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Tuesday, 31 August 2021

1755 गीत : न देखो मुझको यूँ प्यार से तुम

 धुन : छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा

12122 12122

न देखो मुझको यूँ प्यार से तुम ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


जी चाहता है सदा ये मेरा ,

मैं हर घड़ी बस तुम्हें निहारुँ।

के पड़ जो जाये नजर तुम्हारी।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


हैं आस मुझको मिलन की जैसे ।

जो हो तुम्हारे भी मन में वैसे।

जो एक हो जाएं हम कहीं तो ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


तड़प है मुझमें ये प्यार की जो ।

लगी यही आग तुझ में अगर हो।

जो कर दो इजहार अपने दिल का।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।


जो आओ तुम रात चाँदनी में।

हो मुझपे आँचल ये बादलों का ।

हवा उड़ा जो,ले जाए आँचल ।

मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।

2.30pm 27 Aug 2021

Monday, 30 August 2021

1754. गीत :ये दिल जो था, तेरा ही था

 2212 2212

2212 2212

2212 2212 212 1212

(1212 1212 1212 1212)--3

धुन : वो हम न थे, वो तुम न थे,

        वो रहगुजर थी प्यार की।

       लूटी जहां पर बेवजह पालकी बहार की।

तुम ही हो मेरे रहनुमा तू मीठे मेरे हमसफर


ये दिल जो था, तेरा ही था ।

तेरा ही ये तो हो गया ।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो  तुझमें खो गया।


तुझी से दिल को प्यार था ,तेरा ही ये हबीब था ।

न जाने क्या तू सोच इसका ,बन गया रकीब था।

ये सच है बीज प्यार का ,के दिल में था तू बो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


तू अब भी क्या है सोचता , यकीन कर तू प्यार पे।

तू बन जा इसका दिल से और, जान इस पे वार दे।

के बाद में न कहना फिर, मेरा तो सब है खो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


समझ तू वक्त को जरा, तेरे ही हाथ जिंदगी।

लगा गले तू दिल को और,कर ज़रा तू बंदगी ।

के थाम ले तू जो भी है, के छोड़ वक्त जो गया।

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।


की आएगी बहार फिर, खुशी के गीत गाएंगे ।

खिलेंगे फूल हर जगह, तो भँवरे गुनगुनाएंगे ।

न मुड़ के फिर तू देखना , जो होना था वो हो गया

चाहे कदर तूने न की, पर ये तो तुझमें खो गया।

2.51 pm 25 Aug 2021

Sunday, 29 August 2021

1753 गीत :आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ प्यार है

 212 1212 1212 1212

धुन : आपके हसीन रुख पे आज नया नूर है।


आपकी जो याद है तो जिंदगी बहार है ।

आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ  प्यार है।

आपकी ही याद से तो बड़ रहा खुमार है।

आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ प्यार है।

 

खिलखिलाती जिंदगी जो दे रही सकून है ।

याद तुझको करते हैं तो बढ़ रहा जुनून है ।

एक याद ही, तो जिंदगी में बस शुमार है।

आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ प्यार है।


आओ तुम जो पास तो ये जिंदगी मचल उठे ।

प्यार की बुझी हुई शमा ये फिर से जल उठे ।

आपके ही आने से, तो दिल को हाँ करार है ।

आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ प्यार है।



तू है साथ मेरे तो ये जिंदगी हसीन है ।

आओगे कभी तो तुम, ये मुझको तो यकीन है ।

बस यही तड़प ,लिए ये दिल तो बेकरार है।

आपसे ही आपसे ही मुझको तो हाँ प्यार है।

12.15 pm 25 Aug 2021

Saturday, 28 August 2021

1752 गीत : तरसता मैं न रातों को, न धड़कन को बढ़ाती तू

 1222 1222 1222 1222


धुन: चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों


न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


न तन्हाई सताती यूँ, न मुझको याद आती तू ।

तरसता मैं न रातों को, न धड़कन को बढ़ाती तू ।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा, तू आजा मेरी बाहों में ।

सता न यूँ मुझे अब तू, खड़े हैं तेरी राहों में।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


हसीं तुम हो ,जवां मैं हूँ, करेंगे प्यार की बातें ।

आ जाओ मिलके दोनों की, कटेंगी चाँदनी रातें ।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।


