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Monday, 16 August 2021

1740 Ghazal गज़ल :दिल तड़पता है रात दिन

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काफि़या अहता  Qafia ehta

रदीफ़ है  Radeef  Hai

दिल धड़कता है और कहता है ।

तू मेरा, मेरे दिल में रहता है ।


दिल तड़पता है रात दिन और फिर ।

दिल का मेरे मकान ढहता है ।


जो भड़कते हैं प्यार के शोले ।

आँख से फिर ये दरिया बहता है ।


हद ही कर दी सितम के ढाने की ।(न पास आने की)

तू बता कौन  इतना सहता है ।


 "गीत" का हो इंतजार अब पूरा ।

दिल दुआ रब से ,करता रहता है।

4.06pm 16 Aug 2021

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