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Thursday, 31 October 2019

1085 दिल मिला ले दिल से (Dil Mila Le Dil Se)

ना बैर है मेरा तुझसे कोई,
ना कोई शिकवा है तुझसे ।
फिर क्यों तू खफा है मुझसे,
आ कर बात मुझसे दिल से।

आए हैं दुनिया में हम,
तो क्या साथ ले जाएंगे।
 पल बिता ले कुछ प्यार के,
दिल मिला ले जरा दिल से।

रूठने की कुछ बात नहीं है।
जाना अपने साथ कुछ नहीं है।
जो यहाँ का है यही रह जाएगा।
याद रहेंगे पल, जो बिताए हैं मिलके।

आ समेट ले कुछ यादें अपनी।
आ समेट लें कुछ खुशियाँ।
रह जाएं खुशी के पल याद बस,
दूर हो जाएं सब शिकवे दिल के।
5.20pm 31 Oct 2019
Na Baeir Hai Mera Koi Tujhse.
Na Koi Shikwa Hai Tujhse.
Fir Kyon tu Khafa Hai Mujhse.
Ab kar Baat Mujhse, Dil Se.

 Aaye Hain Duniya Mein ham,
To kya Sath Le Jaenge.
Pal Bita Le kuch Pyar Ke,
Dil Mila Le Jara, Dil Se.

Ruthne ki Kuchh Baat Nahin Hai.
Jana Apne  Kuchh Sath Nahin Hai.
Jo Yahan ka hai ,yahi Reh Jayega.
Yad Rahenge Pal ,Jo bataen Hain Milkar.

Aa Samet Le Kuchh Yaden apni.
Aa Samet Le kuch Khushiyan.
Reh Jaen Khushi Ke Pal Yad bus.
Dur Ho jaen Shikve Dil Ke

Wednesday, 30 October 2019

1084 शब्द (Shabd)

शब्दों ने तेरे जो जख्मी किया मुझे।
मैं चुप रहा कुछ ना कहा।
तेरे बोल शूल चलाते रहे मुझ पर.
मैं चुप रहा कुछ ना कहा।

मेरे जज्बातों को तू  झकझोड़ना मत,
कहीं सह ना पाऊं मैं तेरे शब्द।
और हो जाऊं तन्हा मैं ऐसे,
जख्मी हो जाए मेरा सीना भी इस तरह।

मैं तुझेअपना इलाज ए गम समझता हूँ,
तू मेरा जख्म ए जिगर ना बन।
संभाल ज़रा जनून ए जुबान,
और शब्दों का मरहम लगा।

यह शब्द है दिलबर ऐसे फूल।
जब जी चाहे बन जाए काटें,
 जब जी चाहे बन जाए शूल।
जरा देख कर ही इनको जुबां से निकाल।
7.10pm 30 Oct 2019 Wednesday

Shabdon Ne Tere Jkhmi kiya Mujhe.
Mein Chup Raha Kuch Na Kaha.
Tere bol Shool chalate Rahe Mujh per.
Mein Chup Raha Kuch Na Kaha.

Mere jazbaaton ko to Zhhnzhodana mat.
 Kahin Seh Na Paon Mein Teri baten,
Aur Ho jaaun Tanha Main Aise.
Jakhmi Ho Jaaye Mera Sina Bhi Is Tarah.

Main Tujhe Apna Ilaaj e' Gam samajhta Hun.
Tu Mera Zakham e Jigar na ban.
Sambhal zara junoon e Zubaan.
Aur shabdon Ka Marham Laga.

 Yeh Shabd Hain Dilbar Aise fool.
Jab ji Chahe Ban Jaaye Kante,
Jab ji Chahe Ban Jaaye Shool.
Jara Dekh Kar Hi In ko Zubaan se nikal.


Tuesday, 29 October 2019

Poz1083 ऐ हवा ठहर जा ज़रा (E' Hawa Thehar Ja Zara)

ऐ हवा, ठहर जा ज़रा।
न यूँ चल जोर से,जरा संभल जा।
पिया जो चले हैं मुझसे मिलने,
उनको ज़रा ,रास्ता तू बता।

बादलों का रुख तू मोड़ देना।
थम जाए ज़रा उनका बरसना।
आ जाए जो पिया पास मेरे।
फिर चाहे बादलों का रुख मोड़ देना।

तुम्हीं मेरे संगी, तुम्हीं मेरे साथी।
चाँद जो आ जाए निकलकर,
नहीं चाहूँ फिर मैं, दिया और बाती।
चाँदनी में ही देखूँ ,सूरत पिया की।

हवाओ तब तुम जो़र से लहराना,
फूलों  को जमीन पर बिखराना,
हो जाए मौसम फिर इतना हसीन।
मन ना हो फिर, जाने का कहीं।

बहारें अपना रंग रूप यूँ बिखराएं।
प्रियतम के सिवा कुछ नज़र ना आए।
हवाएं समां फिर यूँ महकाएं।
मदहोश हो एक दूजे में खो जाएं।
4.50pm 29 Oct 2019 Tuesday


E' Hawa thehar Ja Zara.
Na Chal jor se, Zara Sambhal ja.
Piya Jo Chale Hain Mujhse milane,
Unko Zara Rasta Tu Bata.

Badalon ka Rukh tu Mod dena.
Thum Jae Unka Yun ka barasna.
Aa Jaen Piya Jab pass Merw,
Fir Chahe badlon  ka Rukh Mod dena.

Tum Hi mere SangiTum Hi Mere Sathi.
Chand Jo Aa  Jaaye nikalkar
Nahin chahie Fir main ,Diya Aur Baati.
Chandni Mein Hi Dekho Surat Piya Ki.

Hawaao  Tum jor se lehrana.
Phoolon ko Jameen per bikharana.
Ho Jaye Mausam Fir Itna Haseen.
Man Na Ho Fir jaane ka Kahin.

Baharen Apna Rang Roop dikhayen.
Priyatam Ke Siva Kuchh Najar Na Aaye.
Huawein Sama Fir  youn Mahakaen.
Madhosh Ho Ek Duje Mein Kho Jaayen. 

Monday, 28 October 2019

SU1082 जिंदगी....कुछ पल तो बात कर(Zindagi...... Kuch Pal to baat kar.)

कट जाती है जिंदगी पल-पल करके।
उड़ जाता है पंछी, पल में उड़ान भर के।
बिताई ये जिंदगी ना जाने क्या-क्या करके।
साँसे तो ली , पर जीना सके जी भर के।

हुनर सीखते रहे जिंदगी भर, पर जीने का हुनर ना आया।
समझते रहे अपना जिसे जिंदगी भर ,वह निकला पराया।
समझने समझाने के इस खेल में,कुछ भी समझ ना आया।
था कुछ और दिखा कुछ और , जिंदगी ने ऐसा भरमाया।

अब कुछ पल तो ठहर ऐ जिंदगी,कुछ पल तो  बात कर।
बैठ जाएं साथ हम, बात करें कुछ मेरे हालात पर।
कुछ बातें हों बातों की ,कुछ चर्चा हो जज़्बात पर।
हो जाए तसल्ली फिर दिल को ,फिर अफ़सोस न हो मौत पर।
9.03pm 28 Oct 2019 Monday

Cut Jaati Hai Jindagi Pal Pal Karke.
 Ud Jata Hai Panchi Pal Mein Udan Bhar Ke.
Beet Jaye Zindagi ,Na Jaane Kya Kya Karke.
Saansen to Lee,  Par Ji Na Sake Ji Bhar Ke.

