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Thursday, 26 August 2021

1750 विधाता छंद ( राखी)

 विधाता छंद ( राखी)

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सजाकर थाल भाई की, कलाई जो सजाई है।

दुआ कर आज राखी से,सजा दी अब कलाई है ।

रहे यूँ ही  सदा भाई, बहन का साथ दुनिया में ।

सदा अरदास हे भगवन, यही हमने लगाई है।

 

लगा टीका पहन राखी, सजा जो आज भाई है ।

बहन ने बांध कर धागा, कलाई जो सजाई है ।

कभी भी आँच कोई अब, न आने दूँ बहन पर मैं ,

सदा ही साथ है भाई, कसम ये अब उठाई है।

*संगीता शर्मा कुंद्रा,  चण्डीगढ़*

4.37 pm 22 Aug 2021

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