सुहानी जिंदगी की शाम ,और होगा सुहाना दिन ।

यही अब तो ख्वाहिश है, कटे पल भर न तेरे बिन।

न तुम मुझको मिले होते, न बढ़ती बेकरारी ये।

न जख्मी होता दिल ,होती न हालत फिर, हमारी ये।

3.24pm 24 Aug 2021

Friday, 27 August 2021

1751 Ghazal गज़ल : न जाने और किस-किस को, चिढ़ाने की तयारी है

 1222 1222 1222 1222

धुन: भरी दुनिया में आखिर दिल को समझाने कहां जाएं 

        मोहब्बत हो गई जिनको ,वो दीवायेे कहां जाएं।

काफि़या आरी

रदीफ़ है

कहो कुछ तो, कि आखिर क्यों, यह दिल में बेकरारी है।

जो तड़पाती मुझे हरदम ,वफा शायद तुम्हारी है ।


बिताते हैं अकेले ही ,समां अब तो बहारों का ।

जो खशबू  छोड़ते हैं फूल, चलती दिल पे आरी है ।


के अब तो आइना उसका, चुराता है निगाहें भी।

 न जाने और किस-किस को, चिढ़ाने की तयारी है ।


बड़ी उम्मीद थी हमको ,उन्हीं का साथ पाने की ।

बिताई उनकी यादों में, उमर तन्हां ये सारी है।

1.07pm 23 Aug 2021

Thursday, 26 August 2021

1750 विधाता छंद ( राखी)

 विधाता छंद ( राखी)

1222 1222 1222 1222

सजाकर थाल भाई की, कलाई जो सजाई है।

दुआ कर आज राखी से,सजा दी अब कलाई है ।

रहे यूँ ही  सदा भाई, बहन का साथ दुनिया में ।

सदा अरदास हे भगवन, यही हमने लगाई है।

 

