जबसे चाहा है, टूट कर तुझ को ।
हो रही तबसे ,है जलन कुछ को।
प्यार की राह हो गई मुश्किल ।
डर सताने लगा है अब मुझ को ।
है यकीं एक दिन तू आएगी ।
यूँ ही बहलाता ,हूँ रहा खुद को।
खो गया प्यार में तेरे इतना ।
याद कुछ भी नहीं है अब मुझको ।
तू ही तू ज़हन में समाई है।
भूल बैठा तेरे सिवा खुद को ।
यूँ ही घर बार था नहीं छोड़ा ।
मोक्ष का पहले था यकीं बुध को।
12.10pm 06 July 2021
1 comment:
Wah👍👏👏
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