Hunar Seekhte Rahe Jindagi Bhar, par Jeene Ka Hunar Na Aaya.
Samajhte Rahe Apna Jise Jindagi Bhar ,Veh nikala paraayaa.
Samajhne Samjhane ke is Khel Mein ,Kuchh Bhi samajh Na Aaya.
Tha Kuchh aur, dikha Kuchh aur, Jindagi Nein Aisa Bharmaya.

Ab Kuch Pal to thahar Zindagi...... Kuch Pal to baat kar.
 Baith Jaayen Sath Ham, Baat Karen Kuchh Mere Halat per.
Kuchh baten Hon Baton ki, Kuchh charcha ho Haalat par.
Ho Jaaye Tassali Fir Dil Ko ,ki Afsos Na Ho Maut per.

Sunday, 27 October 2019

1081 दिवाली की रोशनी, लाई उम्मीद कितनी (Diwali Ki Roshni, Laai Ummid Kitni.)

दिवाली की रोशनी,
 लाई उम्मीद कितनी.
रोशन हो गया यह जहाँ,
रोशन हो गई यह जमीन।

दिवाली की रोशनी,
लाए उम्मीद इतनी.
पास आ जाएं सब,
हो जाएं रिश्ते हसीन।

दिवाली की रोशनी,
लाए उम्मीद इतनी।
प्यार हो जाए जग में,
मिट जाएं नफरतें हैं जितनी।

दिवाली की रोशनी,
लाए उम्मीद इतनी।
रौनकें हो हर जगह,
शांती हो हर कहीं।
9.40pm 27 Oct 2019


Diwali Ki Roshni,
Laai  Ummid Kitni.
Roshan Ho Gaya Yeh Jahan,
Roshan ho gai hai Jameen.

Diwali Ki Roshni,
Lai ummid Itni.
Pass Aa jaen sab,
Ho Jaen Rishte Hasin.

Diwali Ki Roshni,
 Laai Umeed  Kitni.
Pyar Ho Jaaye Jag Mein,
Mitt Jaen Nafraten Hai jitni.

Diwali Ki Roshni,
 Lai Ummeed Kitni.
Ronken Ho Har Jagah.
Shanti Ho Har  kahin.

Saturday, 26 October 2019

1080 क्यों उलझते हो (Kyon Ulzhte Ho)

क्यों उलझ जाते हो  हर बात पर।
क्या मिलता है तुम्हें ,मुझे यूँ नाराज कर।
दूरियाँ बढ़ जाती है हमारी यूँ ही,
बात बढ़ जाती है छोटी सी तकरार पर।

कुछ शब्दों को समेट लो जो तुम, अपने ही अंदर।
तो ना बड़ा होगा दूरियों का समंदर।
पास आने की वजह रहे हमेशा हमारे बीच,
आ जाएं पास फिर दूरियों को दरकिनार कर।

उलझना यूँ आपस में अब ठीक नहीं।
दूर हो जाऐंगे यूँ हम , नजदीक नहीं।
भूल अब सब बातों को ऐ दिलबर।
पास आ अपनी उलझनों को स्वीकार कर।

तोड़ दे सारी उलझनों को अब तू,
खोलकर सब उलझे  धागों को।
पिरो के इनमें अब मोती तू,
अपने रिश्तो का सिंगार कर।
7.11pm 26 Oct 2019 Saturday

Kyon Ulazh Jate ho Har Baat per.
 Kya Milta Hai Tumhen Mujhe naraj kar.
Duriyan badh Jaati Hai Yunhi Hamari .
Baat badh Jaati Hai Chhoti Si taqrar per.


Kuchh shabdon ko samet Lo ,Jo tum apni hi andar.
To na bada hoga duriyon ka samander.
Pass Aane Ki vajah Rahe Hamesha Hamare bich,
A jaen pass Fir duriyan DarKinaar kar.

Ulzhna aapas Mein Ab theek Nahin.
Dur Ho Jaenge Yun Ham, nazdeek Nahin.
Bhul ab Sab Baton ko e Dilbar.
 Paas Aa Apni,Ulzhnon ko swikar kar.

Tod De Sari yUlzhnon ko Ab Tu.
Kholkar Sab Ulzhe dhaagon Ko
Pirokar InMain Ab Moti Tu,
Apne Rishton Ka Singar kar.



Friday, 25 October 2019

1079 खुशियाँ और गम (Khushiyan Or Gum)

क्यों यह खुशियाँ ,गमों में तब्दील है।
क्यों हर तरफ आदमी गमगीन है।
शिकायतें ही हैं बस हर एक से इसको।
दुखों के आसन पर ही रहता आसीन है।

कब सोचता है दूसरे के बारे में यह,
जब देखो अपनी ही धुन में तल्लीन है।
अपना कम लगता है औरों का ज्यादा ।
 दूसरे की दुनिया लगती बहुत रंगीन है।

महफिलें यूँ तो रहता है सजाता।
पर फिर भी वह खुशी ना है पाता।
 रहता है सदा गम में ही डूबा।
भूल जाता है जिंदगी कितनी हसीन है।

हंँस तू हरदम चाहे कितने हों गम।
जी जिंदगी ऐसे की खुशी हो ना कम।
कट जाए जिंदगी यूँ ही हंँसते गाते
और कहें, काटी नहीं हमने,जिंदगी जी है।
5.10pm  25 Oct 2019 Friday
Kyon yahan  Khushiyan Ghamon mein tabdeel hain.
Kyon Har Taraf aadami Gammgin hai.
Shikayaten Hi Hai Bus Har ek se isko,
 Dukhon ke Aasan per Hi rahata Aaseen Hai.

Kab Sochta Hai dusre ke bare mein  Yeh.
Jab dekho apni hi Dhun Mein rahata Telleene hai.
Apna Kamm Lagta hai auron ka Jyada.
Dusre Ki Duniya lagti bahut Rangeen hai.

Mehfilen Yun to rehta Hai Sajata.
Fir Bhi vah Khushi na hai papa
Rehta Hai Sada Apne Gham Mein Hi Duba.
Bhul Jata Hai Zindagi Kitni Haseen Hai.

Hans Tu hardam Chahe Kitne Ho Gam.
Ji Zindagi Aise, Ki Khushi Ho na kam.
Cut Jae Jindagi Yun Hi Hanste Gaate.
Aur kahin Kaati Nahin Humne Jindagi ji hai.