लगा टीका पहन राखी, सजा जो आज भाई है ।

बहन ने बांध कर धागा, कलाई जो सजाई है ।

कभी भी आँच कोई अब, न आने दूँ बहन पर मैं ,

सदा ही साथ है भाई, कसम ये अब उठाई है।

*संगीता शर्मा कुंद्रा,  चण्डीगढ़*

4.37 pm 22 Aug 2021

Wednesday, 25 August 2021

1749 Ghazal : गज़ल : उनसे कहीं ,ज्यादा हमारा रूआब था

 221 2121 1221 212

काफि़या : आब,Qafia : Aab 

रदीफ़  था, Radeef : Tha


देखा उसे , करीब से, रुख पर नकाब था ।

नजरें झुकी झुकीं थी,  लबों पे हिजाब था ।


करते रहे वो वादे पे, वादा सदा मगर ।

होता रहा खराब, जो उनका हिसाब था।


बढ़ती रही थी उनकी, उम्र क्या कहें मगर ।

जैसे ही दीद उनकी की, बढ़ता शबाब था ।


वोही नहीं अकेले वहाँ रौबदार थे ।

उनसे कहीं ज्यादा, हमारा रूआब था।


उनकी नजर नजर से मिली और गिर गया ।

आँखों में जो नशा था वो ,जैसे शराब था ।


खिलते थे फूल उनकी, जुबां से ,निकल निकल।

उनका बदन ,भी मखमली, खिलता गुलाब था ।


बातों में ,जो अजीब सी ,उनकी थी इक कशिश।

वैसा नशा ,कहाँ भरी महफिल जनाब था ।

3.31 pm 20 Aug 2021

इसी बहर पर एक प्रसिद्ध फिल्मी गजल है 

     इतनी हसीन इतनी जवां रात क्या करें ।

      जागे हैं कुछ अजीब से जज़बात क्या करें।

Tuesday, 24 August 2021

1748 Ghazal : गज़ल : खुश हूँ मैं उमर ,यूँ बिताने पर

 2122 1212 22

काफि़या : आने ,Qafia :Aane

रदीफ़ : पर,Radeef:  par

खुश हूँ मैं उमर ,यूँ बिताने पर ।

हाथ रब का रहा है शाने पर।


छुप  हैं जाते झलक दिखा कर वो। 

क्या मजा़ आता है सताने पर ।


आए हैं शेर लौट भारत को ।

धूल दुश्मन को सब चटाने पर ।


आज तक वो न सीख पाए हैं ।

इश्क के पाठ को पढ़ाने पर ।


जल गया आशियाँ बहारों का ।

क्या मिला दोनों को लड़ाने पर ।


चल दिए वो उजाड़ कर जिसको।

था जमाना लगा सजाने पर।


दूसरों की तो बात लगती है ।

खुद नहीं सोचते सुनाने पर।

3.59pm 19 Aug 2021

Monday, 23 August 2021

1747 Ghazal : गजल : है मजा़ आता ,रूठ जाने पर

 2122 1212 22

काफि़या : आने ,Qafia :Aane

रदीफ़ : पर,Radeef:  par

मानते हैं कहाँ मनाने पर।

है मजा़ आता ,रूठ जाने पर।


जिंदगी तो है आनी जानी यार ।

क्यों तू हँसता है आने जाने पर।


सूखी आँखें बहा के आँसू, अब।

रोना आता नहीं रुलाने पर।


उसके जैसे लबों पे ताला है ।

होंठ खुलते नहीं हँसाने पर।


हो गई है दबंग दुनिया ये।

कोई डरता नहीं डराने पर ।


क्यों ढही प्यार की इमारत 'गीत'।

उमर जिसको लगी बनाने पर ।

3.15 pm 19 Aug 2021

To be continued.........

Sunday, 22 August 2021

1746 Ghazal : गज़ल : दाद मिलती है उनको आने पर

 2122 1212 22

काफि़या : आने ,Qafia :Aane

रदीफ़ : पर,Radeef:  par

दाद मिलती है उनको आने पर।

करते हैं वो कमाल गाने पर।


आने-जाने में जिंदगी बीती।

अब तो बैठा हूँ इक ठिकाने पर ।


कोई तो आए बनके अब साथी।

चल पढ़े साथ जो बुलाने पर।


है चला छोड़ सब यहीं पर वो।

जो लगी जिंदगी कमाने पर ।


आइना देख मुस्कुराती थी ।

अब है चुप,.आईना दिखाने पर ।


जिसको चेहरे पे था गरुर बहुत ।(112)

अब है मजबूर वो छिपाने पर ।


2.59pm 19 Aug 2021

To be continued.........

Saturday, 21 August 2021

1745 Ghazal : गज़ल : आते जाते हैं जिंदगी, में गम

2122 1212 22

काफि़या : आने ,Qafia :Aane

रदीफ़ : पर,Radeef:  par

खुश है हम आज उनके आने पर।

होगा क्या हाल उनके जाने पर।


है मुकद्दर तो मेरा ऊँचा जो।

बैठा है याद के खजाने पर ।


आते जाते हैं जिंदगी, में गम।

क्यों परेशान हो ज़माने पर ।


खोए थे जिसके प्यार में हम तो ।

याद आया उसे बताने पर ।


वार दी जिंदगी उसी पर ये।

थी नज़र जिसकी बस खजाने पर ।

1.59pm 19 Aug 2021


कल इसी काफि़या,रदीफ़  और बहर पर कुछ और शेर पेश होंगे।


To be continued......... 


Friday, 20 August 2021

1744 Ghazal : गज़ल : आए हो चाँद बनके तुम मेरे

 2122 1212 22

काफि़या : आने ,Qafia :Aane

रदीफ़ : पर,Radeef:  par

हम सिसकते रहे हैं जाने पर। 

ज्यूँ ठिठकते थे तेरे आने पर ।


होश होते हैं गुम, जो तू आए ।

होते ज्यूँ जाम इक लगाने पर।


तेरी आँखों में हम हो जाते गुम ।

पानी होता है ज्यूँ , जमाने पर ।


दर्द सीने का हम दिखाएं क्या ।

ये तो दिखता नहीं दिखाने पर ।


आए हो चाँद बनके तुम मेरे ।

खो नहीं जाना ,ईद आने पर।


सिसकियां कम, न अब तो होनी हैं।

रख दिया सर ,जो उनके शाने पर ।

12.21pm 19 Aug 2021

कल इसी काफि़या,रदीफ़  और बहर पर कुछ और शेर पेश होंगे।


To be continued.........

