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काफि़या : आने ,Qafia :Aane
रदीफ़ : पर,Radeef: par
मानते हैं कहाँ मनाने पर।
है मजा़ आता ,रूठ जाने पर।
जिंदगी तो है आनी जानी यार ।
क्यों तू हँसता है आने जाने पर।
सूखी आँखें बहा के आँसू, अब।
रोना आता नहीं रुलाने पर।
उसके जैसे लबों पे ताला है ।
होंठ खुलते नहीं हँसाने पर।
हो गई है दबंग दुनिया ये।
कोई डरता नहीं डराने पर ।
क्यों ढही प्यार की इमारत 'गीत'।
उमर जिसको लगी बनाने पर ।
3.15 pm 19 Aug 2021
To be continued.........
1 comment:
Nice lines
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