Thursday, 24 October 2019

1078 बेटों को संस्कार दो (Beton Ko Sanskar Do)

माना मैंने, बेटा तुम्हारा तुम्हारे घर की शान है।
मुझसे भी तो बाबा , तुम्हारे घर की आन है।

क्यों सहमी सहमी हूँ मैं, इस पर कुछ तो सोचो तुम।
क्या मुझे आगे बढ़ने से रोक रहा है, ज़रा यह भी देखो तुम।

जो बेडियां संस्कारों की डाली हैं मुझको ।
उन्ही बेड़ियों को जरा, बेटों को भी डालो तुम।

मुझको सीता रूप में जो देखना चाहते हो,
दो संस्कार बेटों को और उनके अंदर का रावण मारो तुम।

हर बेटी तभी सीता बन पाएगी जब हर घर में  होगा राम ।
स्वच्छ समाज चाहते हो तो ,पहले घर अपना करो तुम साफ ।
3.26pm 23 Oct 2019


Mana Maine beta Tumhara ,Tumhare ghar ki shan hai.
Mujhse bhi to babaa ,tumhare ghar ki Aan hai.

 Kyon Sehmi Sehmi hun main, is per Kuchh To Socho Tum.
Kya mujhe Aage badhane se rok Raha Hai, Jara yeh bhi Dekho Tum.

Jo Bediyan sanskaron Ki Dali Hain Mujhko.
 Unhin Bedion ko Zara Beton ko bhi Dalo Tum.

Mujhko Sita Roop mein jo dekhna chahte ho.
Do Sanskar Beton ko aur unke Andar ka Ravan Maro Tum.

Har beti Tabhi Sita Ban payegi ,Jab Har Ghar Mein Hoga Ram.
Swachh Samaj chahte ho to,Pehle Ghar apna Kar Tum saaf.



Wednesday, 23 October 2019

1077 बेटों को पढ़ाओ, बेटों को सिखाओ (Beton Ko Padhao ,Beton Ko Sikhao)

भारत की संस्कृति में तो ,बेटी को देवी रूप में जाना है।
एक तरफ हम पूजें इनको ,दूसरी ओर दुत्कारा जाता है।

क्यों गैरों की बिटिया को ,घर से बाहर निकलने पर नसीहत देते हो।
किससे डर है उस बिटिया को,  जो तुम उनको नसीहत देते हो।

जरा अपने बेटों को भी समझाओ घर से बाहर उनका ईमान न डोले।
दूसरों की इज्जत करो तुम ,यह ज़रा उनको भी बोलें।

जानवरों से तो कभी डर नहीं है उस बेटी  को, जो जंगल में जाए वो।
डर बस इतना ही है वहाँ, बदकिस्मती से ना किसी बेटे से टकराए वो।

कहाँ बेटों को दी तहजीब ,उनको जानवरों से भी  निर्लज्ज बनाया है।
उनको शह दी हर गलत बात में , ना उनको संस्कार सिखाया है।

जानवरों में भी यह वहशीपन देखा नहीं अपनी कौम के लिए कभी।
जो व्यवहार इंसान ने इंसान के प्रति दिखाया है।

संस्कार इंसानों के ना देकर , वहशी इनको बनाया है।
 बाहर की बातें क्या करते हो, इन्होंने घर बैठे अपना रुप दिखाया है।

घर में भी सहमी हैं बेटियाँ, क्यों हमने गैरों पर ही इल्जाम लगाया है।
जरा सिखाओ बेटों को जरा पढ़ाओ बेटों को,यह क्या हाल बनाया है।


ऋषि मुनियों की यह धरती है, कितनी पावन , कितनी उज्जवल है यह धरती।
हमने इसके संस्कारों को ताक पर रखकर ,इसका
 रूप गँवाया है।

107 6.41pm 22 Oct 2019
Bharat ki Sanskriti me to ,Bati ko Devi Roop mein jana hai.
Ek Taraf Ham Pujen Unko ,dusri Or Dutkara jata hai.

Kyon gairon Ki Betiya ko, ghar se bahar nikalne par nasihat dete Ho.
Kisse Darr Hai Uss Bitiya ko,  jo Tum nasihat dete Ho.

Zara Apane Beton ko bhi samjhao ,Ghar Se Bahar Unka Imaan Na Dole.
Dusron ki Ijjat Karo Tum ,Jara unko bhi Bolen.

Janvaron Se To Kabhi Darr Nahin Hai uss beti ko ,jo Jungle Mein Jaaye Vo.
Darr Bas Itna Hai vahan ,Baddkismati se Na Kisi bete se takraya Vo.

Kahan Beton ko dee Tehjeeb, Unko janvaron Se Bhi nirlaj Banaya Hai.
Unko Sheh Di Har Galat Baat Mein ,Na unko Sanskar Sikhaya hai.

Janvaron mein bhi Vehshipan Dekha Nahin, apni kaum ke liye Kabhi.
Jo vyavhar Insan Ne Insan ke Prati dikhaya hai.

Sanskar insaano Ke Na Dekar, janvaron Sa vyavhar Sikhaya hai.
Bahar Ki baten karte ho ,Inhone Ghar Baithe Apna Roop dikhya hai.

Ghar mein bhi Sehmi Hai betiyan, Kyon Humne gairon per hi Ilzaam lagaya hai.
Zara Sikhao Beton Ko, Zara padhao beton ko yah, kya Haal banaya hai.

Rishi muniyon Ki Yeh Dhrati Hai ,Kitni Pawan ,Kitni Ujjwal ,Hai yah Dharti.
Humne Iske sanskaron ko Taak per rakhkar iska Roop Ganvaaya hai.

Tuesday, 22 October 2019

1076 प्यार की गहराई (Pyaar Ki Gehraai)

जो प्यार से तू मुझे देखता है,क्यों रोती है आँख मेरी ।
क्या नजर तेरे प्यार की दिखलाती है , गहराई तेरी।

तेरे प्यार का समंदर है बहुत गहरा मेरे लिए।
क्या तुझे भी उतनी ही नज़र आती है गहराई  ,प्यार में मेरी।

आँखों से झलकता दरिया ले लेता है शब्दों का रूप कभी।
इस तरह बन जाती है तेरे प्यार में , रुबाई मेरी।

प्यार के इस रंगीन दरिया में डूबता जा रहा हूँ इस कदर।
डूब ही न जाऊँ इतना, कि आखिर रह जाए पास बस तन्हाई मेरी।
6.12pm 22 Oct 2019 Tuesday

Jo Pyar Se Tu mujhe dekhta hai, Kyon Roti Hai Aankh Meri.
Kya..... Najar Tere Pyar Ki dikhlati Hai Gehraai Teri.

 Tere pyar ka samander hai bahut Gehra Mere Liye.
Kya Tujhe Bhi utani hi Najar Aati Hai gehraai,  Pyar Mein Meri.