Thursday, 19 August 2021

1743 गीत :तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न

 122 122 122 122

ये दिल कितना पागल है तुझसे कहूँ क्या ।

इजाजत जो दे दो, दिल में रहूँ क्या ।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


तुझे पा के सपने जो हो जाएँ पूरे ।

रहे मेरे अरमां न फिर तो अधूरे।

न मैं तुझको भूलूँ न तू मुझको भूले ।

रहें झूलते हम तो खुशियां के झूले।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


कोई चाहे कितना भी हमको सताये।

मगर आँख से कोई आँसू ना आए ।

कभी दूर पलभर भी हम तो न जाएं।

रहे पास बन एक दूजे के साये।

 तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।

न इक पल को भी तू नजर हम से फेरे ।

हो जाएंगे फिर दूर दिल के अंधेरे ।

चले आओ.. तुम पास मेरे हो मेरे ।

तो दिल फिर गमों से मैं ऐसे भरूँ न।


धुन: ये महलों ये तख्तों ये ताजों की दुनिया।

 ये इंसां के दुश्मन समाजों की दुनिया।

4.30pm 18 Aug 2021

Wednesday, 18 August 2021

1742 Ghazal : गज़ल : हाथ होता जो माँ का तुझ पर तो

 2122 1212 2😊

काफि़या अर, Qafia err

रदीफ़ होता है ,Radeef Hota Hai

बात का हो ,असर गया होता ।

फिर तू कबका ,सुधर गया होता ।


हाथ होता जो माँ का तुझ पर तो।

तू भी फिर तो निखर गया होता।


बन जो जाता हबीब तू मेरा ।

ये मुकद्दर ,सँवर गया होता ।


तेरे जैसा जो सोचते सारे ।

तो अँधेरा ,पसर गया होता ।


आँख रखती निशाना अर्जुन सा ।

तो सुधर ये हुनर गया होता।


हाल होता न आज ये तेरा ।

चुन जो सच की, डगर गया होता।


तोड़ता तू न जो भरोसा तो ।

चाहे फिर तू जिधर गया होता ।


दिल ये जादू जो कर गया होता।

तुझ पे फिर हो असर गया होता ।

2.53 pm 17 Aug 2021

Tuesday, 17 August 2021

1741 Ghazal : गज़ल: पेट थोड़ा तो भर गया होता।

 21 22 12 12 22

काफि़या :अर ,Qafia :err

रदीफ़ : गया होता, Radeef :Gya hota

गर तू उसके भी ,घर गया होता ।

मेरे जैसा , वो तर गया होता।


होती सच्चाई आँख में तेरी ।

फिर न मुझसे तू, डर गया होता ।


जो चढ़ा था शहीद सूली पर ।

(कैसे बैठे हैं नेता कुर्सी पर।)

देख हालत ये मर गया होता।


जितना छोड़ा गरीब का उससे।

(जितना छोड़ा था थाली में उसने)

पेट थोड़ा तो भर गया होता।


होती जड़ से पकड़ जो तेरी तो।

जिंदगी से तू तर गया होता ।

4,.211pm 17 Aug 2021

Monday, 16 August 2021

1740 Ghazal गज़ल :दिल तड़पता है रात दिन

 2122 1212 22

काफि़या अहता  Qafia ehta

रदीफ़ है  Radeef  Hai

दिल धड़कता है और कहता है ।

तू मेरा, मेरे दिल में रहता है ।


दिल तड़पता है रात दिन और फिर ।

दिल का मेरे मकान ढहता है ।


जो भड़कते हैं प्यार के शोले ।

आँख से फिर ये दरिया बहता है ।


हद ही कर दी सितम के ढाने की ।(न पास आने की)

