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Saturday, 5 October 2019

PozQS1059 कुम्हार की पुकार

दिये माटी के बनाए हैं मैंने।
कर लेना अपने घर तुम उजाला।
जो ले जाओगे मेरे पास से तुम,
 मेरे घर भी हो जाएगा उजाला।

बड़ी आस है इस माटी से मुझको।
दिये जब देंगे रोशनी तुझको,
 हो जाएगा मेरे घर भी उजाला।
मिल जाएंगे खुशी के पल भी सबको।

बड़ी चकाचौंध में तू खोया हुआ है।
जरा इधर भी नजर तू डाल लेना।
तेरे घर जब माटी के दिए जलेंगे,
किसी और को भी खुशी के पल मिलेंगे।

मैं भी हूँ तेरे देश का ही  इंसान।
मुझे भी जरा , मेरा हक दे देना।
दूर देशों के लोगों की बाद में सोचना।
अपने भाई पर जरा उपकार कर देना।

खुशहाल तभी होगा मुल्क मेरा।
जब खुशहाल होगा यहाँ का हर इंसान।
मेरी मेहनत का भी मुझे कुछ हिस्सा मिलेगा।
मेरी दीवाली पर भी,मेरे घर में दिया जलेगा।

दिये तो बहुत है मेरे पास लेकिन,
 इनमें तेल भी तो डालना होगा।
जो मोल ले जाओ तुम मुझसे यह दिये।
तेरे घर के साथ उजाला मेरे घर भी होगा।
7.45pm Saturday 5 Oct 2019

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