 Aankhon Se jhalakta Dariya Le leta hai shabdon ka Roop Kabhi.
Is Tarah Ban Jaati Hai Tere Pyar Mein Rubaai Meri.

Pyar Ke is Rangeen Dariya Mein Doobta Ja raha hun Is Kadar.
Doob Hi Na Jaaun  Itna ,Ki Aakhir Rah Jaaye Paas Bas Tanhaai Meri.

Monday, 21 October 2019

1075 अपने ही तो दर्द देते हैं (Apne Hi To Dard Dete Hain)

अपने ही तो दर्द देते हैं, गैरों की औकात कहाँ।
अपनों से ही हम आस लगाते हैं, गैरों की परवाह कहाँ।।

प्यार जो अपनों से करते हैं ,इसका ही वह दम भरते हैं।
जरूरत आन पडे़ जब उनकी,वह अपनी राह बदलते हैं।।

अपना-अपना करते-करते ,गैर वह कब हो जाते हैं।
आस उन्हीं से करते हैं, तभी तो दर्द पाते हैं।।

क्या यह अपना पराया बना रखा है हमने दुनिया में।
जब काम पड़े तो, ना अपने ना गैर ही काम आते हैं।।

खुद को तू उस ऊपर वाले में ही रमा ले ऐ इंसान।
क्योंकि हर पल,हर मुश्किल में,वह ही साथ निभाते हैं।
12.58pm 21Oct 2019


Apne Hi To Dard Dete Hain, gairon Ki aukat Kahan.
 Apnon Se Hi Ham Aas Lagate Hain ,gairon Ki Parwah Kahan.

Pyar Jo Apno Se Karte Hain, Iska Hi Veh Damm Bharte Hain.
Zaroorat Pade Jab Unki Kabhi, Veh  Apni Rah Badalte Hain.

Apna Apna Karte Karte,  Gair Veh kab ho Jaate Hain.
Aas Unhi Se Karte Hain ,tabhi To Dard Vo paate Hain.

Kya Yeh Apna Paraya banaa Rakha Hai  Duniya Mein.
Jab kam Pade to Duniya Me, Na Apne Na Gair Hi kam Me Aate Hain.

Khud Ko to Us upar wale Mein Hi Rema Le e' Insan.
Kyunki Har Pal Har Mushkil Mein, Vohi Sath nibhate Hain.

Sunday, 20 October 2019

1074 आजा मेरे पास (Aaja Mere Paas)

सुन दिलबर मैं बात कहूँ, बात तू मेरी मान।
छोड़ औरों की बातों को, दे तू मुझ पर ध्यान।

मैं भी तेरे प्यार में पागल,तू भी  बेकरार।
मिल बैठ करें हम बातें,आए दोनों को करार।

बिरह में अब क्या रखा है,तू खुद को संभाल।
 कर मेरा भी ध्यान ज़रा, आजा मेरे नाल।

ना गुमसुम अब मैं रहूँ, ना हो तू उदास।
आजा मेरे पास तू, छोड़ कर सब जंजाल।

हो जाए हम एक ,और,रहे ना कुछ भी ख्याल।
एक दूजे में खो जाए हम,तोड़ के दुनिया का जाल।
7.10am 21Oct 2019
Dilbar mein Ek baat kahun ,Baat Tu Meri Maan.
Chhod Auron ki Baton ko ,De Tu Mujh Par Dhyan.

Main Bhi Tere Pyar Mein Pagal ,Tu Bhi  Bekarar.
Mil Baith Karen Hum baten ,Aaye donon Ko Karar.

Vireh Mein Ab Kya Rakha Hai,Tu Khud Ko Sambhal.
Kar Mera bhi Dhyan Zara ,Aaaja mere paas.

Na Gumsum Mein Rahun, Na Ho Tu Udaas.
Aaja mere pass Tu,  chhodkar sab janjaal.

Ho jaen Ham Ek Aur, Rahe na Kuchh Bhi Khyal.
Ek Duje Mein Kho jaen Ham, Tod Ke Duniya Ka Ye Jaal


Saturday, 19 October 2019

PozSQ1073 चंडीगढ़ की सुखना (Chandigarh Ki Sukhna)

लहरें सुखना की देखो,
कैसे यह चमकती है।
सूरज की किरणें पड़ती है तब,
हीरे सी यह दमकती है।

इस पर चलती रंगबिरंगी नावें,
अलग सा दृश्य प्रस्तुत करती हैं।
चमकती स्वच्छ लहरों पे,
यह हिचकोले भरती हैं।

चंडीगढ़ की शान है यह।
लोगों का यह स्थान है वह।
पल सुख के जहाँ बीतते हैं।
उनको सुखदेवन स्थान है यह।

आओ इसको स्वच्छ रखें।
इसकी हम रक्षा करें।
चंडीगढ़ की ही ये शान नहीं।
भारत की भी शान है यह।
11.00pm 20O October 2019

Lehren Sukhna ki Dekho.
 Kaise yeh chamakti Hain.
Suraj Ki kirne padati Hain To
Heere si Ye Damkti Hain.

Is per Chalti Rang birangi Naaven.
Alag sa Hi Drishy prastut karti hain.
Chamakti swachh laharon per.
Yah hichkole Bharti hain.

 Chandigarh Ki Shaan Hai Ye.
Logon ka yah Sthan hai veh.
Pal Sukh Ke Jahan baithte Hain.
Unko Sukhdevan Sthan hai ye.

Aaao is ko sawachh rakhen.
Iski Ham Raksha Karen.
Chandigarh ki hi Shaan Nahin.
Bharat Ki Bhi Shaan Hai Ye.

Friday, 18 October 2019

EQS1072 इश्क का जिक्र (IshqKa Zikar)

Ehsaason ki goonj (Book) 
ISBN 9 789354 459375

इश्क का जिक्र नहीं होता ।
इसकी तो खुशबू फैलती है ।
खुशबू जब फैलती है तो ,
जिक्र नहीं सिर्फ एहसास होता है।

इश्क के एहसास में फिर,
इक रूहानियत सी होती है।
खो जाते हैं  शून्य में फिर,
कहाँ कुछ और नजर आता है।

इश्क में फिर अपनी ही दुनिया,
अपना ही एक जहान होता है।
आशिक ही फिर ख्वाबों में,
आशिक ही सारा जहान होता है।

आशिकों की सूरत ही फिर ,
उसका हाल बयान करती है।
 इश्क फिर छुपाए नहीं छुपता,
इसका चर्चा सरेआम होता है।
4.55pm 18 Oct 2019
Ishq Ka zikar Nahin Hota.
Iski to Khushbu failti hai.
Khushbu Jab Phelti hai tu,
Zikr Nahin sirf Ehsas Hota Hai.

Ishq ke Ehsaas Mein Fir,
 Ek Ruhaniyat Si Hoti Hai.
Kho Jaate Hain Shunye Mein Fir,
Kahan Kuchh aur Nazar Aata Hai.