तू बता कौन  इतना सहता है ।


 "गीत" का हो इंतजार अब पूरा ।

दिल दुआ रब से ,करता रहता है।

4.06pm 16 Aug 2021

Sunday, 15 August 2021

1739 भारत मेरा देश महान

भारत मेरा देश  महान ।

इस पर कुर्बान मेरी जान।

ऊँची रखूँ इसकी शान।


कभी तिरंगा झुकने न दूँ। 

ऊँचा रखूँ इसका मान ।

जय हिंद कहे सारा जहान ।


जन गन मन मैं गाऊँ हर दम

ये  है मेरा राष्ट्रगान

करता  देश का गुणगान ।


सेना को जय हिंद करूँ मैं।

पल भर भी कुछ सोचे न जो

और हो जाए कुर्बान ।


जहां भी जाऊं इसको पूजूँ।

अपना देश का मान बढ़ाऊँ।

सदा ही ऊंची रक्खूँ इसकी आन और बान ।


इसकी हो तरक्की इतनी ,

ऊंचा इसका नाम हो ।

कोई भी भारत देश से, रहे न अनजान ।


देश पे वारूँ मैं भी तन मन ।

मिले मुझे भी ऐसा मौका 

बस.है ये ही अरमान।

6.05pm 15 Aug 2021

Saturday, 14 August 2021

1738 आओ मिलकर हम देश को पूजें

आज जरूरत है देश भक्ति की 

हर एक के दिल में पैदा करने की 

सोया बीज देशभक्ति का, जो युवाओं में,

और बच्चों में, उसको जागृत करने की।


आओ मिलकर हम देश को पूजें।

धर्म जात पात के फर्क को भूलें।

काम करें ऐसा कि नाम  हो अपना,

और दुनिया में ऊँचाइयों को छूलें ।


जवान औढ़ते देश के लिए तिरंगे का कफन 

तुम भी करो माँ भारती के पूरे स्वपन ।

भारत माता की दशा तो देखो ,

प्रेम भाव से रहने का क्यों नहीं चलन।


नफरत आदी छोड़ दो अब ।

एक दूसरे के मन में बस जाओ सब।

आज नहीं तो कब समझेंगे हम यह,

क्या समझेंगे जब लुट जाएगा सब।


9.07pm 14 Aug 2021

Friday, 13 August 2021

1737 गीत : ये बता क्यों तू दुश्मन मेरा बन गया

 212 212 212 212

मैंने तुझ से कभी दुश्मनी थी न की।

फिर भला क्यों तू, दुश्मन मेरा बन गया।

दोस्ती माना के रास आई नहीं ।

ये बता क्यों तू दुश्मन मेरा बन गया।

मैंने तुझ से कभी दुश्मनी थी न की।

फिर भला क्यों तू, दुश्मन मेरा बन गया।


याद कर तू ज़रा वो समां भी तो था।

 याद करते थे हम, बातें करते थे हम।

 हाथ इक दूसरे से मिलाते थे हम ।

अब भला देख मुझको तू क्यों तन गया।

मैंने तुझ से कभी दुश्मनी थी न की।

फिर भला क्यों तू, दुश्मन मेरा बन गया।


किसने तुझको है क्या ,ऐसा कुछ कह दिया।

जिसने ये बीच में ,फासला कर दिया ।

यूं ही दूजों की बातों में आते नहीं।

दोस्ताना बिना कोई कारण गया।

मैंने तुझ से कभी दुश्मनी थी न की।

फिर भला क्यों तू, दुश्मन मेरा बन गया।


वक्त तो है बदलता ही रहता सदा।

आदमी वो ही बढ़ता है आगे सदा।

ऐसे मौके है मिलते कभी हां कभी।

 बाद में लोग कहते बड़ा बन गया।

मैंने तुझ से कभी दुश्मनी थी न की।

फिर भला क्यों तू, दुश्मन मेरा बन गया।

3.45pm 13 Aug 2021

धुन: कौन कहता है भगवान आते नहीं

Thursday, 12 August 2021

1736 गीत : मिट जांए गम तुम्हारे

  221 2122 221 2122

221 2122

इक इक हँसी पे तेरी, मैंने लुटा दी खुशियाँ। 

मिट जांए गम  तुम्हारे।मिट जांए गम तुम्हारे।

इक इक हँसी पे तेरी, मैंने लुटा दी खुशियाँ। 

मिट जांए गम  तुम्हारे।मिट जांए गम तुम्हारे।

इक इक खिजा को रोका, फूलों को दी सदायें।

मिट जांए गम  तुम्हारे।मिट जांए गम तुम्हारे।


ऐसी किसी जगह पर ,तुमको ले जाऊँगा मैं।

