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Thursday, 14 November 2019

1099 बचपन की यादें (Bachpan ki yaden)

बचपन की यादें लेकर आई है फिर एक शाम सुहानी।
मैं बैठे-बैठे बुनने लगा...... फिर एक नई कहानी।।

मेरी कहानी में है मेरी वह प्रीत पुरानी।
बातें करते, खेलते खेलते बीत जाती थी शाम मस्तानी।।

बड़े बुजुर्गों के संग सुनना, उनकी बातें रूहानी।
 बड़े ध्यान से उनको तकना ,जब कहानी सुनाती थी नानी।।

बरसात के मौसम में चलाना नाव अपनी।
गीले हो छींटे फेंकना सब पर, जब हो जाता हर जगह पानी पानी।।

वो दिन भी क्या दिन थे,जब सब अपना था ,ना थी दुनिया बेगानी।
कुछ सोच ना थी, कि कैसे आगे है उम्र बितानी।।

वक्त चलता गया और लिखती गई एक नई कहानी।
चलते जा रहे हैं हम ,आगे राहें हैं अनजानी।।

यही तमन्ना है अब तो  जिंदगी की मुझको,
जैसे बीता बचपन, बीते जिंदगी की शाम भी सुहानी।।
3.23pm 14Nov 2019 Thursday

Bachpan ki yaden Lekar,Aayi hai Fir Ek Sham Suhani.
 Main Baithe Baithe bunne Laga, Phir Ek Nai kahani.

Meri Kahani mein Hai, meri Veh Preet purani.
Baten Karte, khelte khelte beet jaati thi Sham Mastani.

Bade bujurgon ke sang,Sunna Unki baten ruhani.
Bade Dhyan se Unko Takna ,Jab Kahani Sunati Thi Nani.

Barsaat Ke Mausam Mein Chalna apni Naav,
Gile Ho Chinte Phenkna  Sab per, Jab Ho Jata Har Jageh  Pani Pani.

Vo Din Bhi Kya Din the, Jab Sab Apna tha ,na thi Duniya Begani.
Kuchh Soch Na Thi Ki Kaise Aage hai Umar bitani.

Waqt Chalta Gaya aur Likh Di Gai Ek Nai kahani.
Chalte Ja Rahe Hain Hum ,Aage rahen hain Anjani.

Yahi Tamanna Hai Ab To Zindagi Ki Mujhko
 Jaise Beeta Tha Bachpan ,Beete Jindagi Ki Sham Bhi Suhani.

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