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Tuesday, 29 October 2019

Poz1083 ऐ हवा ठहर जा ज़रा (E' Hawa Thehar Ja Zara)

ऐ हवा, ठहर जा ज़रा।
न यूँ चल जोर से,जरा संभल जा।
पिया जो चले हैं मुझसे मिलने,
उनको ज़रा ,रास्ता तू बता।

बादलों का रुख तू मोड़ देना।
थम जाए ज़रा उनका बरसना।
आ जाए जो पिया पास मेरे।
फिर चाहे बादलों का रुख मोड़ देना।

तुम्हीं मेरे संगी, तुम्हीं मेरे साथी।
चाँद जो आ जाए निकलकर,
नहीं चाहूँ फिर मैं, दिया और बाती।
चाँदनी में ही देखूँ ,सूरत पिया की।

हवाओ तब तुम जो़र से लहराना,
फूलों  को जमीन पर बिखराना,
हो जाए मौसम फिर इतना हसीन।
मन ना हो फिर, जाने का कहीं।

बहारें अपना रंग रूप यूँ बिखराएं।
प्रियतम के सिवा कुछ नज़र ना आए।
हवाएं समां फिर यूँ महकाएं।
मदहोश हो एक दूजे में खो जाएं।
4.50pm 29 Oct 2019 Tuesday


E' Hawa thehar Ja Zara.
Na Chal jor se, Zara Sambhal ja.
Piya Jo Chale Hain Mujhse milane,
Unko Zara Rasta Tu Bata.

Badalon ka Rukh tu Mod dena.
Thum Jae Unka Yun ka barasna.
Aa Jaen Piya Jab pass Merw,
Fir Chahe badlon  ka Rukh Mod dena.

Tum Hi mere SangiTum Hi Mere Sathi.
Chand Jo Aa  Jaaye nikalkar
Nahin chahie Fir main ,Diya Aur Baati.
Chandni Mein Hi Dekho Surat Piya Ki.

Hawaao  Tum jor se lehrana.
Phoolon ko Jameen per bikharana.
Ho Jaye Mausam Fir Itna Haseen.
Man Na Ho Fir jaane ka Kahin.

Baharen Apna Rang Roop dikhayen.
Priyatam Ke Siva Kuchh Najar Na Aaye.
Huawein Sama Fir  youn Mahakaen.
Madhosh Ho Ek Duje Mein Kho Jaayen. 

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