ऐसी किसी जगह पर ,तुमको ले जाऊँगा मैं।

फूलों भरी कतारें ,तुमको दिखाऊँगा मैं ।हो

जो गम तू भूल जाए ,खिल जाए लब तुम्हारे ।

मिट जांए गम तुम्हारे।मिट जाए गम तुम्हारे।


तेरी हँसी मेरी तो ,दुनिया है इक न्यारी।

तेरी हँसी मेरी तो,दुनिया है इक न्यारी।

तेरी हँसी तो हमदम ,जन्नत से भी प्यारी। हो

मिट जाएं ये गमी हों,कम फासले हमारे ।

मिट जांए गम तुम्हारे।मिट जांए गम तुम्हारे।


अब छोड़ के पुरानी ,बातें तू बन जा मेरी ।

अब छोड़ के पुरानी ,बातें तू बन जा मेरी ।

देखो नयी ये दुनिया, आगे है मेरी तेरी ।हो

सब फूल अपनी खुशबु, आंगन में फिर बिखारें।

मिट जांए गम तुम्हारे।मिट जांए गम तुम्हारे।

3.32 pm 11 Aug 2021A3

धुन: जब जब बहार आई और फूल मुस्कुराए मुझे तुम याद आए।

Wednesday, 11 August 2021

1735 Ghazal : गज़ल : हैं बना ली किसी ने दीवारें।

 2122 1212 22

काफि़या अर Qafia Err

रदीफ़ : है ये Radeef hai ye


सबका अपना ,चुना हुनर है ये।

उस हुनर का ,ही तो असर है ये ।


हैं बना ली किसी ने दीवारें।

बन गया है उसी पे घर है ये।


याद में जिसकी पोंछे हैं आँसू ।

उसके ही प्यार की चुनर है ये।


वो जो आया अभी इधर से था।

क्या पता अब गया किधर है ये।


ढ़ूँढ़ता है तू दर ब दर जिसको।

देख वो हमसफ़र उधर है ये।


कुछ नहीं डरने जैसा बाहर तो।

तेरे भीतर का ही तो डर है ये।

13.25 pm 11 Aug 2021

Tuesday, 10 August 2021

1734 सब कहते हैं दुनिया बहरी है

 सब कहते हैं दुनिया बहरी है ,मैं कैसे ये मान लूँ। 

तू ही मेरी दुनिया है, और तू ही मेरी सुनने वाला है।



मुझे  गैरों से अब लेना क्या ,जब तू मेरा है।

तू मेरी जिंदगी की चाबी है,और तू ही इसका ताला है।


तू ही मेरा संगी साथी, तू ही संग रहने वाला है।

क्या कोई और भला इतना किस्मत वाला है।


मैं भला अब क्यों सोचूँ ,इतनी उमर साथ तेरे गुजा़री है ।

मैं जानता हूँ आगे का वक्त भी, ऐसे ही गुजरने वाला है।

2.51pm 9 Aug 2021

Monday, 9 August 2021

1733 चिपक जाती है मुझसे, जैसे किताबों में फूल

 तनहाई मुझे खूबसूरत लगती है,क्योंकि,

जब तू नहीं होती, तो ये मेरे साथ होती है। 


इसकी खूबसूरती इतनी है कि जब ये पास होती है, 

तो ये मुझे तेरी यादों से अलग नहीं होने देती।


यह जानती है, मुझे तुझ से प्यारा कोई नहीं ,

इसलिए तेरी यादों को मेरे सीने से लगाये रखती है।


चिपक जाती है मुझसे, जैसे किताबों में फूल,

तेरी खुशबू नहीं होती, पर तेरा एहसास होता है।

2.42 pm 9 Aug 2021

Sunday, 8 August 2021

1732 दोहे ( सावन) Sawan par dohe

 सावन की बूंदे पड़ें ,मन को दें झकझोर ।

धीरे से मन बाँवरा, नाचे जैसे मोर।


सावन में झूले पड़े, पड़ती और फुहार।

मन की बस पीड़ा यही, मीत न सुने पुकार।

(टप टप के आँसू बहें,मीत न सुने पुकार।)


 सावन सावन सब कहें,सावन मेरे नैन ।

साजन बसे विदेश में ,कैसे पाऊँ चैन।


सावन की बरखा बही, किया हाल बेहाल।

क्या-क्या किसका बह गया, पूछे कौन सवाल।

9.50am 6 Aug 2021

saavan kee boonde padhen ,man ko den jhakajhor .

dheere se man baanvara, naache jaise mor.


saavan mein jhoole paden, padatee aur phuhaar.

man kee bas peeda yahee, meet na sune pukaar.