Ishq Mein Fir apni hi Duniya,
Apna hi Ek Jahan Hota Hai.
Aashiqui hi Fir Khwabon Mein,
Aashiq hi Sara Jahan Hota Hai.

Aashiqon ki Surat hi Fir
Uska Haal Byaan karti hai.
Ishq Chupaye nahi Chupta.
Iska Charcha sareaam Hota Hai.

Thursday, 17 October 2019

1071 करवा चौथ का व्रत(Karva Chauth Ka Vrat)

करवा चौथ का व्रत, व्रत नहीं,
यह अभिव्यक्ति है प्यार की।
करवा चौथ का व्रत, व्रत नहीं,
यह प्रतीक है, हमारे संस्कार की।

 व्रत करूं मैं अपनी पी के लिए,
भावना है समर्पण और प्यार की।
व्रत करूं तो उनकी आँखों में भी देखूँ,
भावना अपने लिए प्रेम और सद्भाव की।

करवा चौथ का व्रत एक बहाना है।
मुझे तो अपना प्यार दिखाना है।
चाहती तो बहुत हूँ मैं उनको, पर,
जो कह नहीं पाती वह दर्शाना है।

करूँ जब अर्घ अर्पण,चाहूँ साथ मैं तेरा।
 एक तरफ हो चंद्र दर्शन,दूसरी ओर दीदार तेरा।
तुम भी देखो और आशीर्वाद दो , तो,
प्रकृति करे , व्रत स्वीकार मेरा।
11.57am 17 Oct 2019 Thursday

Karva Chauth Ka Vrat ,Vrat Nahin.
Yah abhivyakti Hai Pyar Ki.
Karva Chauth Ka Vrat ,Vrat Nahin.
Yah Pratik Hai Sanskar ki.

 Vrat Karun main apni Pi ke liye,
Bhavna hai Ye Samarpan Aur Pyaar Ki.
Vrat karun to Unki Aankhon Mein Bhi Dekhun,
Bhavna apne liye Prem aur Sadbhav ki.

Karva Chauth Ka Vrat Ek Bahana Hai.
 Mujhe to apna Pyar dikhana hai.
Chahti to bahut hun main unko per,
Jo Keh Nahin paati Vo Darshana hai.

Karun Jab Argh mein Arpan, Chaun sath mein tera.
Ek Taraf Chandr Darshan, dusri aur Deedar Tera.
Tum bhi dekho aur Aashirwad Do.
To Prakriti Kare Vrat Savikar Mera.

Wednesday, 16 October 2019

1070 रहते हो दिल के पास (Rehte Ho Dil Ke Pass)

दूर हो तुम, फिर भी दूर नहीं।
रहते हो सदा दिल के पास कहीं।
जब चाहूँ मैं तुमसे बातें होती हैं।
होता दूरी का एहसास नहीं।

आँख बंद हो तो ,सूरत तेरी नजर आए।
हाथ रखूँ दिल पर तो तू मुझे बतलाए।
हाल तेरे दिल का वहाँ क्या  है।
बातें करते होता ,कोई दरमियान नहीं।

कौन हैं वह जो, विरह में रहते हैं।
क्यों वह जुदाई का गम सहते हैं।
चाहने वाले तो कभी दूर नहीं होते।
वह तो रहते हैं आस-पास कहीं।
5.38pm 16 Oct 2019 Wednesday


Dur Ho Tum Fir Bhi Dur Nahin.
Rehte ho Sada Dil Ke Pass Kahin.
Jab Chahun Main Tumse Baaten Hoti Hain.
 Hota Duri ka Ehsas Nahin.

Aankh band ho to Surat Teri Nazar Aaye.
Hath Rakhun Dil per Tu To Mujhe Batlaae.
Haal Tere Dil Ka vahan kya hai.
 Baten Karte Hota Koi Darmiyaan Nahin.

Kaun Hai Veh jo Virhe mein rehte hain.
Kyon Vo judaai ka Gam Sehte Hain.
Chahne wale To Kabhi Dur Nahin Hote.
Voh to rahte hain aaspaas Kahin.

Tuesday, 15 October 2019

QS1069 दिन रात (Din Raat)

दिन बीतें, जानूँ न कैसे।
रात भी बीत जाए है वैसे।।
दिन रात ही यह धरती घूमे।
और दिन-रात बनाए ऐसे।।
इस दिन रात के खेल में।
दुनिया बिताए जिंदगी कैसे कैसे।।
दिन रात का चक्कर है निराला।
टिक टिक घड़ी भी चलती वैसे।
दौड़ भाग में दिन-रात कटते।
जिंदगी खेल दिखाए ऐसे।।
कितने ही बीते हैं दिन रात।
 कोई गिनती  करे भी कैसे।।
बीत रहे हैं जैसे यह दिन रात।
बीती जाती है जिंदगी भी वैसे।।
6.00pm 15 oct 2018 Tuesday

Din Beete Janu Na Kaise.
Raat bhi beet Jaaye Hai vaise.
Din Raat hi Dharti ghume,
Aur Din Raat banaa Aeise.
Is Din Raat Ke Kale mein,
Duniya bitae Zindagi kaise kaise.
 Din Raat Ka Chakkar Hai Nirala,
Tik Tik Ghadi Bhi Chalti vaise.
DodBaag Mein Din Raat Katt te.
Jindagi  Khel Dikhaye Aise.
Kitne hi Bite Hain Din Raat,
Koi  ginti Kare bhi Kaise.
Beet rahe hain jaise yeh Din Raat.
Beti Jaati Hai Jindagi bhi vaise.

Monday, 14 October 2019

1068 मन और बुद्धि (Mann Or Buddhi )

रेखा क्यों खिंची रहती है,
मन में और बुद्धि में।
क्यों करना नहीं चाहता मन,
क्यों इतना ये जिद्दी है।

मन यूँ तो नाजुक बना रहता है।
दिमाग को सख्त मिजाज कहता है।
पर मन है इतना सुस्ती भरा,
दिमाग को भी कुछ ना करने देता है।

मन और बुद्धि की इस जंग में।
जीत जाता है मन कभी-कभी।
पर बता नहीं सकते नुकसान,
 जो दे जाता है यह बीच जिंदगी।

खुशी चाहे मिलती हो मन से।
पर जिंदगी के लिए चाहिए बुद्धि भी।
मन और बुद्धि को मिला लो जरा,
तब ही होगी जीवन की शुद्धि जी।
4.28pm 14Oct 2019 Monday

Rekha Kyon khinchi rehti hai,
 Man mein aur Buddhi mein.
Kyon karna Nahin Chahta man,
Kyon Itna yeh Jiddi hai.

Man Yun Tu Nazuk banaa rahata hai.
 Dimag ko sakht mijaz Kehta Hai.
Per man Hai Itna Susti Bhara,
Dimag ko bhi Kuchh Na karne deta hai.

Man Aur Buddhi Ki Jung mein,
Jeet Jata hai man Kabhi Kabhi.
Per Bata Nahin Sakte nuksan,
 Jo De Jata Hai yeh Beech Jindagi.

