क्यों घबरा रहा है मन तेरा।
इस दुनिया की भीड़ में।
सहज हो जा तू जरा।
डुबो कर किसी की पीड़ में।
तेरे जैसे बहुत हैं यहाँ।
तू अकेला ही नहीं है।
तू ही जकड़ा हुआ नहीं है,
और भी बहुत हैं इस जंजीर में।
मत घबरा इस दुनिया से।
कट जाएंगे हर रास्ते।
तू अपनी धुन में चला चल।
मिल जाएगा जो होगा तकदीर में।
सबकी दुनिया रंगीन कर।
भेदभाव सब छोड़कर।
देख तुझे भी, फिर मिलेंगे।
हर रंग ,तेरी तस्वीर में।
8 55pm 6 Oct 2019 Sunday
इस दुनिया की भीड़ में।
सहज हो जा तू जरा।
डुबो कर किसी की पीड़ में।
तेरे जैसे बहुत हैं यहाँ।
तू अकेला ही नहीं है।
तू ही जकड़ा हुआ नहीं है,
और भी बहुत हैं इस जंजीर में।
मत घबरा इस दुनिया से।
कट जाएंगे हर रास्ते।
तू अपनी धुन में चला चल।
मिल जाएगा जो होगा तकदीर में।
सबकी दुनिया रंगीन कर।
भेदभाव सब छोड़कर।
देख तुझे भी, फिर मिलेंगे।
हर रंग ,तेरी तस्वीर में।
8 55pm 6 Oct 2019 Sunday
2 comments:
बहुत सुंदर लिखा है जी आपने
Nice
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