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Sunday, 6 October 2019

1060 तेरी तस्वीर

क्यों घबरा रहा है मन तेरा।
इस दुनिया की भीड़ में।
सहज हो जा तू जरा।
डुबो कर किसी की पीड़ में।

तेरे जैसे बहुत हैं यहाँ।
तू अकेला ही नहीं है।
तू ही जकड़ा हुआ नहीं है,
और भी बहुत हैं इस जंजीर में।

मत घबरा इस दुनिया से।
कट जाएंगे हर रास्ते।
तू अपनी धुन में चला चल।
मिल जाएगा जो होगा तकदीर में।

सबकी दुनिया रंगीन कर।
भेदभाव सब छोड़कर।
देख तुझे भी, फिर मिलेंगे।
 हर रंग ,तेरी तस्वीर में।
8 55pm 6 Oct 2019 Sunday

2 comments:

Unknown said...

बहुत सुंदर लिखा है जी आपने

Ashwani said...

Nice