(tap tap ke aansoo bahen,meet na sune pukaar.)

 saavan saavan sab kahen,saavan mere nain .


saajan base videsh mein ,kaise paoon chain.

saavan kee barakha bahee, kiya haal behaal.

kya-kya kisaka bah gaya, poochhe kaun savaal.

(English meaning)

Drops of monsoon water drop, give a shake to the mind.

Slowly the mind sways, dances like a peacock.


Swings, falls and showers in monsoon.

This is the only pain of the mind, friend does not listen to the call.

(Tears flowed drop by drop, friend did not listen to the call.)


 Everyone should say Sawan Sawan, Sawan my eyes.

Spouse settled abroad, how can I get peace.



Saturday, 7 August 2021

1731 Ghazal : गज़ल : सब कहें मुझको, तू ऐसा वैसा है

 2122 1212 22

काफि़या ऐसा

रदीफ़ है

सब कहें मुझको, तू ऐसा वैसा है ।

तू बता तेरा , हाल कैसा है ।


हाल दुनिया का और है आगे।

पीछे से कुछ ,ये और जैसा है ।


सच की कोई कदर नहीं है अब ।

क्या कहें यह ज़माना ऐसा है।


है यहाँ उसकी ही बढ़ाई बस ।

पास जिसके यहाँ पे पैसा है ।


कोई कर ले बुराई कितनी भी ।

अंत में जैसे, को तो तैसा है।

4.32pm 6 Aug 2021

Friday, 6 August 2021

1730 Ghazal : गज़ल: पाने मैडल तरस रहा भारत

 2122 1212 22

मेरे दिल की सुने कहाँ  कोई ।

है न दुनिया में, हमज़ुबाँ कोई।

है बड़ी सूनी जिंदगी मेरी ।

अब मिले काश, कारवाँ कोई।


दूर सपनों का हो जहाँ कोई।

ले चले मुझको, फिर वहाँ कोई।


फूल ही फूल रंग भर के हों।

ऐसा हो पास ,बागवाँ कोई।


हो कोई गमख्वार दुनिया में।

वार दे उसपे ,दो जहाँ कोई।


जिंदगी इक है इम्तिहाँ जी ले ।

छोड़ दे कैसे इम्तिहाँ कोई।


वक्त पर नौकरी जो मिल जाती।

क्यों भला मरता नौजवाँ कोई।


छोड़ सब साथ चलूँ, मैं तेरे

तू दिखा मुझको, कहकशाँ कोई।


कौन किसकी यहाँ पे सोचे है।

हो गया गम में, गुमरहाँ कोई।(lost ones path)


के गुज़ारी है उमर अकेले में ।

आज भी है, न हमरहाँ कोई।(fellow traveller)


मिलते हो जिसमें प्यार और रिश्ते।

है नहीं शहर, में दुकाँ कोई।


आँख दुनिया की है लगी तुझपर।

(दाद उसको मिलेगी दुनिया की)

(पाने मैडल तरस रहा भारत।)