Khushi Chahe  milati ho Man Se ,
Per Jindagi ke liye chahiye Buddhi bhi.
Mann Or Buddhi Ko Mila Lo Zara.
Tabhi Hogi Jivan ki Shuddhi ji.


Sunday, 13 October 2019

1067 ख्वाब देखूं मैं (Kawab Dekhoon mein.)

कौन से ख्वाब देखूं मैं।
क्या रंग भरूँ मैं उनमें।
कहाँ ढूँढू मैं अपनी खुशियाँ।
ख्वाब पूरे हों जिनसे।

ख्वाबों की दुनिया में खोया।
सोच रहा हूँ दुनिया है हसीन।
पर कब तक मैं बचूँ उनसे।
जो करते हैं मुझे गमगीन।

हाँ ख्वाब पूरे तो होंगे ही।
पूरा करेंगे उसे हकीकत में
 हाँ ख्वाब पूरे हो ही जाएंगे ।
क्योंकि यह लिखा है अपनी किस्मत में।
9.20pm 13 Oct 2019 Sunday
Kaun se Kawab Dekhoon mein.
Kya Rang bharun Mein unmein.
Kahan dhundu Main Apni Khushiyan,
Khwab pure Hon Jinse.

Khwabon Ki Duniya Mein Khoya,
Soch Raha Hun Duniya hai Hasin.
Per Kab Tak  bacchoon Main UnSe.
Jo karte hain mujhe Gamgeen.


Haan Khwaab pure to Honge hi.
Pure Karenge use Hakikat mein.
Haan khwaab Poore to ho hi jaenge.
Kyunki yeh likha hai apni Kismat Mein.

Saturday, 12 October 2019

1066 रंग (Rang)

रंगों में बिता दिया आज का दिन।
काश ऐसा ही हो.... मेरा हर दिन।

 कितनी रंगीन नजर आ रही है दुनिया।
कितनी हसीन नजर आ रही है दुनिया।
अगर रंग ना होते दुनिया में...
तो कितनी गमगीन होती ये दुनिया।

क्या चीज बनाई है खुदा ने रंग बनाकर।
आंखों को दे दिया सुकून रंग दिखा कर।
रंग तो हैं ही खुशियों का प्रतीक।
बिना रंग के क्या जिंदगी की रीत।
9.43pm 12October 2019
Rangon Mein Bitha Diya aaj ka din.
Kaash Aisa Hi Ho Mera Har din.

Kitni Rangeen Nazar Aa Rahi Hai Duniya,
Kitni Hasin Najar Aa Rahi Hai Duniya.
Agar Rang Na Hote Duniya Mein.
Tu Kitni Gamgeen Hoti Yai Duniya.

Kya chij Banai Hai Khuda Ne Rang Banakar.
Aankhon ko de diya sukun Rang dikha kar.
Rang to hai hi khushiyon Ka prateek.
Bina Rang Ke ,Kya Zindagi Ki Reet

Friday, 11 October 2019

1065 सुकून (Sukun)

सुकून सुकून की बातें करता है।
सकून कहाँ है यह तुझे पता नहीं।
 आज बताता हूँ मैं तुझको,
सकून की है कौन सी जमीन।

कहाँ तू इसको पाएगा।
जो पाएगा खिल जाएगा।
आ बैठ तुझे बताता हूँ।
तू आज सकून पा जाएगा।

कर किसी की मदद यहाँ।
देख खुशी मिलती है कहाँ।
दूसरों की हँसी,खुशी में,
तू पा जाएगा सारा जहाँ।

बताता हूँ सुकून है कहाँ।
 देख, उस बच्चे की हँसी में है।
देख उस बूढ़े की मदद में है।
किसी की जरूरत पूरी करने में है।

अगर तू काबिल है ऐ इंसान।
आज बना ले अपने निशान।
सुकून की डगर तुझे मिल जाएगी।
 कर देगा किसी की मदद तूजहाँ।

5.45pm 11 Oct  2019 Friday
Sukun sukun ki baten karta hai.
Sukoon kahan hai Yeh tujhe pata nahin.
Aaj batata Hun Main Tujhko,
Sakoon Ki Hai Kaun si Zameen.

Kahan to isko payega.
Jo payega Khil Jayega.
Aa baith Tujhe batata hoon,
Tu aaj Saoon Paayega.

Kar Kisi Ki madad Yahan.
Dekh Khushi Milti Hai Kahan.
Dusre ki Hansi mein,
Tu pa Jayega Sara Jahan.

Batata hun sukun Hai Kahan.
Dekh use bacche ki hansi mein hai.
Dekh Us Bude ki madad mein hai.
Kisi ki jarurat Puri karne mein hai.

Agar tu Kabil Hai e Insan.
Aaj bana le Apne Nishan.
Sukun ki Dagar Tujhe Mil Jayegi.
Kar Dega Kisi Ki madad Tu Jahan.

Thursday, 10 October 2019

1064 है सारा जहान तेरा (Hai Sara Jahan Tera)

बहुत ढूँढा तुझे मगर , पाया ना निशान तेरा ।
कहाँ कहाँ ढूँढूं तुझे , जहाँ हो मुकाम तेरा।

दर ब दर भटकता रहा,ढूंढता रहा मुकाम तेरा।
ना सफर खत्म हुआ ,ना खत्म हुआ काम मेरा।

जैसे भी थे रास्ते, मैं चलता रहा उन पर।
चलता रहा जिंदगी भर, पर ना खत्म हुआ सफर मेरा।

थक हार कर जब बैठ गया,तो सोचने लगा एक बार ।
क्यों भटक रहा हूँ इधर उधर , यहाँ तो है सारा जहान तेरा।

तू ही है रास्ता इस सफर में, तू ही है मुकाम मेरा ।
क्यों दर-दर भटक रहा हूँ ,यहाँ तो है सारा जहान तेरा।
1.03pm 10 Oct 2019 Thursday


Bahut dhundha Tujhe ,Magar Paya Na Nishan Tera.
Kahan kahan dhundun Tujhe ,Jahan Ho Mukam Tera.

Dar Ba Dar Bhatakta Rha ,Paya Na  Mukam Tera.
Na Safar khatm hua ,Na khatm Hua Kaam Mera.

Jaise Bhi The Raste ,Mein chalta raha  par,
Chalta Raha Zindagi Bhar ,Par Na Khatam Hua Safar Mera.

Thakk  Kar Jab baith Gaya ,To sochne Laga Ek Bar .
Kyon bhatak raha hun idhar udhar ,Yahan To Hai Sara Jahan Tera.
Tu Hi Hai Rasta is Safar Mein ,Tu Hi Hai Mukam Mera.
 Kyon Dar Dar bhatak Raha Hoon, Yahan Tu Hai Sara Jahan Tera.

