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Tuesday, 6 July 2021

1699 नज़्म :है यकीं एक दिन तू आएगी

 जबसे चाहा है, टूट कर तुझ को ।

हो रही तबसे ,है जलन कुछ को।


प्यार की राह हो गई मुश्किल ।

डर सताने लगा है अब मुझ को ।


है यकीं एक दिन तू आएगी ।

यूँ ही बहलाता ,हूँ रहा खुद को।


खो गया प्यार में तेरे इतना ।

याद कुछ भी नहीं है अब मुझको ।


तू ही तू ज़हन में समाई है।

भूल बैठा तेरे सिवा खुद को ।


 यूँ ही घर बार था नहीं छोड़ा ।

मोक्ष का पहले था यकीं बुध को।

12.10pm 06 July 2021

1 comment:

Unknown said...

Wah👍👏👏