छूले बढ़कर के, आसमाँ कोई।


गिर रहा कौन है यहां कितना 

है नहीं इसकी इंतहाँ कोई।

4.00pm 5 Aug 2021

Thursday, 5 August 2021

1729 Ghazal : गज़ल :उसकी बातें हैं बोली फूलों सी

 2122 1212 22

काफि़या : ओली

रदीफ़ : फूलों सी

उसकी बातें हैं बोली फूलों सी।

हर अदा उसकी है झोली फूलों सी।


हर तरफ है  रूमानियत होती ।

आती है जब वो भोली फूलों सी।


हर कदम है सहेज के रखती ।

चलती जब पोली पोली फूलों सी। 


लफ्ज़ खुशबू बिखेरते उसके। 

बोलती जब वो बोली फूलों सी।


हमको भाती है मस्खरी उसकी ।

उसकी होती ठिठोली फूलों सी।

धूम :1.तुमको देखा तो यह ख्याल आया। 

     2.  फिर छिड़ी रात बात फूलों की।

3.15pm 4 Aug 2021 

Wednesday, 4 August 2021

1728 गीत: कहीं तो होता घर मेरा

 1222 1222 1222 1222

कहीं तो होता घर मेरा ,कहीं तो मैं भी बस जाता ।

तुझे ही देख कर जीता ,तुझे ही देख मर जाता ।


न तन्हाई ही होती और ,न करता गम बसेरा फिर ।

यूँ ही खिलते सुमन और फिर ,यूँ ही बादल बरस जाता।


तड़प होती न दिल को और, न आहें भरता यादों में ।

तू होती सामने फिर गम , मेरा सारा ये टल जाता ।


हवाओं में फिजाओं में ,जो खुशबू तेरी आ जाती ।

मेरी हर साँस में तेरा  इतर फिर घुल के उड़ जाता ।


बहुत है हो चुका अब तो बहाने छोड़ दे सारे।

के आजा मेरी गलियों में ,तेरा क्या इसमें है जाता ।


के गाँएंगे सुनाएंगे ख़ुशी के अब तराने हम।

के होती जिंदगी आसां के घर मेरा भी खिल जाता।


धुन : चलो एक बार फिर से अजनबी बन जाए हम दोनों।

2.37 pm 3 Aug 2021

Tuesday, 3 August 2021

1727 फिर धरती पर रहेगा कोई न

 अपने बनाए नियमों का पालन ,कराने लगी है सरकार ।

प्रकृति के नियमों का पालन करके भी देखो तो एक बार।

सरकारी नियम पालन करते करते, सरकारी खजाने भरते भरते ।

प्रकृति की अवहेलना करते करते, कोई नहीं बचा मरते मरते।

सबको अपने भीतर ही समेट लिया प्रकृति के तांडव ने ।

सिला दिया है इसने, जो नहीं सोचा इसके बारे मानव ने।

क्या संभव है जीना.... इस तरह प्रकृति की अवहेलना कर ।

क्या मिला सरकारी खजाने को एक हाथ खाली और दूसरे से भर ।

प्रकृति बिना जीवन नहीं इसके बारे सोचे कोई न।

सोचो एक दिन ऐसा होगा, फिर धरती पर रहेगा कोई न।

4.21 pm 30 July 2021

Monday, 2 August 2021

1726 प्रकृति का उपहार

 छील छील पहाड़ों को तूने बनाई राह ।

सोचा नहीं पहाड़ कैसे उठाएगा, अपनी चोटी का भार।

पेड़ पौधे पकड़ के ,बैठे थे मिट्टी और पत्थर ।

उन सबको उखाड़ कर ,तूने  बना दिया पथ ।

बिस्फोट कर नीचे, तू अपना रास्ता बनाता गया।

पूरा बोझ बेचारा पहाड़ ,एक टांग पर उठाता गया ।

जगह जगह तुमने उसको अलग-थलग कर दिया।

उसी बात का देख ,आज क्या ये नतीजा हुआ ।

खड़ी पहाड़ियाँ आज हो रही हैं ज़मीदोज़।

 तूने कहाँ सोचा था, ऐसा भी होगा किसी रोज ।

तू सोच रहा था यह मानव की तरक्की है ।

नहीं जानता था, अंत करने वाली  सृष्टि है ।

संभलना है तो संभल ,प्रकृति का कुछ नहीं जाता।

वो बना लेती है अपने लिए कहीं से भी रास्ता ।

जो तू करता काम अपने, संभाल कर इसको ।

तो यह इनाम न देती, आज प्रकृति तुझको।

4.08pm 30 July 2021

Sunday, 1 August 2021

1725 तुलसीदास

 तुलसी तो तुलसी भयो, गाई गाथा राम।

रामचरितमानस लिखा, किया राम गुणगान।


जन जन के वह कवि बने ,लिखकर महा आलेख

पंडित सब इर्षा करें , रामचरित को देख।


तुलसीदास ने हस्तलिपि, लिखी मोती समान।

कैलोग्राफी कला का, जैसे रखते ज्ञान ।


पल भर भी सोचा नहीं, जब बोले हनुमान।

चित्रकूट तुलसी चले, दर्शन देंगे राम।


कलयुग पहुँचाने लगा,जब तुलसी को पीर।

विनय पत्रिका लिखकर फिर, त्याग दिया शरीर।

9.30am 31 July 2021