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Saturday 28 August 2021

1752 गीत : तरसता मैं न रातों को, न धड़कन को बढ़ाती तू

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धुन: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों


न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


न तन्हाई सताती यूँ, न मुझको याद आती तू ।

तरसता मैं न रातों को, न धड़कन को बढ़ाती तू ।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, तू आजा मेरी बाहों में ।

सता न यूँ मुझे अब तू, खड़े हैं तेरी राहों में।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


हसीं तुम हो ,जवां मैं हूँ, करेंगे प्यार की बातें ।

आ जाओ मिलके दोनों की, कटेंगी चाँदनी रातें ।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


सुहानी जिंदगी की शाम ,और होगा सुहाना दिन ।

यही अब तो ख्वाहिश है, कटे पल भर न तेरे बिन।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।

3.24pm 24 Aug 2021

2 comments:

Rashmi sanjay said...

बहुत खूब

Sangeeta Sharma Kundra said...

धन्यवाद जी