भारत की संस्कृति में तो ,बेटी को देवी रूप में जाना है।
एक तरफ हम पूजें इनको ,दूसरी ओर दुत्कारा जाता है।
क्यों गैरों की बिटिया को ,घर से बाहर निकलने पर नसीहत देते हो।
किससे डर है उस बिटिया को, जो तुम उनको नसीहत देते हो।
जरा अपने बेटों को भी समझाओ घर से बाहर उनका ईमान न डोले।
दूसरों की इज्जत करो तुम ,यह ज़रा उनको भी बोलें।
जानवरों से तो कभी डर नहीं है उस बेटी को, जो जंगल में जाए वो।
डर बस इतना ही है वहाँ, बदकिस्मती से ना किसी बेटे से टकराए वो।
कहाँ बेटों को दी तहजीब ,उनको जानवरों से भी निर्लज्ज बनाया है।
उनको शह दी हर गलत बात में , ना उनको संस्कार सिखाया है।
जानवरों में भी यह वहशीपन देखा नहीं अपनी कौम के लिए कभी।
जो व्यवहार इंसान ने इंसान के प्रति दिखाया है।
संस्कार इंसानों के ना देकर , वहशी इनको बनाया है।
बाहर की बातें क्या करते हो, इन्होंने घर बैठे अपना रुप दिखाया है।
घर में भी सहमी हैं बेटियाँ, क्यों हमने गैरों पर ही इल्जाम लगाया है।
जरा सिखाओ बेटों को जरा पढ़ाओ बेटों को,यह क्या हाल बनाया है।
ऋषि मुनियों की यह धरती है, कितनी पावन , कितनी उज्जवल है यह धरती।
हमने इसके संस्कारों को ताक पर रखकर ,इसका
रूप गँवाया है।
107 6.41pm 22 Oct 2019
Bharat ki Sanskriti me to ,Bati ko Devi Roop mein jana hai.
Ek Taraf Ham Pujen Unko ,dusri Or Dutkara jata hai.
Kyon gairon Ki Betiya ko, ghar se bahar nikalne par nasihat dete Ho.
Kisse Darr Hai Uss Bitiya ko, jo Tum nasihat dete Ho.
Zara Apane Beton ko bhi samjhao ,Ghar Se Bahar Unka Imaan Na Dole.
Dusron ki Ijjat Karo Tum ,Jara unko bhi Bolen.
Janvaron Se To Kabhi Darr Nahin Hai uss beti ko ,jo Jungle Mein Jaaye Vo.
Darr Bas Itna Hai vahan ,Baddkismati se Na Kisi bete se takraya Vo.
Kahan Beton ko dee Tehjeeb, Unko janvaron Se Bhi nirlaj Banaya Hai.
Unko Sheh Di Har Galat Baat Mein ,Na unko Sanskar Sikhaya hai.
Janvaron mein bhi Vehshipan Dekha Nahin, apni kaum ke liye Kabhi.
Jo vyavhar Insan Ne Insan ke Prati dikhaya hai.
Sanskar insaano Ke Na Dekar, janvaron Sa vyavhar Sikhaya hai.
Bahar Ki baten karte ho ,Inhone Ghar Baithe Apna Roop dikhya hai.
Ghar mein bhi Sehmi Hai betiyan, Kyon Humne gairon per hi Ilzaam lagaya hai.
Zara Sikhao Beton Ko, Zara padhao beton ko yah, kya Haal banaya hai.
Rishi muniyon Ki Yeh Dhrati Hai ,Kitni Pawan ,Kitni Ujjwal ,Hai yah Dharti.
Humne Iske sanskaron ko Taak per rakhkar iska Roop Ganvaaya hai.
एक तरफ हम पूजें इनको ,दूसरी ओर दुत्कारा जाता है।
क्यों गैरों की बिटिया को ,घर से बाहर निकलने पर नसीहत देते हो।
किससे डर है उस बिटिया को, जो तुम उनको नसीहत देते हो।
जरा अपने बेटों को भी समझाओ घर से बाहर उनका ईमान न डोले।
दूसरों की इज्जत करो तुम ,यह ज़रा उनको भी बोलें।
जानवरों से तो कभी डर नहीं है उस बेटी को, जो जंगल में जाए वो।
डर बस इतना ही है वहाँ, बदकिस्मती से ना किसी बेटे से टकराए वो।
कहाँ बेटों को दी तहजीब ,उनको जानवरों से भी निर्लज्ज बनाया है।
उनको शह दी हर गलत बात में , ना उनको संस्कार सिखाया है।
जानवरों में भी यह वहशीपन देखा नहीं अपनी कौम के लिए कभी।
जो व्यवहार इंसान ने इंसान के प्रति दिखाया है।
संस्कार इंसानों के ना देकर , वहशी इनको बनाया है।
बाहर की बातें क्या करते हो, इन्होंने घर बैठे अपना रुप दिखाया है।
घर में भी सहमी हैं बेटियाँ, क्यों हमने गैरों पर ही इल्जाम लगाया है।
जरा सिखाओ बेटों को जरा पढ़ाओ बेटों को,यह क्या हाल बनाया है।
ऋषि मुनियों की यह धरती है, कितनी पावन , कितनी उज्जवल है यह धरती।
हमने इसके संस्कारों को ताक पर रखकर ,इसका
रूप गँवाया है।
107 6.41pm 22 Oct 2019
Bharat ki Sanskriti me to ,Bati ko Devi Roop mein jana hai.
Ek Taraf Ham Pujen Unko ,dusri Or Dutkara jata hai.
Kyon gairon Ki Betiya ko, ghar se bahar nikalne par nasihat dete Ho.
Kisse Darr Hai Uss Bitiya ko, jo Tum nasihat dete Ho.
Zara Apane Beton ko bhi samjhao ,Ghar Se Bahar Unka Imaan Na Dole.
Dusron ki Ijjat Karo Tum ,Jara unko bhi Bolen.
Janvaron Se To Kabhi Darr Nahin Hai uss beti ko ,jo Jungle Mein Jaaye Vo.
Darr Bas Itna Hai vahan ,Baddkismati se Na Kisi bete se takraya Vo.
Kahan Beton ko dee Tehjeeb, Unko janvaron Se Bhi nirlaj Banaya Hai.
Unko Sheh Di Har Galat Baat Mein ,Na unko Sanskar Sikhaya hai.
Janvaron mein bhi Vehshipan Dekha Nahin, apni kaum ke liye Kabhi.
Jo vyavhar Insan Ne Insan ke Prati dikhaya hai.
Sanskar insaano Ke Na Dekar, janvaron Sa vyavhar Sikhaya hai.
Bahar Ki baten karte ho ,Inhone Ghar Baithe Apna Roop dikhya hai.
Ghar mein bhi Sehmi Hai betiyan, Kyon Humne gairon per hi Ilzaam lagaya hai.
Zara Sikhao Beton Ko, Zara padhao beton ko yah, kya Haal banaya hai.
Rishi muniyon Ki Yeh Dhrati Hai ,Kitni Pawan ,Kitni Ujjwal ,Hai yah Dharti.
Humne Iske sanskaron ko Taak per rakhkar iska Roop Ganvaaya hai.
1 comment:
Nice
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