Wednesday, 9 October 2019

1063 ख्वाहिशें (Khwahishen)

अजीब यह ख्वाहिशों की फेहरिस्त है।
जितनी मुकम्मल करिए और बढ़ती जाती है।
ख्वाहिशें कहां दम लेती हैं,
हर ख्वाहिश पूरी होते होते दम निकाल लेती है।

पर क्या करें ,बिना ख्वाहिशों के क्या जिंदगी है।
 इसी से तो जिंदगी में रंग भरे हैं।
सोचो अगर ख्वाहिश ही ना हो तो।
 हम जिंदगी में कहाँ खड़े हैं।

कुछ तो सपने जोड़ने होंगे जिंदगी के।
ताकि जिंदगी की कोई मंजिल तो हो।
जब खुशियाँ बटोरना ही जिंदगी का सबब हो।
तो फिर क्यों ख्वाहिशें पूरी ना हो।

जिंदगी जीने के लिए ख्वाहिशें जरूर रखिए।
दिल लगाकर मेहनत से पूरा करिए।
जो ख्वाहिशें हो जाए पूरी तो जिंदगी आबाद है।
और फिर जिंदगी में यारों बहार ही बहार है।
8.05pm 09 Oct2 019 Wednesday


Ajeeb yeh Khwahishon ki fehrist hai.
Jitni mukmmal Kariye ,aur badhti Jati Hai.
Khwahishen Kahan Dam Leti Hain.
Har Khwahish Puri Hote Hote Dam Nikal Leti Hai.

Per Kya Karen... Bina khwahishon ke kya Jindagi hai.
Isi se to Jindagi Mein Rang bhare Hain.
Socho Agar Khwahish Na Hoti.....
To Ham Jindagi Mein kahan Khade Hain.

Kuchh To Sapne Sanjohne Honge Zindagi Ke.
Taaki Zindagi Ki Koi Manzil to Ho.
Jab Khushiyan btourna Hi Zindagi Ka Sabab hai.
To Fir Kyon Khwahishen Puri Na Ho.

Jindagi Jeene Ke liye Khwahishen Jarur Rakhiye.
Dil lagakar mehnat Se pura kariye.
Khwahishen ho jaaye Puri to Zindagi aabad Hai.
Aur Fir Jindagi Mein Yaaro, Bahar hi Bahar hai.

Tuesday, 8 October 2019

1062 कौन कहता है जिंदगी आसान है (Kaun Kahta Hai Jindagi Aasan hai.)

कौन कहता है जिंदगी आसान है।
देखिए हर कोई अपने में परेशान है।
कठिनाइयां तो आती हैं जिंदगी में,
 पर उन्हें सुलझाने में हैरान है।

कौन कहता है जिंदगी आसान है।
देखिए कितनी है दौड़ भाग,
खुशियां रहती हैं आस-पास ,
फिर भी, उनसे अनजान है।

कौन कहता है जिंदगी आसान है।
तो क्या हुआ.. ना सही।
काम करते जाइए अपनी अपने,
जो हो गया पूरा ...वही इनाम है।

कौन कहता है जिंदगी आसान है।
 लगा रह तू.. अपनी ही धुन में।
चलता जा अपनी मंजिल को छूने।
क्या हुआ, जो जिंदगी में तूफान हैं।

कौन कहता है जिंदगी आसान है।
 छोड़ यह सब सोचना।
अब हमें हैं देखना।
अपने क्या अरमान हैं।

लग रहा है जिंदगी आसान है।
हो रहे पूरे अरमान हैं।
साथियों से मिल रहा सम्मान है।
लग रहा है जिंदगी आसान है।
11.05pm 8 Oct  2019 Tuesday


Kaun Kahta Hai Jindagi Aasan hai.
Dekhiae.. Har Koi Apne Mein pareshan hai.
 Kathnaiyan tu Aati Hain Zindagi Mein.
Per unhen Suljhane Mein hairan Hai

Kaun kaihta hai Jindagi Aasan hai.
Dekhiye kitni hai Bhag Daud.
Khushiyan rahti hai aaspaas.
Fir Bhi Unse Anjaan Hai.

Kaun Kehta Hai Jindagi Aasan Hai.
To Kya Hua ........Na Sahi.
Kaam Karte Jaaie Apne Apne.
Jo Ho Gya pura ...Vahi Inaam hai.

Kaun Kahta Hai Jindagi Aasan hai.
Laga Reh Tu... apni Dhun Mein.
Chalta Ja apni manzil ko chhune.
Kya Hua Jo Jindagi Mein tufan hai.

Kaun Kahta Hai Jindagi Aasan hai.
Chudiye sab sochana..
Ab Hamen hai dekhna.
 Apne kya Armaan Hain.

Lag raha hai Jindagi Aasan hai.
Ho rahe pure Armaan Hain..
 Sathiyon se mil raha Samman hai.
Lag raha hai Jindagi Aasan hai.

Monday, 7 October 2019

Poz1061 ऐ वक्त (e'Wakt)

ऐ वक्त, तू चला चल।
ठहरना मत,
नहीं तो ,मेरी जिंदगी भी,
यहीं ठहर जाएगी।

ऐ वक्त ,तू ज़रा,
मुझ पर ,उपकार रखना।
 बुरा ना होना,नहीं तो,
जिंदगी धीमी हो जाएगी।

ऐ वक्त, मैं खुश हूँ।
तू मेरे साथ है।
मुझे अपनी मर्जी से,
तुझे बदलने का अधिकार है।

ऐ वक्त, तू सहज है.
तू सबको उपलब्ध है.
चाहें तो तुझे अच्छा बना लें।
चाहें तो बुरा।

तेरे बिना जीवन की कल्पना नहीं.
तुझसे ही यह संसार है ।
तू है तो सब कुछ है।
तेरे बिना ,जीवन कहाँ यार है।
6.00pm 7 Oct  2019 Monday
 E Waqt Tu Chala Chal,
Thehrna matt.
Nahin To Meri Jindagi bhi,
 Yahin theher Jayegi.

E Wakt, Tu Zara.
Mujhper Upkaar karna.
Bura na Hona. Nahin to,,
Jindagi Dheiemi ho jayegi.
E Waqt main Khush hun.
Tu Mere Saath Hai.
Mujhe Apni Marzi se,
Tujhe badalne Ka Adhikar hai.

Tu Sahaj hai,
To Sabko uplabdh hai.
Chahe to Tujhe Achcha banaa le.
Chahe To Bura.

Tere Bina Jeevan Ki Kalpana Nahin.
Tujhse hi hai Sansar Hai.
Tu Hai To Sab Kuchh hai,
Tere Bina Jivan ..kahan Yaar Hai.

