition
Thanks ji
Post a Comment