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Tuesday, 17 August 2021

1741 Ghazal : गज़ल: पेट थोड़ा तो भर गया होता।

 21 22 12 12 22

काफि़या :अर ,Qafia :err

रदीफ़ : गया होता, Radeef :Gya hota

गर तू उसके भी ,घर गया होता ।

मेरे जैसा , वो तर गया होता।


होती सच्चाई आँख में तेरी ।

फिर न मुझसे तू, डर गया होता ।


जो चढ़ा था शहीद सूली पर ।

(कैसे बैठे हैं नेता कुर्सी पर।)

देख हालत ये मर गया होता।


जितना छोड़ा गरीब का उससे।

(जितना छोड़ा था थाली में उसने)

पेट थोड़ा तो भर गया होता।


होती जड़ से पकड़ जो तेरी तो।

जिंदगी से तू तर गया होता ।

4,.211pm 17 Aug 2021

1 comment:

Unknown said...

बहुत उच्च कोटि की रचना है।
जो चढ़ा था शहीद...
जितना छोड़ा....
दोनो अंतरे बहुत बहुत प्रभावशली हैं।
आप संम्पर्क बढ़ाइए। आप सिनेमा के लिए सिचुएशन के मुताबिक गीत लिख सकती हैं।ट्विटर पर पॉलिटिक्स और कॉन्ट्रोवर्सी ही लोग पसंद करते हैं।