धुन : छुपा लो यूँ दिल में प्यार मेरा
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न देखो मुझको यूँ प्यार से तुम ।
मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।
जी चाहता है सदा ये मेरा ,
मैं हर घड़ी बस तुम्हें निहारुँ।
के पड़ जो जाये नजर तुम्हारी।
मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।
हैं आस मुझको मिलन की जैसे ।
जो हो तुम्हारे भी मन में वैसे।
जो एक हो जाएं हम कहीं तो ।
मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।
तड़प है मुझमें ये प्यार की जो ।
लगी यही आग तुझ में अगर हो।
जो कर दो इजहार अपने दिल का।
मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।
जो आओ तुम रात चाँदनी में।
हो मुझपे आँचल ये बादलों का ।
हवा उड़ा जो,ले जाए आँचल ।
मैं मर न जाऊँ शर्म के मारे ।
2.30pm 27 Aug 2021