Sunday, 6 October 2019

1060 तेरी तस्वीर

क्यों घबरा रहा है मन तेरा।
इस दुनिया की भीड़ में।
सहज हो जा तू जरा।
डुबो कर किसी की पीड़ में।

तेरे जैसे बहुत हैं यहाँ।
तू अकेला ही नहीं है।
तू ही जकड़ा हुआ नहीं है,
और भी बहुत हैं इस जंजीर में।

मत घबरा इस दुनिया से।
कट जाएंगे हर रास्ते।
तू अपनी धुन में चला चल।
मिल जाएगा जो होगा तकदीर में।

सबकी दुनिया रंगीन कर।
भेदभाव सब छोड़कर।
देख तुझे भी, फिर मिलेंगे।
 हर रंग ,तेरी तस्वीर में।
8 55pm 6 Oct 2019 Sunday

Saturday, 5 October 2019

PozQS1059 कुम्हार की पुकार

दिये माटी के बनाए हैं मैंने।
कर लेना अपने घर तुम उजाला।
जो ले जाओगे मेरे पास से तुम,
 मेरे घर भी हो जाएगा उजाला।

बड़ी आस है इस माटी से मुझको।
दिये जब देंगे रोशनी तुझको,
 हो जाएगा मेरे घर भी उजाला।
मिल जाएंगे खुशी के पल भी सबको।

बड़ी चकाचौंध में तू खोया हुआ है।
जरा इधर भी नजर तू डाल लेना।
तेरे घर जब माटी के दिए जलेंगे,
किसी और को भी खुशी के पल मिलेंगे।

मैं भी हूँ तेरे देश का ही  इंसान।
मुझे भी जरा , मेरा हक दे देना।
दूर देशों के लोगों की बाद में सोचना।
अपने भाई पर जरा उपकार कर देना।

खुशहाल तभी होगा मुल्क मेरा।
जब खुशहाल होगा यहाँ का हर इंसान।
मेरी मेहनत का भी मुझे कुछ हिस्सा मिलेगा।
मेरी दीवाली पर भी,मेरे घर में दिया जलेगा।

दिये तो बहुत है मेरे पास लेकिन,
 इनमें तेल भी तो डालना होगा।
जो मोल ले जाओ तुम मुझसे यह दिये।
तेरे घर के साथ उजाला मेरे घर भी होगा।
7.45pm Saturday 5 Oct 2019

Friday, 4 October 2019

1058 आगे बढ़ (Aage Badh)

तू ना डर।
आगे बढ़।
छोड़ जिद।
डगर पकड़।
हौंसला रख।
मंजिल है सामने,
नजर रख।
कदम बड़ा।
मंजि़ल छू जा।
न कर आराम।
हौसला दिखा।
कदम हों तेज।
फासला निपटा।
मंजिल की दूरियाँ,
तू मिटा।
नजर दोड़ा,
मंजिल को देख,
कदम उठा।
न डर तू,
होंसला दिखा।
7.32pm 4 Oct 2019 Friday

Tu Na Darr.
Aage badh.
Chhod Jidd.
Dagar Pakad.
Hosla Rakh.
Manzil Hai Samne.
Najar Rakh.
Kadam Badha.
Manzil chhoo ja.
Na Kar Aaram.
Hosla dikha.
Khadm hon Tez
Fasla Mita.
Manzil ki duriyan,
Tu Mita.
Nazar Dodha.
Manzil ko dekh.
Kadam Utha.
Na Darr Tu,
Honsla Dikha.

Thursday, 3 October 2019

1057 लगता है, हँसना छोड़ दिया है (Lagta Hai hansna chhod diya hai).

लगता है, तुमने हँसना छोड़ दिया है।
जिंदगी को, गम की ओर मोड़ दिया है।
खिलखिलाते थे जो ,कभी बेहिचक,
आज उसको लोगों की पसंद से जोड़ दिया है।
क्या बोलेगा कोई यूँ हंसता देख कर,
यही सोचकर, हँसना छोड़ दिया है।

कहा़ँ गई वह बेपरवाह सी जिंदगी।
अब जिसका गम से रिश्ता जोड़ दिया है।
 खुद को भूल गए दूसरों को खुश करने में,
खुद से ही अब मुँह मोड़ लिया है।
क्यों जिंदगी को अपने लिए जीना छोड़ दिया है।
क्यों तुमने हंसना छोड़ दिया है।

अब तो भूल जाओ इस दुनिया को।
बहुत कुछ अपने हिस्से का इसको दे दिया है।
समेट लो , अब जो है तुम्हारे अपने पास।
समय ने वक्त तुम्हें दे दिया है।
हँस लो आज तुम खिलखिला कर,
 क्यों तुमने हँसना छोड़ दिया है।
11.06pm 3 October 2019 Thursday
Lagta Hai Tumne hansna chhod diya hai.
Jindagi ko Gam ki aur Mod Diya Hai.
Khilkhilate the Jo Kabhi behichak.
Aaj usko Logon ki Pasand se Jod Diya Hai.
Kya bolega Koi Yun hansta Dekhkar,
Yahi Soch kar hansna chhod diya hai.

Kahan gayi vo beparvah Si Zindagi.
 Ab Jiska Gam se Rishta Jod Diya Hai.
Khud ko bhul gaye dusron ko Khush karne mein.
Khud Se Hi ab Munh Mod liya hai .
Kyon Jindagi ko apne liye Jina chhod diya hai..
Kyon Tumne ,hansna chhod diya hai.

Ab To bhul jao Is Duniya Ko.
Bahut Kuchh Apne Hisse ka isko De Diya Hai.
Samet Lo kuch Hai Tumhare apne pass .
Samay Ne Waqt Tumhe De Diya Hai.
Hans lo Aaj Tum khilkhila kar.
 Kyon ,Tumne hansna chhod diya hai

Wednesday, 2 October 2019

1056 एक चुप सौ सुख (Ek Chupp So Sukh)

आज बैठ गई चुप , कुछ सोच के।
देखें क्या होता है खुद को रोक के।

बोलने में ही हमेशा बढ़ाई नहीं होती।
चुप रहकर भी कई बातें हैं हो जाती।

आज देखते हैं इस चुप की करामात।
देखें, यह चुप लाता है क्या सौगात।

एक चुप सौ सुख की सुनी कहावत।
देखें कैसे चुप्पी का होता है स्वागत।

 बोल बोल कर बहुत कुछ गंवाया है।
छूटा जो तीर  फिर वापस ना आया है।

आज चुप्पी अपना करामात दिखाएगी।
आज भरोसा है, बिगड़ी बात बन जाएगी।
11.08pm 2 Oct 2019 Wednesday


Aaj Baith Gai Chup Kuchh sochkar.
Dekhiae kya hota hai Khud Ko rok kar.

Bolane Mein Hi Hamesha Badaai Nahin Hoti.
Chup reh Kar Bhi Kai baten Hain Ho Jaati.

Aaj dekhte hain chup ki Karamat.
Dekhen yrh Chupp Lata hai kya saugat.

Ek chup sau Sukh Ki suni kahavat.
Dekhen Chuppi Ka Kaise Hota Hai Swagat.

Bol bol kar bahut Kuchh Gawaya hai.
Chhota Jo Teer Fir Wapas Na Aaya Hai.

Aaj Chuppi apna karamat Dikhaegi.
Aaj Bharosa Hai ,Bigdi Baat Ban Jayegi.